Tere Liye book and story is written by Saritashukla51 Shukla in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Tere Liye is also popular in प्रेम कथाएँ in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
तेरे लिए - उपन्यास
Saritashukla51 Shukla
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ १॥
निराकारमोंकारमूलं तुरीयं
गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकाल कालं कृपालं
गुणागार संसारपारं नतोऽहम् ॥ २॥
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं
मनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गङ्गा
लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ॥ ३॥
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् । निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ १॥ निराकारमोंकारमूलं तुरीयं गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् । करालं महाकाल कालं कृपालं गुणागार संसारपारं नतोऽहम् ॥ २॥ तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं मनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरम् । ...और पढ़ेकल्लोलिनी चारु गङ्गा लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ॥ ३॥ चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् । मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥ ४॥ प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम् । त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिं भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ॥ ५॥ कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी । चिदानन्द संदोह मोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥ ६॥ न यावत् उमानाथ
अगले दिन,,,,,,सुबह का वक़्तगौरी मन्दिर से घर आ कर जब मेज़ पर नाश्ता लगाने लगी तो उसके पिताजी उससे बोले "गौरी आज आपके मामा जी और हमारे दोस्त आ रहे है", रघुनाथ जी कुर्सी पर बैठते हुए कहते है।"मामा ...और पढ़ेआ रहे है ,फिर तो आज हम स्कूल से आधे दिन की छुट्टी लेके चले आयंगे और उनके लिए खाना भी बनाना होगा ",वो रघुनाथ जी को नाश्ता देते हुए बोलती जा रही थी।रघुनाथ जी ने लगभग बड़बड़ाते हुए कहा "फिर से शुरू हो गया इसका ,अब पूरे दिन ये उसके मन पसंद की चीजे बनाएगी ,पर जब हम बोलते