कुछ अतीत के पन्ने ऐसे होते हैं जो कभी, कभी इन्सान को इतना मजबूर बना देता है कि जिंदगी जैसे रुक सी जाती है कहीं थम सी जाती है। दोस्ती आज मैं जो उपन्यास लेकर आई हुं। उसमें एक लड़की के जीवन से जुड़ी हुई हर एक पहलू को उजागर किया है। मुझे विश्वास है आप सभी को मेरी ये कहानी अच्छा लगेगा।

Full Novel

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अतीत के पन्ने - भाग १

कुछ अतीत के पन्ने ऐसे होते हैं जो कभी, कभी इन्सान को इतना मजबूर बना देता है कि जिंदगी रुक सी जाती है कहीं थम सी जाती है। दोस्ती आज मैं जो उपन्यास लेकर आई हुं। उसमें एक लड़की के जीवन से जुड़ी हुई हर एक पहलू को उजागर किया है। मुझे विश्वास है आप सभी को मेरी ये कहानी अच्छा लगेगा।क्या लिखूं कहा से शुरू करूं कुछ समझ नहीं आ रहा था। आज मां की बरसी थी पर कहने को इतनी बड़ी हवेली पर सम्भवतः गिने चुने लोग ही रह गए थे।इतनी बड़ी हवेली में तो बहुत से ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग २

रेखा ने कहा मेरे बाद तेरी बारी है। और अब आगे।।फिर से काव्या अपने वर्तमान में आ गई। और रेखा उसके पति आलोक और छोटा बेटानीरज सब आ गए।छाया ने सबका सामान लेकर अन्दर आ गई। काव्या ने कहा जाओ रेखा दीदी के कमरे में रखवा दो।रेखा ने कहा बाप रे कितनी गर्मी है यहां? काव्या ने कहा छाया जा फ्रिज में से शरबत ले आ।आलोक ने कहा और कैसी हो काव्या? काव्या ने कहा बस ठीक हुं ।नीरज ने कहा अरे मासी भाई कहां है?काव्या ने कहा बस आता ही होगा। आप लोग फे्श हो जाओ और फिर नाश्ता ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग ३

आलेख की जिम्मेदारी मैंने ली थी क्योंकि। और अब आगे।।डॉ ने रेखा दीदी का आपरेशन किया था जिस कारण आराम करने की हिदायत दी गई थी।वो तो बेहोशी में पड़ी रहती थी दवा का असर इतना ज्यादा था कि उसे कुछ होश नहीं रहता था और ऊपर से उसे खाना खिलाने का काम एक दाई करती थी।मैं क्या क्या करती हवेली सम्हाल कर फिर बाबू को लेकर ही सारा दिन कैसे निकल जाता था पता नहीं चलता और फिर एक अजीब सा डर भी लगा रहता था।कही कुछ अनहोनी न हो जाए। मां भी सब देख रही थी कि ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग ४

आज हमेशा के लिए मैंने ही तुझे विदा किया और अब आगे।।फिर सब गंगा में स्नान करने के बाद हवेली आ गए।काव्या तो खुद को सम्हाल नहीं पा रही थी। कुछ देर बाद सरिता अपने पति के साथ आ गई।और दो दिन बाद राधा भी आ गई थी।सब एक साथ बैठक में बैठ कर मां की श्राद्ध की तिथि देख रहे थे। पंडित जी बोले काव्या तूने ही सब किया है तो काम भी कर देना। काव्या ने सर हिला दिया और वो पत्थर जैसी बनी रही।नन्हा सा आलेख उसके आगे पीछे घूम रहा था और अपने तुतलाहट से ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग ५

ये सत्य है कि मां अब नहीं है पर क्या मैं ये सहन कर सकती हुं क्यों नहीं मैं मां के साथ चली गई ‌भगवान ने मुझे किस के सहारे छोड़ दिया हां।। यहां तो सब अपने ही है पर व्यवहार क्यों परायों जैसा है। ये सब कुछ सोच रही थी और फिर कब नींद आ गई और काव्या सो गई।फिर कब फिर सुबह हो गई और फिर देखा कि मां के कमरे में ही सो गई थी काव्या। सरिता अपने पति के साथ पहुंच गई अलीगढ़।सरिता ने कहा रेखा दीदी बड़ी मोटी हो गई। आलोक जीजाजी कहा है? रेखा ने ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग ६

