Mahanpur ke neta book and story is written by Pranjal Saxena in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Mahanpur ke neta is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
महानपुर के नेता - उपन्यास
Pranjal Saxena
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
नारद के बताए अनुसार पनकी ने रेडियो को रेवती दादा के आगे रख दिया और बटन दिखाकर कहा– “दादा आप चालू करो।”दादा ने कहा– “संझा की चौपाल तभी जमती है जब झमरूआ का गाना और तुम्हारी सदबातें हों। इस रेडियो की क्या जरूरत थी? क्या तुम्हें उन पुस्तकों पर भरोसा नहीं रहा जो तुम पढ़ते हो या फिर झमरूआ का गाना तुम्हें बुरा लगने लगा।”पनकी ने कहा– “नहीं दादा, ऐसा कुछ नहीं है। पुस्तकें तो हम पढ़ना नहीं छोड़ सकते। बस ये चुनाव की भागादौड़ी में नहीं पढ़ पा रहे। सोचा कि तारतम्य न टूटे इसलिए रेडियो ले आए। वैसे
नारद के बताए अनुसार पनकी ने रेडियो को रेवती दादा के आगे रख दिया और बटन दिखाकर कहा– “दादा आप चालू करो।”दादा ने कहा– “संझा की चौपाल तभी जमती है जब झमरूआ का गाना और तुम्हारी सदबातें हों। इस ...और पढ़ेकी क्या जरूरत थी? क्या तुम्हें उन पुस्तकों पर भरोसा नहीं रहा जो तुम पढ़ते हो या फिर झमरूआ का गाना तुम्हें बुरा लगने लगा।”पनकी ने कहा– “नहीं दादा, ऐसा कुछ नहीं है। पुस्तकें तो हम पढ़ना नहीं छोड़ सकते। बस ये चुनाव की भागादौड़ी में नहीं पढ़ पा रहे। सोचा कि तारतम्य न टूटे इसलिए रेडियो ले आए। वैसे