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अधूरा अहसास.. - उपन्यास
Rahul
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
नमस्ते ....आंटी जी ..
नमस्ते बेटा कैसे हो।?
मैं ठीक हूं आंटीजी आप कैसे हो.?
मैं भी बढ़िया हूं.!
राधिका कहा है.?
वो अपने कमरे बैठी होगी बेटा...जी
कहकर अनामिका राधिका के कमरे के तरफ निकल पड़ी
नही !..
आज मुझे कॉलेज नही आना है।
मगर क्यों? राधिका.?
उलझन भरे स्वर में अनामिका ने राधिका से ये प्रश्न किया....आज तो हमारा क्लास टेस्ट है.और वंशिका maam ने किसी को भी छुट्टी लेने से मना किया है। पता है न तुम्हे.?
हा....यार पता तो है..मगर मैं क्या करू .??
मेरी तो पढ़ाई भी कुछ भी नही हुई है..मैं क्या लिखूंगी पेपर में ..सोचकर मुझे बड़ी बेचैनी सी हो रही है ..अनामिका।
.नमस्ते ....आंटी जी ..नमस्ते बेटा कैसे हो।?मैं ठीक हूं आंटीजी आप कैसे हो.?मैं भी बढ़िया हूं.!राधिका कहा है.?वो अपने कमरे बैठी होगी बेटा...जी कहकर अनामिका राधिका के कमरे के तरफ निकल पड़ीनही !..आज मुझे कॉलेज नही आना है।मगर क्यों? ...और पढ़ेभरे स्वर में अनामिका ने राधिका से ये प्रश्न किया....आज तो हमारा क्लास टेस्ट है.और वंशिका maam ने किसी को भी छुट्टी लेने से मना किया है। पता है न तुम्हे.?हा....यार पता तो है..मगर मैं क्या करू .??मेरी तो पढ़ाई भी कुछ भी नही हुई है..मैं क्या लिखूंगी पेपर में ..स
..... निरंजन अब परेशान होने लगा था।उसे जिन चीजों की कीमत मालूम थी,वो तो आसानी से बता देता था।मगर,कुछ चीजों के लिए उसे राजेश को फोन करना पड़ रहा था।मगर इस महाशय ने तो अपना मोबाइल ही बंद कर ...और पढ़ेथा।राजेश ने निरंजन को आधे घंटे में वापस आने के वादे पर उसे ,अपने दुकान में बैठने को कहा था। राजेश और निरंजन साथ में पढ़ते थे।राजेश ने पढ़ाई बीच में ही रोककर आपने पिता के व्यवसाय को संभालना शुरू किया था।और निरंजन खुशहाल परिवार से था तो,उसे फिलहाल इस बात को कोई चिंता नहीं थी।वह तो अपनी एकेडमिक लाइफ