काव्या की अब ये आदत बन गई थी कि चुपके-चुपके अपनी सन्तान को दुध पिलाती थी और फिर दिन जब रेखा ने देखा तो वो भड़क गई थी अरे तू क्या जाने मां का दूध क्या होता है हां शर्म नहीं आती बच्चे के साथ नाटक कर रही है।अब काव्या भी क्या बोले कि नाटक नहीं है एक मां का दूध ही अपने बच्चे को पिला रही है। क्या दर्द है ये तो भगवान ही जानते है। रेखा ने कहा मां मुझे तो दूध ही नहीं आता है क्या आप जानते हो? सरस्वती ने कहा हां बेटा तुम बहुत ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग ७

काव्या ने कहा हां सब कोई चले जाओ मुझे छोड़ कर रह लूंगी मैं अकेली।मुझे अब आदत हो गई अब कोई जीने की चाह नहीं रही देखा मां बाबू भी चला गया आखिर मुझे छोड़ कर। तुम तो कहती थी ना कि बाबू कभी ना जाएगा। ये बोल कर काव्या जोर जोर से हंसने लगी अब आगे।।दूसरे दिन सुबह राधा काव्या का पैर छुए और फिर बोली दीदी कोई नहीं रहा मैं भी एक लाचार औरत की तरह जा रही हुं तुम कैसे रहोगी इतनी बड़ी हवेली में। अच्छा मैं चलती हूं। काव्या ने कहा हां ठीक है जब ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग ८

काव्या को अब एक बात सच लगने लगा कि बाबू अब कभी नहीं आएगा। फिर एकाएक उसे लगा कि बस बहुत हुआ अपनी दिल का दर्द अब और छुपाए नहीं जाता।काव्या ने एक डायरी निकाल कर लिखने लगीं। क्या लिखूं कहा से शुरू करूं। कहने को तो मेरी तीन बहनें हैं पर कोई भी मेरा साथ नही दे सकता। रेखा दीदी को हमेशा से लगा कि मैंने उनका सब कुछ छिन लिया पर आज मैं सबकी गलतफहमी मिटा देना चाहतीं हुं। रेखा दीदी जब तक आप ये डायरी पढ़ेंगी तो बहुत देर हो चुकी हो गई।शायद मैं कभी भी ये ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग ९

मेरी अवस्था अब अच्छी नहीं है और अब आगे।।फिर डायरी को बन्द कर दिया और फिर छत पर चली अपने आलेख को याद करने लगी।छाया ने कहा दीदी ये सारे पापड़ तो सुख गए हैं। काव्या ने कहा हां पर आलेख को बहुत पसंद हैं। एक काम करो सब पैकिंग करवा कर कोरियर कर देना।छाया ने कहा हां दीदी ठीक है कल ही कर देती हुं।पर दीदी ये तो आपको भी पसंद था ना।। काव्या ने कहा हां पसंद था पर अब बिल्कुल पसंद नहीं है और इस तरह जीने का क्या मतलब है बोल। छाया ने कहा देखो ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग १०

काव्या ने हंस कर कहा जब तक तुम लोग आओगे तो बहुत देर हो जायेगी।बाबू भी मुझे गलत समझा, लगा था कि वो मुझे छोड़ कर नहीं जायेगा।कब सुबह हो गई पता नहीं चल पाया।छाया आकर बोली कि अरे काव्या दीदी चाय नहीं पिया ये तो ठंडा हो गया।काव्या ने कहा अब कुछ अच्छा नहीं लगता ये। जाकर चाय नाश्ता कर लो तुम।।छाया ने कहा हां बाबा हम तो करते हैं पर तुम तो खुद को मार रहीं हों।काव्या ने कहा हां अब किसके लिए जीना है मां तो चली गई और वो मुझे बुला रही है।क्या करूं, मरने ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 11

आलेख ने कहा छोटी मां आप यही कहीं हो मुझे महसूस हो रहा है।पर मैं आपको छू नहीं सकता मुझे छोड़ कर चली गई ऐसा क्यों किया आपने??आलोक ने कहा बेटा मुझे कल शहर जाना होगा। तुम मेरे साथ चलो।आलेख बोला नहीं पापा मैं छोटी मां को अकेला छोड़ नहीं जा सकता हूं।आलोक ने कहा बेटा तू ये क्या बोल रहा है।तेरी छोटी मां अब नहीं है।।।यहां पर तुम युही अकेले नहीं रह पाओगे तुम चलो।आलेख ने कहा नहीं जा सकता मैं अपनी छोटी मां को छोड़ कर।छाया ने कहा आलेख बेटा तुम्हारी छोटी मां तुमको बहुत याद करती ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 12

