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आरुषि - उपन्यास
Ashish Jain
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
पहला इश्क़ आपको प्यार में पड़ना सिखाता है, दूसरा इश्क़ प्यार करना सिखाता है। पहला इश्क़ उस आदमी की मेहनत कि तरह है जो एक बीज को उगाने के लिए करता है और दूसरा इश्क़ उस पौधे की तरह जो उस आदमी के घर को बाग करता है।खैर, अपने साथ भी ये पहले इश्क़ वाली कहानी हुई, जो कि अब बहुत पुरानी हुई। अब वो ही घिसी पिटी कहानी, बंदी आयी छोड़ कर चली गयी। अब थोड़ी बहुत अपनी गलती तो थी ही जो अपन ने कभी नही मानी, पर इतनी भी नही कि उसने जाने की ही ठानी। अब
पहला इश्क़ आपको प्यार में पड़ना सिखाता है, दूसरा इश्क़ प्यार करना सिखाता है। पहला इश्क़ उस आदमी की मेहनत कि तरह है जो एक बीज को उगाने के लिए करता है और दूसरा इश्क़ उस पौधे की तरह ...और पढ़ेउस आदमी के घर को बाग करता है।खैर, अपने साथ भी ये पहले इश्क़ वाली कहानी हुई, जो कि अब बहुत पुरानी हुई। अब वो ही घिसी पिटी कहानी, बंदी आयी छोड़ कर चली गयी। अब थोड़ी बहुत अपनी गलती तो थी ही जो अपन ने कभी नही मानी, पर इतनी भी नही कि उसने जाने की ही ठानी। अब
वो:- कुछ बता सकते हो आहिरा के बारे में..?मैं:- कुछ जान सकता हूँ.. मैं तुम्हारे बारे में..?वो:- पूछो..! क्या जानना चाहते हो मेरे बारे में..?मैं:- तुमने मुझे पसंद क्यों किया..? मैं इतना good looking भी नही हूँ कि एक ...और पढ़ेमें ही लड़की पसंद कर ले, और ना ही इतना फेमस हूँ कि लड़कियां मुझ पर मरे..!वो:- मुझे good looking और फेमस लोग पसंद नहीं है..!मैं:- अगर कल को मैं फेमस हो गया तो छोड़ दोगी मुझे..!वो:- अगर मेरे सामने अपना fame दिखाया तो..!मैं:- और तुम अपनी सहेलियों को दिखाओगी वो..!वो:- वो मेरा right होगा..!मैं:- ये सब छोड़ो.. बताओ ना
Yrr, I can't.. you don't love me.. I think is distance ne humare relation me bhi distance la di, you take ur space 'aarav'.. love u so much my writer..!Your aarushiAre..! Aaru yaar, sab sahi ho jayega.. or new ...और पढ़ेko aa raha hu na me, jo chut gya in distance me vo mil jayega...But I know ye sirf usee rokne ke liye meri dilasa thiUsee mere time me se time na de pana meri hatasha thiAarav, I don't want that u talk to me every moment, bt aarav i want that u talk to me a single moment with
"मोह्हबत में बुरी नियत से कुछ सोच नही जाता, बेवफ़ा कहा तो जाता है, मगर समझा नही जाता..!" ...और पढ़े (वसीम बरेलवी) ऐसा ही कुछ हो रहा था मेरे साथ उस समय..! दोस्तों की मंडली बैठती थी.. सब मिल कर मेरा मजाक उड़ाते थे..! यार.. काट गयी वो तेरा.. देख कैसा छोड़ गई वो तुझे.. बहुत बोलता था न वो ऐसी है, वो वैसी है.. पता चल गया न कैसी है..! मैं भी वहां कह देता था, हां यार.. बेवफ़ा निकली वो..! छोटी सी बात पर चली गयी..! लेकिन ये सिर्फ होंठ कह रहे थे, दिल मे तो तब भी वो
【 घर के अंदर】 अरे फटाफट तैयार हो गयी.. फर्स्ट डेट जितना टाइम नही लगाया आज सजने में..! (आरव) मेरे मेकअप से प्यार है या मुझसे...!(आरुषि) ना तुमसे है ना मेकअप से.. तुम्हारे अंदर जो मैं हूँ उससे है..! ...और पढ़ेबड़े स्वार्थी हो यार.. प्यार भी खुद से ही करते हो.. चलो अब बाहर डोर लॉक कर देना..! (आरुषि) जी मेमसाहब..!(आरव) 【 राजीव चौक पार्क 】 बहुत दिन हो गए ना ऐसे कही बाहर एक-दूसरे के साथ चलते हुए..!(आरुषि) [ लाइफ में इतना busy हो गए थे कि मैंने आरुषि की दुनिया को घर से ऑफिस और ऑफिस से घर