Love Contract book and story is written by Manshi K in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Love Contract is also popular in प्रेम कथाएँ in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
Love Contract - उपन्यास
Manshi K
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
घड़ी की सुइयों के साथ भागता ये वक़्त कितना जल्दी - जल्दी ख़तम हो गया , हमें तो पता भी नहीं चला कब छुट्टियां ख़तम हो गई थी
उन बगीचों में फूलों का खुशबू , तितलियों के साथ खेलना वो भी क्या बचपन था ?? थोड़ा उसके साथ लड़ना , एक दूसरे से रूठ जाना फिर एक - दूसरे को माना । मानो कल ही तो ये सब हो रहा था आंखों के सामने जैसा सब याद है मुझे ।
आस - पास के लोगों को कितना परेशान करते थे हम दोनों मिलकर , चुपके चुपके अपने - अपने घर से निकलकर छुपकर फूलों के बीच खेलना और शाम होते ही दादी मां के पीछे - पीछे मंदिर में जाकर शाम की आरती में शामिल होना ... फिर आरती के समय चड़ावे में से कुछ पैसे चुराकर अगले दिन सुबह - सुबह उठकर सबसे पहले डॉग्स को बिस्किट और ब्रेड खिलाना ।
घड़ी की सुइयों के साथ भागता ये वक़्त कितना जल्दी - जल्दी ख़तम हो गया , हमें तो पता भी नहीं चला कब छुट्टियां ख़तम हो गई थी उन बगीचों में फूलों का खुशबू , तितलियों के साथ खेलना ...और पढ़ेभी क्या बचपन था ?? थोड़ा उसके साथ लड़ना , एक दूसरे से रूठ जाना फिर एक - दूसरे को माना । मानो कल ही तो ये सब हो रहा था आंखों के सामने जैसा सब याद है मुझे । आस - पास के लोगों को कितना परेशान करते थे हम दोनों मिलकर , चुपके चुपके अपने - अपने घर
सुबह - सुबह का वक़्त और वो तितलियों की तरह बगों में घूम रही थी , उसका बचपन वाली आदतें अभी गई नहीं थी । लेकिन बहुत कुछ बदल गया है । जिंदगी ने छोटी सी जिंदगी में बहुत ...और पढ़ेसे वाकिफ करवाया । जब 8 साल की हुई , एक कार एक्सिडेंट में मां का साथ छूट गया ....। कुछ वक़्त गुजर जाने के बाद अचानक से पापा का साया भी सर से छीन गया । चाचा - चाची भी उस पर चोरी का इल्ज़ाम लगा कर घर से बाहर नि काल फेका । लेकिन कहते है न जिसका
अब हम अपनी कहानी पर आते है , अरुण मितल ( रिवान के पिता जी ) - जो एक नंबर के लालची आदमी , पैसों का घमंड , गरीबों को कुछ न समझने वाले लेकिन शहर के बहुत बड़े ...और पढ़ेमें गिने जाते थे । ' फोन पर बात करते हुए रिवान बेटा तुम एयरपोर्ट पहुंच गए ? ड्राइवर तुम्हे लेने गया है तुम परेशान मत होना । वो तुम्हे पहचानता है ख़ुद तुम्हारे पास पहुंच जाएगा । रिवान ड्राइवर का इंतेज़ार कर रहा था , ' विराज ' - क्या बात है मेरे शेर ? आज तुम्हारे चेहरे पर
आदिया सामने से कुछ लोगों को आते हुए देख घबरा कर वहां से झटके में निकलने की सोची , अपने साईकिल का रफ्तार तेज़ की आगे बढ़ने लगी । मन ही मन सोच भी रही थी , काश ! ...और पढ़ेकही से मेरे सामने आता 15 साल हो गए है , आज तक इस घर में कोई रहने नहीं आया पता नहीं कहां चला गया । यहां तो अपने नानी मां के साथ रहता था लेकिन उसका घर कहां था ? उसके मम्मी पापा कौन थे इसके बारे में मुझे कुछ नहीं पता है । क्या आज भी मुझे वो
विराज को कार में जा कर बैठने के लिए कहता है , दौड़ते हुए एक घर के पास पहुंचा मेन गेट पर ताला देखकर अपना मुंह लटकाए कार में अा कर चुप चाप बैठ जाता है । अंकल आप ...और पढ़ेके तरफ कार को ले लो । अरुण मितल अपने बेटे के अभी तक घर न पहुंचने पर बखौलाए हुए थे बहुत ज्यादा ही गुस्से में थे । सावरी मितल (अरुण मितल की धर्म पत्नी ) अपने पति को गुस्से में देख कर ' अरे अब आपको क्या हुआ जी टमाटर की तरह लाल क्यों हुए हैं ? ' आता