आलोक शहर पहुंच कर अपने दूसरे घर में रहने गया और वहां से आलेख को फोन किया और कहा मुझे तुम्हारी चिंता है अब तो छोटी मां नहीं रही अब किस के लिए वहां रहोगे?आलेख बोला पापा मैं यहां से नहीं जा सकता हूं कुछ अधूरा काम है उसे पूरा करना है।ये सोचते हुए आलेख अपनी दुकान पर पहुंचा।किशन लाल जी अरे आलेख बेटा आओ बड़े दिनों बाद।आलेख बोला हां चाचा अब रोज आया करूंगा।किशन लाल ने कहा पर बेटा तुम्हारी छोटी मां तो चाहती थी कि तुम खुब पढ़ो लिखों।आलेख बोला हां चाचा पर अब छोटी मां तो ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 13

आलोक ने कहा देखो अगर तुम यहां रहकर पढ़ाई करना चाहते हो तो ठीक है वरना होस्टल में रहकर पढ़ाई कर सकते हो।आलेख ने कहा नहीं नहीं मैं ये हवेली छोड़ कर कहीं नहीं जाऊंगा। एक बार जाकर गलती कर चुका हूं और अब नहीं। यहां मुझे छोटी मां की बातें उनका प्यार,उनकी हंसी उनकी बातें। यही कहीं है और छोटी मां भी है।आलोक ने कहा चलो खाना खा ले।कल मुझे सुबह जल्दी निकलना होगा।।आलेख ने कहा अच्छा ठीक है चलिए। फिर दोनों बैठ कर खाना खाने के बाद सोने चले गए।आलेख अपनी सारी किताबों को बैठ कर कवर ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 14

फिर दोनों बस स्टॉप पर उतर गए और आलेख को पिया ने कहा शाम को हवेली आती हूं।आलेख ने हां ठीक है पिया।कुछ देर बाद ही पिया की गाड़ी भी आ गई। पिया गाड़ी में बैठते हुए बोली आलेख अब घर जाओ।आलेख ने हाथ हिलाते हुए कहा हां ठीक है।दोनों अपने अपने रास्ते चले गए।आलेख हवेली पहुंच कर ही चिल्लाने लगा छोटी मां ओ छोटी मां देखो आज तुम्हारा सपना पूरा हुआ है।छाया ने कहा अरे बाबू को क्या हुआ।आलेख बेटा मैं शर्बत लाती हूं।आलेख एक दम से चौंक गए और फिर बोला ओह छोटी मां आप तो नहीं ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 15

आलेख खाना खाने के बाद ऊपर छोटी मां के कमरे में जाकर बैठ गया और फिर अलमारी में से डायरी निकल लिया और फिर पन्ने पलटते हुए एक जगह देखा लिखा था कि आलेख की जब शादी हो गई उसकी बहू के लिए मैंने अपने सारे गहने और साड़ी रखा है। आलेख बेटा तुम मेरी इस इच्छा को पूरा करेगा ना?आलेख रोने लगा और वो वहां पर सो गया।आंधी रात आलेख को लगा जैसे कि उसके बालों को उसकी छोटी मां सहलाने लगी और फिर आलेख सो गया।सुबह जब उठा तो खुद को छोटी मां के बिस्तर में पाया।आलेख ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 16

पिया भी शायद आलेख पर भरोसा करने लगी थी । जतिन ने कहा बेटा कैसा रहा आज।पिया ने कहा बहुत ही अच्छा।पेपर आने वाले हैं।जतिन ने कहा अच्छा आलेख कैसा है वो पढ़ रहा है।पिया ने कहा हां पापा वो बहुत ही होशियार है।आगे जायेगा बहुत।जतिन ने कहा हां बेटा वो काव्या का सपना था और उसने जो कुछ किया है ना उसका कोई मोल नहीं है।।पिया ने कहा हां पापा मैंने देखा है आलेख को छोटी मां के लिए रोते हुए।उधर शनिवार को आलोक आ गया और साथ में बहुत कुछ लेकर आया।आलेख ने कहा अरे पापा कितना ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 17

पिया का इस तरह से अपनापन दिखा कर जो सबको प्यार से खिलाया ये चीज आलोक को बहुत पसंद ने भी मुस्कुराकर अपना प्यार जता दिया।खाना खाने के बाद सब बैठक में जाकर बैठ गए।आलोक ने कहा कि जतिन मैं एक बात करना चाहता हूं। जतिन ने कहा हां, हा बोलिए ना।आलोक ने कहा कि मैं चाहता हूं कि पिया बेटी इस हवेली की बहु बनें मेरे बेटे आलेख की पत्नी बनें।जतिन ने ये सुनकर कहा कि अरे आलोक जी आपने तो मेरे मुंह की बात छिन ली। मैं भी यही चाहता हूं और आलेख जैसे लड़का मुझे कहां ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 18

