रात भर मै उसी की बाते याद करती रही उसका मुस्कुराता चेहरा आंखों के आगे घूमता रहा उसके साथ बिताए पल याद आते रहे ।
अगले दिन हम लोगों ने म्यूजियम देखा । हम साथ घूमे । म्यूजियम की सभी चीजे देखने और उनके बारे में सारी जानकारी इकट्ठा करने में पूरा दिन निकल गया । हम सब थक कर चूर हो चुके थे । यहां तक कि सारे टीचर्स भी ।
सभी टीचर्स एक अच्छी जगह देखकर म्यूजियम के बाहर बैठ गए । सभी लोगो ने कहीं ना कहीं डेरा जमा लिया था ।
मै ,अंजलि, अंकित और रमन म्यूजियम के बाहर गार्डन कि तरफ चले गए । चलते चलते हम थोड़ा दूर निकल गए । अंजलि और रमन वहीं एक पेड़ के पीछे बैठ गए वहां बहुत कम लोग आ जा रहे थे । मै और अंकित दूसरे पेड़ के पीछे बैठ गए ।
हम दोनों बाते करने लगे । अंकित ने मुझसे पूछा
"तुम्हे मै पसंद हूं?"
मै उस वक़्त थोड़ा घबरा गई मुझे कुछ अजीब सा लगने लगा मैंने कोई जवाब नहीं दिया तो उसने मेरे हाथों को अपने हाथों में लेकर कहा, "आई लव यू"
मैंने अपना हाथ छुड़ा लिया। उसे मेरा ऐसा करना अच्छा नहीं लगा वह मायूस होते हुए उठा और सॉरी बोलकर जाने लगा मुझसे उसका इस तरह नाराज़ होना बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मैं झटके से उठी और उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक लिया वह पलटा और उसने गुस्से से मुझे देख कर हाथ छुड़ा लिया मैंने उसे गले से लगा लिया और कहा ,"सॉरी,,आई लव यू टू"
उस पल में मेरे दिल की धड़कनों की स्पीड शायद सामान्य से १० गुना ज्यादा होगी ।
उसने अपनी बाहों से घेरा बनाकर मुझे पकड़ लिया ।
तभी हमारे एक टीचर जी वहां आ गए हमे ढूंढ़ते हुए। उन्होंने हमें इस तरह देख लिया। फिर तो उनका भाषण शुरू हो गया। उन्होंने अंकित से कहा ,"अंकित क्या ये सब करने आते हो तुम्हे तो मै कितना सीधा समझता था स्कूल में कभी तेज़ आवाज़ में बोले तक नहीं और अभी ये सब,,"
मेरे मन में खयाल आया कि तेज़ आवाज़ में ना बोलने ओर बाहों मै भरने का तालमेल क्या था पर टीचर जी से मै बहस केसे करती ।
"और तुम मानसी,,, तुम भी आज तक कभी ऐसी किसी बात मै मैंने तुम्हारा नाम नही सुना था मुझे बड़ा गर्व था तुम पर लेकिन तुम भी ,,, ये कोई उमर है ये सब करने की??"
मेरे मन में फिर खयाल आया ,अगर ये उमर नहीं है तो क्या आपकी उम्र में आकर हम प्यार मुहब्बत करेंगे टीचरजी यही तो उमर होती है इसकी।लेकिन मुंह तो मै खोल नहीं सकती थी आखिर गलती करते पकड़े गए थे।
अगले दिन स्कूल में अंकित के माता पिता और मेरे माता पिता को निमंत्रण मिला । मेरी जान तो हलक तक आ गई अब ना जाने क्या होगा।
टीचर जी ने ये बात किसी को नहीं बताई थी ना ही प्रिंसिपल सर को क्योंकि हम दोनों को वो पसंद करते थे हम दोनों पढ़ने मै होशीयार थे वो एक चांस देना चाहते थे उन्हें लगा शायद इस उम्र में ये सब होता है अगर समझाएंगे तो समझ जाएंगे।
टीचर जी ने मेरे पापा से कहा, " देखिए मानसी होनहार है और बहुत अच्छी भी । मै जो बात आपको बताऊंगा उससे आप इसके साथ गलत व्यवहार ना करे समझाएंगे समझ जाएगी।"
"आखिर बात क्या है?"पिताजी ने उत्सुकता से पूछा।
"जी कल पिकनिक पर अंकित के साथ घूम रही थी हाथ मै हाथ डाले मुझे कुछ ठीक नहीं लगा था मैंने आपको बताया बस इसे समझाइए की इस तरह लड़को का हाथ पकड़ कर घूमना सही नहीं।"
"जी बिल्कुल" पिताजी ने टीजरजी से कहा उनसे माफी मांगते हुए मुझे गुस्से से देखा । लुक तो ऐसा था कि तू घर चल फिर तेरी आरती उतारता हूं।
