Picnic book and story is written by Kamini Trivedi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Picnic is also popular in प्रेम कथाएँ in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
पिकनिक - उपन्यास
Kamini Trivedi
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
आज सुबह से दिल में उत्साह था । पता नहीं क्यों पिकनिक के नाम से दिल बच्चा बन जाता है । आज मै अपने परिवार के साथ पिकनिक जाने वाली हूं । मेरे सास , ससुर, ननद, नंदोई उनके दो बच्चे , मै , मेरे पति और मेरे दो बच्चे इतना सा है मेरा परिवार ।
असल में तो मैं दो बच्चो की मां हूं । लेकिन आज मुझे मेरे बच्चों को उत्साहित देख कर मेरे बचपन की याद आ गई ।
बात पुरानी है पर जैसे स्मृतियों में कल ही की बात हो । मै १४ वर्ष की थी । और स्कूल से पिकनिक के लिए शहर से बाहर लेकर जाने वाले थे । मेरे पिताजी बहुत पुराने खयालात के थे । उनके हिसाब से लड़कियों का इस तरह बाहर जाना देश के साथ गद्दारी करने जैसा या कानून तोड़ने जैसा अपराध था । अगर इसके लिए कोई कानूनी सजा होती तो वो स्कूल वालों को सबसे पहले जेल मै डाल देते । वैसे भी हमारे देश में जितनी स्वतंत्रता बेटों को दी जाती है बेटियों को नहीं ।
आज सुबह से दिल में उत्साह था । पता नहीं क्यों पिकनिक के नाम से दिल बच्चा बन जाता है । आज मै अपने परिवार के साथ पिकनिक जाने वाली हूं । मेरे सास , ससुर, ननद, नंदोई उनके ...और पढ़ेबच्चे , मै , मेरे पति और मेरे दो बच्चे इतना सा है मेरा परिवार । असल में तो मैं दो बच्चो की मां हूं । लेकिन आज मुझे मेरे बच्चों को उत्साहित देख कर मेरे बचपन की याद आ गई । बात पुरानी है पर जैसे स्मृतियों में कल ही की बात हो । मै १४ वर्ष की थी
अंकित से मेरी बात आज पहली बार हुई वो भी कॉपी पर लिख कर हमने बात की । मैने उसकी आवाज़ नहीं सुनी थी । और कभी बात करने की जरूरत भी नहीं पड़ी । कॉपी पर हम बात ...और पढ़ेलिया करते थे लेकिन पता नहीं क्यों मै उससे बात करने में कतराती थी और वह भी शायद थोड़ा घबराता होगा । इसलिए हमारी रूबरू बात नहीं होती थी । एक दिन मै अंजलि के साथ खड़ी थी तब आकर उसने अंजलि से कुछ नोट्स के बारे में बात की थी तब मैंने उसकी आवाज़ सुनी । बहुत सुरीली आवाज़
रात भर मै उसी की बाते याद करती रही उसका मुस्कुराता चेहरा आंखों के आगे घूमता रहा उसके साथ बिताए पल याद आते रहे । अगले दिन हम लोगों ने म्यूजियम देखा । हम साथ घूमे । म्यूजियम की ...और पढ़ेचीजे देखने और उनके बारे में सारी जानकारी इकट्ठा करने में पूरा दिन निकल गया । हम सब थक कर चूर हो चुके थे । यहां तक कि सारे टीचर्स भी । सभी टीचर्स एक अच्छी जगह देखकर म्यूजियम के बाहर बैठ गए । सभी लोगो ने कहीं ना कहीं डेरा जमा लिया था । मै ,अंजलि, अंकित और रमन