आलोक ने हवेली पहुंच कर कहा बेटा जरूर हमने कुछ अच्छा किया जो तुमको पिया जैसी एक जीवन साथी है।वरना आज कल लड़कियों का देखो।आलेख ने कहा पापा पिया मेरी छोटी मां की परछाई है मैंने उसमें छोटी मां को देखा है।आलोक ने कहा हां मैं समझ सकता हूं बेटा पर जब उसके साथ शादी करके इस हवेली में लाओगे तो तुम उस समय अपनी भावनाओं को व्यक्त मत करना वरना ये जहर की तरह पुरे जीवन को बर्बाद कर देगा।अब चलो चल कर सो जाओ।।आलेख ने कहा हां ठीक है पर थोड़ी देर मैं पढ़ना चाहता हूं।।आलोक ने ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 19

आलेख ने जोर से कहा कौन है जो बार बार नम्बर गलत मिला रहा है।उधर से आवाज आई अरे गाड़ी में बैठ गए हो तो ठीक है।आलेख ने कहा ओह माई गॉड लगता है कोई मुवी देखने में व्यस्त हैं तभी तो यह सब बातें कर रहे हो हां।। ओह भाई अब फोन मत मिलाओ।छाया ने कहा क्या हुआ बाबू परेशान हो गए इस मशीन से?पता है काव्या दीं को भी जरा भी पसंद नहीं था खट-पट।इसका नाम दिया था एक बार तो आलोक बाबू ने कहा कि ये फोन देता हूं।काव्या दी ने मना कर दिया कि ये ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 20

आलेख इधर उधर पिया को ढुढते हुए एक्जाम हाॅल में पहुंच गया और फिर अपना रोल नंबर देख कर गए और फिर सोचने लगा कि पिया अभी तक पहुंची नहीं अब क्या होगा।कुछ देर बाद सारे मेडिकल छात्र छात्राएं अपने अपने रोल नं पर बैठ गए और कुछ देर बाद ही पिया आ गई और हांफते हुए कहा अरे मेरा एडमिट कार्ड तो दो।आलेख ने जल्दी से बैग में से निकल कर दिया और फिर पिया भी जल्दी से एडमिट कार्ड दिखाते हुए बैठ गई।फिर दोनों कुछ बात भी नहीं कर पाएं।एक्जामिनर सर आ गए और उन्होंने कहा जो ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 21

छाया ने रात को खाना परोस दिया और फिर बोली भाई आप एक कोई दुकान पर बैठाने वाला देख आलेख ने कहा हां ठीक है मैं सोच रहा था कि उसे एक बार बोलू शायद उसे पैसों की जरूरत होगी। और फिर आलेख ने शाम को फोन किया और फिर बोला हेलो शाम मैं आलेख।।उधर से आवाज आई हां कान्हा बोलो।आलेख ने हंसते हुए कहा देखो तुम्हारे लिए मेरे पास एक काम है क्या तुम करना चाहोगे?शाम ने कहा हां, हां क्यों नहीं मैं जरूर करुंगा।आलेख ने कहा हां ठीक है कल आओ मेरे घर।शाम ने कहा हां कान्हा ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 22

आलेख ने कहा हां पापा सब कुछ ठीक है।।अब हमारी रेजल्ट का इंतजार है देखो ।आलोक ने कहा हां यकीन है कि तुम अव्वल दर्जे में पहुंच जाओगे।।आलेख ने कहा हां बस अब एक पेपर बचा है पापा।।आलोक ने कहा बेटा तुम विदेश में जाकर पढ़ना चाहोगे?आलेख ने कहा नहीं नहीं बिल्कुल नहीं यहां रह कर डाक्टर बनना है और फिर छोटी मां के सपने पूरे करने है बस!आलोक ने कहा हां ठीक है पहले सोच रहा था कि शादी करवा दूं तुम दोनों का ।।आलेख ने कहा नहीं, पापा पहले मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद मुझे ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 23

