Aai to aai kaha se book and story is written by Dr Sudha Gupta in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Aai to aai kaha se is also popular in बाल कथाएँ in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
आई तो आई कहाँ से - उपन्यास
Dr Sudha Gupta
द्वारा
हिंदी बाल कथाएँ
आरुषि ........ आरुषि ........
हाँ मम्मा, मैं यहाँ हूँ l अपनी गुड़िया के साथ खेल रही हूँ l
अच्छा, अच्छा अब जल्दी से तैयार हो जा, शाम हो गई है, चल मैं तेरी चोटी गूँथ दूँ l
हाँ, पहले मेरी कविता तो सुन लो -
बड़े मजे की गुड़िया मेरी,
आँखें गोल - गोल मटकाती l
धीरे - धीरे गाना गाती,
चलने में करती है देरी l
नाक है इसकी टेढ़ी - मेढ़ी,
बड़े मजे की गुड़िया मेरी l
अरे, वाह ! आरुषि तुम्हारी गुड़िया ने तो तुम्हें कविता लिखना सिखा दिया l
आरुषि ........ आरुषि ........
हाँ मम्मा, मैं यहाँ हूँ l अपनी गुड़िया के साथ खेल रही हूँ l
अच्छा, अच्छा अब जल्दी से तैयार हो जा, शाम हो गई है, चल मैं तेरी चोटी गूँथ दूँ l
हाँ, पहले ...और पढ़ेकविता तो सुन लो -
बड़े मजे की गुड़िया मेरी,
आँखें गोल - गोल मटकाती l
धीरे - धीरे गाना गाती,
चलने में करती है देरी l
नाक है इसकी टेढ़ी - मेढ़ी,
बड़े मजे की गुड़िया मेरी l
अरे, वाह ! आरुषि तुम्हारी गुड़िया ने तो तुम्हें कविता लिखना सिखा दिया l
गर्मी की छुट्टियों में माँ ने पिकनिक पर चलने का कार्यक्रम बनाया l आरुषि बोली - क्यों ना माँ, इस बार मेरे सारे दोस्तों को भी साथ ले चलते हैं, अकेले - अकेले तो मजा नहीं आएगा l सब ...और पढ़ेमस्ती कर लेंगे और कुछ प्रोग्राम भी करेंगे जैसे गीत, कहानी, चुटकुले l
किसको ले चलोगी आरुषि ?
प्रिंस, टीना, मीना, मनीष, आयुष, नीरज, पंकज, ऋतु, नीतू बस l
अरे, और मीनाक्षी को ?
नहीं मीनाक्षी को नहीं, वो तुतलाती है और मुझे उसका नाम भी अच्छा नहीं लगता l
सुबह सारे बच्चे देर से जागे l पंकज नहा - धोकर प्रिंस के घर आ गया l
प्रिंस, क्या तू अभी तक तैयार नहीं हुआ ?
होता हूँ यार, अब आलस छोड़ना पड़ेगा l
छुट्टियां ख़त्म होने को दो ...और पढ़ेचार दिन ही शेष बचे हैं, तूने सारा होमवर्क कर लिया क्या ?
हाँ, कर तो लिया लेकिन, वो साइंस टीचर का प्रोजेक्ट अधूरा है l
मेरा भी l वो साइंस टीचर भी पूरे ........ लेंडगे ( जमीं पर गए ) .......
छुट्टियां समाप्त हो गईं और स्कूल प्रारम्भ हो गए l सुबह जल्दी उठकर आरुषि तैयार हो गई l फटाफट बैग चैक किया l माँ ने टिफिन लगाया, आरुषि की सुन्दर चोटी गूँथ दी l कक्षा चौथी का आज ...और पढ़ेदिन था l स्कूल में प्रवेश उत्सव हो रहा था l पूरा विद्यालय साफ़ - सुथरा दिख रहा था l सभी शिक्षक और छात्र - छात्राएं उत्साह से भरे हुए थे l शिक्षक कक्षा एक के नन्हें - मुन्ने विद्यार्थियों का तिलक लगाकर स्वागत कर रहे थे l टीना मीना मीनाक्षी एक दूसरे से खिलखिलाकर मिल रही थीं l अभी विद्यालय में प्रार्थना के लिए दस मिनिट शेष थे तब तक सब दोस्त आपस में मिल रहे थे l प्रिंस ने आरुषि से कहा -
आरुषि ने कहा - माँ, कहानी l
ओफ्फो, आज ऐसे ही सो जाओ l
न न, न्यू कहानी l
कहाँ से लाऊँ न्यू कहानी ?
अरे, दादी से ले लिया करो ना l
अच्छा, छोटी सी कहानी सुनाती हूँ जो ...और पढ़ेसे ही ली है, फिर सो जाना l
ठीक है l
एक बार एक उल्लू ने चमगादड़ से कहा - सबेरा कैसा होता है ?