Surju Chhora book and story is written by Kusum Bhatt in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Surju Chhora is also popular in लघुकथा in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
सुरजू छोरा - उपन्यास
Kusum Bhatt
द्वारा
हिंदी लघुकथा
..... तो एक ठहरी जिद के तहत सुरजू ने निर्णय लिया और गांव में मुनादी पिटा दी....
भूकंप आ गया गांव में.....! गोया सुरजू ने पृथ्वी तल पर घुस कर धीरे से खिसका दी हो प्लेट...., गांव के बाशिन्दों की पचतत्वांे की काया थर थर कांपने लगी, प्रत्येक को स्थिर रखना नामुमकिन लगने लगा खुद को.....
..... तो एक ठहरी जिद के तहत सुरजू ने निर्णय लिया और गांव में मुनादी पिटा दी....
भूकंप आ गया गांव में.....! गोया सुरजू ने पृथ्वी तल पर घुस कर धीरे से खिसका दी हो प्लेट...., गांव के बाशिन्दों की ...और पढ़ेकी काया थर थर कांपने लगी, प्रत्येक को स्थिर रखना नामुमकिन लगने लगा खुद को.....
आकाश छूने की कोशिश में है कमबख्त! ‘‘पवित्रा उन विस्फारित आँखों को देख रही है।
‘‘माँ, मुझे बुखार क्यों नी आता?’’ लाटे ने एक रात पूछ ही लिया था बचपन में, वह एक ठण्डी शाम थी, जब गांव में बर्फीली ...और पढ़ेचलने से कई बच्चे और बड़े बीमार हो रहे थे। पवित्रा उन घरों में सेवा करने जाती स्त्रियाँ पूछती’’ तेरा सुरजू तो ठीक है न...? ‘‘उन्हें विश्वास ही नहीं होता जब गांवों में बीमारी, महामारी सी फैली हो, एक अकेला सुरजू कैसे अछूता रहा सकता है।
तो घूमते हुए समय के पहिये के साथ उदय होने लगा था सूरजू का सूरज..., उसे बाजार में उतरना था अपनी कला को लेकर इसके लिये पूंजी की जरूरत थी, मां ने बकरियों की टोली बेचकर जुगाड़ किया और ...और पढ़ेबन गया ‘‘कजरी बुटीक’’ का मालिक।
गहरी साजिश! सुरजू का चेहरा जलता अंगारा जैसे हो गया।
कजरी, सुरजू के चेहरे पर आग देखकर बर्फ का फोहा रखती....
दो साल पहले का दृश्य धुंध के बीच से उगने लगा... पुजारी के चेहरे पर एक और चेहरा लगा है जो बाहर वाले को अपना कुरूप दिखने नहीं देता, उस समय एक पूरी रात उन्हें नींद नहीं आई बार-बार ...और पढ़ेबदलते और सिटकनी खोलकर बाहर बरामदे में खड़े रहते उनकी दृष्टि सामने पड़नी हुई ऊँचे टीले पर सुरजू का मिनी बंगला ठहरा, जिसके आगे चमकता सौ वाट की रोशनी में एक नया नाम ‘‘सूरज प्रकाश’’ पुजारी की आँखें चुंधियाने लगी छाती के बीच काले बादलों की कड़कड़ाहट ‘‘शाले..... पैंतीस वर्ष देश की राजधानी में गजिटेड होने के बावजूद गांव में ऐसा घर नहीं बना पाये ये हाथी पांव वाला दर्जी इसकी औकात तो देखो.....