आलेख ने कहा हां मैं भी तुम्हारे लिए बहुत खुश हूं।।फिर सब मिलकर खुब इन्जाय किया और फिर वहां सब कैंटीन चलें गए और फिर वहां पर पिया ने कहा आज मैं सबको समोसे और पेस्ट्री खिलाऊंगी।पिया ने कहा छोटू सबको खिलाओ।फिर सब खुश हो गए और ताली बजाने लगे।पिया ने सबको सबको खिलाया और फिर आलेख ने कहा दोस्तों एक दावत मेरे हवेली पर होगी। रविवार को सब लोग आ जाओ।सबने मिलकर कहा हां ज़रूर।इस बहाने हवेली भी घुम लेंगे।आलेख ने कहा हां ठीक है सब दोपहर तक आ जाओ।।फिर सब अपने अपने घर चले गए।पिया ने कहा ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 24

आज सन्डे है और आलोक और आलेख जल्दी उठकर तैयार हो कर नाश्ता करने लगे और फिर कुछ देर ही शाम भी आ गया और आलेख ने कहा भाई आज दोपहर को पार्टी है आ जाना दुकान बंद कर के।शाम ने कहा हां, जरूर पर आज तुम्हारा जन्मदिन है,?आलोक ने कहा नहीं, बेटा वो आलेख मेडिकल में अव्वल आया है इस खुशी में यह सब है।फिर कुछ देर बाद ही खाना बनाने वाले महाराज भी आ गए।आलोक ने कहा हां ठीक है छाया तुम सब कुछ समझा देना।और फिर बरामदे में सब कुर्सी टेबल रखा देना।हम चाहते हैं कि ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 25

फिर दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर तैयार हो कर दोनों निकल पड़े।आलेख ने कहा पापा ज़रुरी कागजात ले लिए?आलोक कहा हां, और तुमने अपना फोटो लिया है ना।।आलेख ने कहा हां, पापा जैसा कहां था आपने।फिर दोनों नाश्ता करने के बाद अपनी गाड़ी से निकल गए।कचहरी परिसर में पहुंच कर आलोक ने अपने पहचान दोस्त शेखर के पास जाकर बैठ गए और फिर सारी बातें बताई।शेखर ने कहा हां, कागजात सब ठीक है पर आलेख को अपना एक दस्तावेज देना होगा कि वो अपनी मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है।आलेख ने कहा हां, ठीक है मुझे फार्म भरना होगा ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 26

आलेख ने कहा हां, ये है वो दुकान।।फिर दोनों वहां पर काफी देर तक किताब देखने लगें पर जो खरीदनी थी वो नहीं मिला तो ।।आलेख ने कहा ऐसा करते हैं कि मैं पापा को बोल देता हूं।।पिया ने कहा हां ठीक है चलो अब।।फिर वहां से दोनों निकल पड़े।पिया ने इशारे से कहा अरे गोलगप्पे खाने है।।आलेख ने कहा हां, ठीक है चलो फिर।फिर दोनों एक दूसरे के साथ गोल गप्पा खाने लगे। आलेख ने पिया को खिलाया और फिर पिया ने भी आलेख को खिलाया।।पिया ने उफ्फ तीखा है। चलो कुल्फी खाते हैं।। फिर दोनों ने मटका ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 27

आलेख एक दम खामोश रह गया पर कुछ भी नहीं बता पाया।फिर बस में दोनों बैठ गए और पुरे में ही आलेख एक दम शांत रहा। पिया को समझते देर नहीं लगा कि कोई ऐसी बात है जो दिल में चुभ गई है।फिर मेडिकल कॉलेज पहुंच गए।आज तो हमें लैब में जाना होगा।सबसे पहले रसायनिक विज्ञान है। सभी लैब में पहुंच गए और फिर सबको एक, एक विषय दे दिया गया।आलेख को भी विषय मिल गया और फिर वो भी करने लगा पर उसका ध्यान छोटी मां की बात में होने के कारण वो जैसे ही परिकल्पना करने लगा ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 28

फिर शाम को पिया और जतिन हवेली पहुंच गए।आलोक ने कहा आइए जतिन जी।और मेरी घर की लक्ष्मी आओ।पिया शरमाते हुए बोली अरे अंकल आप कब आए?आलोक मुस्कान लिए बोलें कि अरे बाबा आप की बेटी को जितना देख रहा हूं उतना हैरान भी हो रहा हूं कि आजकल की लड़कियां तो ऐसी कभी नहीं होगी। और फिर काव्या की झलक मुझे हमेशा पिया की मुस्कान में उसकी नियत और उसकी सादगी मिल रही है ये भगवान का कोई अद्भुत चमत्कार ही है।।जतिन ने हाथ जोड़कर कहा कि ये आपका बड़प्पन है जो आप ऐसा मानते हैं और हां ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 29