मैं डर रही थी तभी अंकित ने मेरे पापा से कहा, " अंकल मैं प्यार करता हूं मानसी से"
पापा ने उसे चांटा मारने के लिए हाथ उठाया था कि वह बोला, " आप जो बोलोगे करूंगा लेकिन आपको बताना चाहता हूं कि मै कोई बच्चो वाला प्यार नहीं करता उससे जो अक्सर इस उमर में हो जाता है मै सारी ज़िन्दगी उसके साथ रहना चाहता हूं"
पिताजी को उसकी बात में काफी गंभीरता दिखी तो मारना उन्हें सही नहीं लगा उन्होंने कहा," बेटा ये उमर में सब ऐसा ही लगता है । अभी गरम खून है ना जोश में बोल रहे हो । फिर कल को पहचानोगे भी नहीं इसको।"
"नहीं अंकल ऐसा नहीं होगा"
"अंकित" अब अंकित के पापा चिल्लाए। सबको वह एक १४ साल का बच्चा लग रहा था । लेकिन पता नहीं उसमे इतनी हिम्मत कहा से आ गई थी ।
मेरा तो हाल बेहाल था । पहली बार कहीं जाने की अनुमति मिली थी अब शायद पिताजी कभी कहीं जाने नहीं देंगे । हाय रे मेरी किस्मत,,, काश मैंने उसे गले ना लगाया होता।
"रुकिए सर, अभी इसे मारने या चिल्लाने से कुछ समझ नहीं आयेगा।" मेरे पापा ने अंकित के पापा से कहा।
"सुनो बेटा,, प्यार करते हो मेरी बच्ची से?"
"हा अंकल"
"तो अगर मै तुम्हे प्यार की कसौटी दु तो पार करोगे?"
"हां अंकल"
"तो कॉलेज तक मानसी से बात नहीं करोगे नौकरी लगने के बाद रिश्ता भेजोगे"
"भाई साहब ये आप क्या कह रहे है?*" अंकित के पापा ने कहा
" साहब यही एक तरीका है इसे रास्ते पर लाने का सारा जुनून निकल जाएगा।"
"मंजूर अंकल"अंकित बोल पड़ा।
उसके बाद उसने कभी मुझसे बात नहीं की । मैने कोशिश भी कि तो उसने मुझे हमेशा इग्नोर किया। मुझे बहुत बुरा लगता था । मै बहुत रोई भी लेकिन समय के साथ सारे जख्म भर जाते है।
मैने भी कुछ दिनों में कोशिश छोड़ दी। मेरा मात्र आकर्षण होगा जो समय के साथ ख़तम हो गया । लेकिन उसका प्यार सच्चा था। वह बहुत मेहनत से पढ़ रहा था। उसने १२ वी के बाद एक अच्छे कॉलेज में दाखिला लिया पढ़ाई कि ।
मै अंकित को जैसे भूल गई थी और अचानक एक दिन वो अपने पापा मम्मी के साथ मेरे घर आ गया।
"आप,,,,मैंने आपको पहचाना नहीं"
"अंकल मै अंकित"
"कौन अंकित बेटा?"
"अंकल जब मै और मानसी १४ साल के थे पिकनिक पर हम मिले थे तब टीचर जी ने आपको बुला कर हमारे बारे में बताया था। और मैंने कहा था की मै मानसी से प्यार करता हूं,,, आपने कहा था अगर ऐसा है तो आपकी प्यार की कसौटी को पार कर लूं। उस दिन के बाद से मै और मानसी कभी ना मिले ना बात की वो तो शायद मुझे भूल भी गई होगी पर मै उसे अब भी नहीं भुला । अगर आपकी इजाजत हो तो क्या अब मै उससे शादी कर सकता हूं?"
"ओहोहो अच्छा वो तुम थे,,मुझे तो लगा था भूल जाओगे।" मेरे पिताजी ने बहुत खुश होते हुए कहा ।
उनकी आंखो से पता चल रहा था वो इस रिश्ते के लिए तैयार थे । और फिर मैं और अंकित शादी के बंधन में बंध गए।
हम लोग अक्सर पिकनिक पर जाते है । लेकिन स्कूल कि उस पिकनिक को कभी भुला नहीं पाते । वो पल अंकित हमेशा याद करता है। आज भी हम सभी पिकनिक जा रहे है और अंकित ज़रूर उस दिन का ज़िक्र अपने बच्चो से करेंगे । और मेरे साथ वो समय दोहराएंगे।
इस तरह मेरे प्यार की पिकनिक शुरू हुई और एक खूबसूरत अंजाम तक पहुंची । और इसका श्रेय सिर्फ अंकित को जाता है । मै बहुत खुशनसीब हूं कि मुझे अंकित जैसा जीवन साथी मिला ।
The end❤️
मिलते है अगली कहानी के साथ,,,,,,,,,,,,