Pehla Pyar book and story is written by Kripa Dhaani in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Pehla Pyar is also popular in प्रेम कथाएँ in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
पहला प्यार - उपन्यास
Kripa Dhaani
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
राज के जन्मदिन के दिन उसकी पत्नी बेला एक मैसेज छोड़कर कहीं चली गई। राज जब उसे खोजने निकला, तो राज के लिए एक राज़ इंतज़ार कर रहा था। क्या था वो राज़? पढ़िए राज और बेला की भावनात्मक प्रेम कहानी पहला प्यार। बिना लेखक की अनुमति के इस नॉवेल/कहानी या इसके किसी भी अंश की कॉपी और रिकॉर्डिंग किसी भी माध्यम में प्रकाशित न करें।
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2 फरवरी 1987कोहरे की चादर लपेटे जाड़े की अलसाई सुबह सूरज की झिलमिलाती किरणों के इंतज़ार में थी। चाय की चुस्कियों और अख़बार की सुर्ख़ियों के साथ दिन का आगाज़ हो चुका था। मुँह अंधेरे सैर पर निकले कई ...और पढ़ेघरों को लौट रहे थे, तो कई जाने की तैयारी में थे।इन सबसे जुदा राज कंबल में दुबका दीन-दुनिया से बेख़बर मीठी नींद में समाया हुआ था। एकाएक साइड टेबल पर रखी घड़ी का अलार्म बज उठा और उसकी मीठी नींद में खलल पड़ गई। उसने आँखें खोलने की ज़हमत नहीं उठाई। नींद की ख़ुमारी में आँखें मूंदे-मूंदे ही बोला,
'बड़ी अजीब हो बेला तुम और आज तो रहस्यमयी भी लग रही हो।' राज के होंठ बुदबुदा उठे।राज और बेला का प्रेम विवाह हुआ था। लव मैरिज! अरेंज मैरिज के उस दौर में लव मैरिज आसान नहीं थी। मगर ...और पढ़ेशुरुवात से ही मॉडर्न ख़यालातों का आदमी था। उसके रंग-ढंग देखकर और सोच-विचार जानकर उसके माँ-पिताजी भी समझ गए थे कि वो लड़का उनकी पसंद की किसी लड़की से शादी करने से रहा। इसलिए उन्होंने ये ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर लेने के बजाय उसके कंधे पर ही डाल दी थी। वह ख़ुद को किस्मत का धनी मानता था, जो उसकी
दिन बीतने लगे और ऑफिस के बोरिंग रूटीन में बंधकर राज पेन फ्रेंड की बात भूल गया। मगर शायद तक़दीर मेहरबान थी। एक दिन जब वह ऑफिस से घर लौटा, तो फर्श पर पड़ा गुलाबी रंग का एक लिफ़ाफा ...और पढ़ेआया, जो यक़ीनन डाकिया दरवाज़े के नीचे से अंदर सरका गया था। उसने लिफ़ाफ़ा उठाया। वह उसके ही नाम था। प्रेषक के नाम की जगह लिखा था - 'बेला!' नाम पढ़कर ही उसके दिल में एक हलचल हुई। लिफ़ाफा खोलने के पहले ही उसका यक़ीन पुख्ता हो चुका था कि ये ख़त ज़रूर उस पत्रिका में उसका नाम-पता देखकर भेजा
राज को कुमार गौरव से जलन हो रही थी। जलन क्या? उसे तो उस पर बेतहाशा गुस्सा आ रहा था। गुस्सा निकालने का बड़ा अजीब तरीका निकाला उसने। पुराने अखबारों के ढेर में तीन घंटे सिर खपाकर रविवार के ...और पढ़ेमें से उसने कुमार गौरव की तस्वीर ढूंढ निकाली और उसे काटकर अलग रख लिया। वह उस तस्वीर को जलाकर अपने दिल में सुलग रही जलन की आग को बुझाना चाहता था।मगर जाने क्या हुआ कि वह उस तस्वीर को जलाने के पहले आईने के सामने खड़ा हो गया और तस्वीर में दिख रहे कुमार गौरव से ख़ुद की तुलना
बेला ने राज के लिए छोड़े कागज़ के पुर्ज़े में कब्रिस्तान का पता देते हुए लिखा था – ‘उस कब्र पर चले आना, जिस पर सफेद गुलाब रखा हो।‘ अब उस कब्र के सामने खड़े होकर राज यादों की ...और पढ़ेको एक बार फिर जोड़ रहा था।बेला के उस ख़त का जवाब उसने कुछ यूं दिया था -'अगर मुझे प्यार करने की हिम्मत होगी, तो प्यार हासिल करने की भी। वैसे मेरा परिवार सपोर्टिव है, इसलिए बग़ावत की ज़रूरत मुझे कभी नहीं होगी। वैसे वे सपोर्टिव इसलिए भी है, क्योंकि जानते हैं कि मैं कभी उनके ख़िलाफ़ नहीं जाऊंगा और