आलोक ने कहा हां, और क्या क्यों घर जाकर फिर से बनायेंगे?जतिन ने कहा हां,आदत हो गई है आपको है काव्या ने मुझे खाना बनाना सिखाया था उसकी जैसी गुरु और दोस्त मुझे कभी नहीं मिल पाया खुद को मैं बहुत भाग्यशाली मानता हु।आलोक ने कहा यह तो आपका बड़प्पन है।जतिन ने कहा हां पर साथ निभाने का जब समय आया तो काव्या चली गई उम्र ही क्या थी!आलोक ने कहा हां, सही कह रहे हैं ये अफसोस हमेशा रहेगा कि वो अकेली ही चली गई।आलेख ने कहा हां पर मैं भी तो चला गया था उनको छोड़ कर।पिया ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 30

आलोक इन्तजार करते करते आंख कब लग गई पता नहीं चल पाया।।और फिर अचानक छाया ने जगाया अरे बाबूजी देखो कौन आया है?आलोक एकदम डर कर उठ गए और फिर अपने सामने जतिन को देखते ही बोलें अरे आलेख कहां है?जतिन ने कहा अरे आलोक जी वही बताने आया हुं कि उनका बस खराब हो गया तो सब कहीं होटल में रुके हुए हैं कल सुबह सब निकलेंगे।।आलोक ने कहा ओह ये बात है शुक्रिया आपका।।जतिन ने कहा ना,जी ना। मुझे तो आना ही था।सोचा कि रात आज हवेली में गुजार दुंगा आपके साथ।आलोक ने कहा हां, ये तो ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 31

कुछ देर बाद ही दोनों एक पुलिस स्टेशन पर पहुंच गए।कुछ देर बाद ही आलोक के मित्र डी एस सिंह आ गए।और फिर आलोक ने सारी बात बताई।एस पी सिंह ने दोनों का पुरा डिटेल लिए और बोलें की बेफिक्र हो कर घर जाओ।आलोक ने कहा हां मुझे पुरा विश्वास है तुम्हारे ऊपर।फिर दोनों वहां से वापस हवेली पहुंच गए।आलोक ने कहा पता नहीं किसकी नजर लग गई।जतिन ने कहा आप परेशान मत होइए सब कुछ ठीक हो जाएगा।आलोक ने आंख बंद करके कहां हां, काव्या सब कुछ ठीक कर देंगी।छाया ने कहा ख़ाना खा लिजिए।फिर दोनों खाना खाने ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 32

आज एक महीने बीत गए पर पिया अभी तक खुद को सम्हाल नहीं पाईं और आलेख भी कहां हिम्मत वाला था उसको तो पिया को वो सब खुशी लौटाना चाहता था जिसे पिया सब कुछ गंवा चुकी थी।आलेख हर रोज कालेज जाने से पहले पिया से मिलने आता और फिर साथ ही पीले गुलाब की गुलदस्ता देकर उसे अपने प्यार का इजहार करता।पिया ने कहा हर रोज तुम ये फुल क्यों लाते हो? अगले दिन तो मुरझा जाते हैं ये।।आलेख ने कहा अरे तो क्या हुआ अगर मैं ये गुलदस्ता खरीद कर किसी को दो वक्त की रोटी मिल ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 33

गीता को पिया ने देखते ही देखते बोल पड़ी अरे आप को कैसे सब पता।गीता ने कहा मैं तुम्हारे रह कर तुम्हें कुछ समझाना चाहती हुं।फिर जतिन चाय लेकर आ गए।पिया ने कहा पापा ये क्या यहां रहेगी?जतिन ने कहा हां, बेटा तुम्हारी दोस्त।फिर सबने मिलकर चाय पिया।शायद अब पिया को भी जीने का आसरा मिल जाए जैसे एक प्यासे को कुएं की याद आती है।इस तरह से जिंदगी चलने लगी थी और फिर पिया अब हंसने, बोलने और गुनगुनाते हुए रहती थी।पता नहीं पिया का अतीत उसको क्या सिखाएगी।पर हर रोज आलेख अपनी जिम्मेदारी करते नहीं भुलता वो ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 34

अतीत के पन्ने कुछ ऐसे होते हैं जो सदियां बीत जाने पर भी निशान जाती नहीं है।बाबू ओ बाबू ना ।आलेख उठ बैठा और अपने सिरहाने राधा मासी को देखते ही खुश हो गया।आलेख ने कहा क्या मासी सपना देख रहा था पर अधूरा रह गया।राधा ने कहा अब बस कर सपना देखना तू अब सर्जन बन गया है और अभी तक उसके पीछे पड़ा है।आलेख ने कहा हां, क्या करूं प्यार किया है सच्चा वाला।।राधा ने कहा चल अब तैयार हो जा मार्केट चलते हैं।।आलेख ने कहा पर क्यों? राधा ने कहा कल जीजा जी की सालगिरह है।भुल ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 35

और फिर आलोक ने काव्या चलो ये सब पुरा करना जरूरी है ।।वरना मुझे तो मर कर भी शान्ति मिलेगी।फिर कुछ ही देर बाद सब कुछ थम सा गया एक अजीब सा दर्द सीने में उठा और फिर आलोक अपने बेटे को बुला भी न सका और फिर सब कुछ शांत हो गया।।।।दुसरे दिन सुबह काफी देर तक आलेख भी सोता रहा और राधा भी।क्या हुआ पता नहीं चल पाया।छाया ने ही आलोक को उठाने की कोशिश कि तो छाया को एक अजीब सा आभास हुआ और शरीर का ठंडा पड़ जाना देख कर बिना रुके चिल्लाने लगी बाबूजी ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 36

आलेख ने कहा मुझे लगता है कि यह एक बुरा सपना है और सपना टूट गया तो सब ठीक जाएगा।। राधा ने कहा जो भी हो अब तुझे आगे बढ़ना होगा।।आलेख ने कहा हां मैं कोशिश करूंगा मासी,राधा ने कहा मुझे भी अब वापस जाना होगा।आलेख ने कहा हां मासी।फिर दोनों मिलकर खाना खाने बैठे।फिर से सब कुछ पहले जैसा हो गया।राधा भी वापस चली गई।आलेख खुद को काम में उलझा दिया ताकि उसे उसके पापा की याद न सताएं।हवेली में स्टूडेंट्स की वजह से थोड़ी बहुत रौनक लौट आईं थीं।कोचिंग क्लास रात के नौ साढ़े नौ बजे तक ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 37

फिर हवेली पुरी तरह से दुल्हन की तरह से सज गया था।आलेख ने अपनी छोटी मां की अलमारी में सारे गहने निकाल कर सोनार को दिया और कहा कि एक अच्छी पालिश करवा लेने को कहा।।सोनार ने कहा अरे वाह कब है शादी तुम्हारी?आलेख ने कहा नहीं, नहीं मेरी शादी नहीं मेरी दोस्त की शादी है।फिर आलेख मायुस होकर वहां से चला गया।हवेली पहुंच कर देखा तो सब काम बहुत जोर तोड़ से हो रहा था।आलेख ने छोटी मां और पापा की तस्वीर के सामने पहुंच कर बोला कि आज आप दोनों का सपना पूरा हो गया है पर ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 38

आलेख की कब आंख लग गई पता नहीं चल पाया और फिर सुबह हो गई।आलेख ने देखा कि सब हो गए थे।पिया वीर के साथ हंस रही थी।आलेख मन में सोचा कि देखा छोटी मां आज पिया कितनी सुन्दर लग रही है बिल्कुल तुम्हारी छवि।।पर अब वो किसी और की अमानत है।मेरे सपने भी तुम्हारे जैसे ही है जो कभी पुरे नहीं होंगे।।फिर सब नाश्ता करने लगे।जतिन ने कहा आलेख बेटा तुमने जो किया वो हम कभी भी भूल नहीं सकते हैं।और फिर आलेख ने कहा अरे नहीं नहीं ऐसा कुछ भी नहीं किया मैंने।फिर सब जाने की तैयारी ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 39

फिर दूसरे दिन सुबह आलेख बैठ कर चाय पीने लगा था फिर देखा पिया आ गई थी।आलेख ने कहा पिया आज इतनी सुबह सुबह।।पिया ने कहा हां, क्या करूं तुमने तो मेरी जिंदगी बर्बाद कर दिया है ना।आलेख ने कहा पर हुआ क्या? जो तुमने चाहा वहीं तो किया मैंने,अब क्या मरने को कहोगी? उसके लिए भी तैयार हैं हम।।पिया ने कहा अरे नहीं नहीं ऐसा नहीं है पर मुझे तुम ही वो दे सकते हो जो चाहिए मैं और किसी के पास नहीं जा सकती।आलेख ने कहा अरे बाबा क्या चाहिए पैसे?पिया ने कहा देखो आलेख मुझे पता ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 40

मुझे न,,मैं मैं करती हूं रो रही थी।आलेख ने देखा मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं एक अच्छे डाक्टर सलाह लें सकती है।।पिया ने कहा अरे बहुत सारे डाक्टर के पास गए हम पर कुछ नहीं हुआ तो एक रात मैंने देखा मेरे पिता समान,ससुर जी मैं पास आकर बैठ गए और फिर बोले कि देखो घर की बात घर में ही रहेगी।।मैं तो यह सुनकर दंग रह गई और किसी तरह से खुद को बचा कर बाथरूम में जाकर बन्द कर के बैठ गई।आलेख ने कहा बस करो मुझे यह सब नहीं सुनना है तुमने मुझे दुख देने ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 41

आलेख पुरी रात न सो पाया।और सुबह होते ही छाया से जाकर बोला कि कुछ कोचिंग का सामान लेने होगा दिल्ली।।छाया ने कहा अच्छा ठीक है सब खाना बना कर रख देती हुं आते हुए रात होगी।।आलेख ने कहा अरे ऐसा करना कल सुबह जल्दी आ जाना।छाया ने कहा हां, ठीक है मैं अपने घर हो आऊंगी।आलेख ने कहा हां ठीक है।आलेख ने मन में सोचा हे भगवान मैंने शायद झुठ बोला।।।फिर छाया सब काम करके चली गई।कुछ देर बाद ही पिया हवेली आ गई।।और आते ही बोली कि वकील साहब आए नहीं?आलेख ने कहा हां,आ रहे हैं।क्या जरूरत ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 42

इस तरह से छः महीने गुजर गए थे।आलेख एकदम पति और पिता का फर्ज अदा कर रहा था।पिया को एहसास हो गया था कि वो एक मां बनने वाली थी।उसको अब तरह तरह की दिक्कतें आ रही थी।आलेख एक डाक्टर होने की वजह से वो वी पी,चेक और वजन कम और ज्यादा ये सब देख रहा था।आलेख ने वो सब किया एक पति करना है और एक बाप भी।।ना जाने भगवान को क्या मंजूर था जो ये सब कुछ चल रहा था।छः महीने में ही तो गोद भराई की रस्में होती है।बस एक बार मुंह से कह दो बस ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 43

आलेख ने कहा हां आज गुड़िया का अठारहवां सालगिरह है।।मुबारक हो मेरी लाडो!कैसी है तू!ये कहते हुए उसके आंखों बहते हुए आंसु पोंछते हुए कहा पता नहीं क्यों आज फिर से जीने का दिल कर रहा है।छाया को गुजरे चार साल हो गए पर मैं अभी तक जिन्दा ही हु छोटी मां।ना जाने किसका आसरा है मुझे फिर से कोई आने वाला है इस हवेली में शायद।शाम की बहन अब टिफिन लेकर आती है।चाय तो मैं खुद ही बना लेता हूं छोटी मां।।कुछ देर बाद ही दरवाजे पर दस्तक हुई।मैं जल्दी से दरवाजा खोला तो सामने देखा जतिन अंकल ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 44

फिर शाम का समय हो गया था नव्या दुल्हन बनी बैठी हुई थी ।कुछ देर बाद ही बारात आ भी वहां पर मौजूद था।कुछ देर बाद ही वर वधू को पंडित जी ने बुलाया।वर माला होने के बाद ही कन्यादान के लिए आलेख को लेकर पिया मंडप पर पहुंच गई।आलेख की जिंदगी जैसे इस पल के लिए ही रूकी हुई थी।आलेख ने एक पिता का फर्ज अदा किया नव्या का हाथ शुभम के हाथों दे दिया।कन्यादान महादान कहते हैं एक पिता का जीवन तभी सार्थक होता है जब वो अपनी बेटी का कन्यादान करता है।नव्या मुस्कान लिए हंसती रही ...और पढ़े

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अतीत के पन्ने - भाग 45 (अंतिम भाग)

पिया और नव्या दूसरे दिन सुबह तैयार होकर निकल पड़े।।शाम तक हवेली भी पहुंच गए।पिया ने कहा वर्षों के यहां आ गई पर आलेख नहीं है कहीं भी।।फिर देखा कि शाम सब कुछ सम्हाल कर रखा था।शाम ने कहा आइए आप लोग पहले नहा लीजिए फिर नाश्ता करने आइएगा।नव्या इधर उधर देखने लगी थी उसे कुछ अजीब सा लग रहा था जैसे वो पहले भी आई थी यहां।नव्या ने कहा अरे वो बैठक में एक आराम कुर्सी हुआ करती थी?पिया भी आश्चर्य से देखी और फिर बोली अरे तुम्हें कैसे पता?नव्या ने कहा पता नहीं मुझे ऐसा लगा।।शाम ने ...और पढ़े

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