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तेरे लिए - 2 - बनारस

अगले दिन,,,,,,सुबह का वक़्त
 
गौरी मन्दिर से घर आ कर जब मेज़ पर नाश्ता लगाने लगी तो उसके  पिताजी उससे बोले "गौरी आज आपके मामा जी और हमारे दोस्त आ रहे है", रघुनाथ जी कुर्सी पर बैठते हुए कहते है।
 
"मामा जी आ रहे है ,फिर तो आज हम स्कूल से आधे दिन की छुट्टी लेके चले आयंगे और उनके लिए खाना भी बनाना होगा ",वो रघुनाथ जी को नाश्ता देते हुए बोलती जा रही थी।
 
रघुनाथ जी ने लगभग बड़बड़ाते हुए कहा "फिर से शुरू हो गया इसका ,अब पूरे दिन ये उसके मन पसंद की चीजे बनाएगी ,पर जब हम बोलते है तो हफ्ते में एकबार बस ",।
 
उन्हें ऐसे बडबडाते हुए देख वो बोली " आपने क्या बोले जा रहे खुद से ही ",
 
" कुछ नही ",
" हां तो नाश्ता करिए ", ये बोल वो चेयर खीच नाश्ता करने बेठ गई
 
दोनो ने नाश्ता किया और फिर साथ में घर से निकल गए । गौरी स्कूल आई और प्रिन्सिपल सर से बोल के आधे दिन की छुट्टी ले ली और निहारिका को भी छुट्टी लेने को बोल दिया।
 
रघुनाथ जी आपने आश्रम आए और वहा की साफ सफाई करवा लगाने ...वैसे आश्रम कभी गन्दा नहीं रहता था पर भी यहाँ तीनो वक़्त साफ़ सफाई होती थी ।
 
रघुनाथ जी ने सामानों को ठीक से रखवाते दुबे जी से कहा " दुबे जी बच्चो की परीक्षा होने वाली है सारी तैयारियां कर ली है ना आपने ", ।
"जी बस पेपर आने बाकी है सर जी ,बाकी सब हो चुका है", ।
 
"वार्षिकोत्सव की क्या तैयारियां चल रही है बच्चो को सिखाया जा रहा है न ,"।
 
"जी सर गौरी बिटिया कर रही है और सब को कार्ड भी बाटे जा चुके है",ये कहते हुए जिनको कार्ड जा चुका था उनकी लिस्ट दुबे जी उन्हें दे दी ।
गौरी अपने स्कूल से छुट्टी लेके निहारिका के साथ घर आ कर तैयारियां करने लगी। तभी दवाज़े पर दस्तक हुई। निहारिका ने जाके दरवाज़ा खोला तो सामने खड़े आजान शख्स ने उससे पूछा "जी गौरी जी है क्या ",।
 
",आप यहा बैठे मैं बुला के लाती हु", ये बोल निहारिका ने उसे अंदर बने बैठके में बेठा दिया और अंदर आकर गौरी से बोली " गौरी कोई आया है देखो जाके",ये बोल उससे कलछी ले कढ़ाई में पुरिया तलने लगी । गौरी हाथ धो के बाहर आई देखा वही आदमी खड़ा था जो कल ज़मीन के लिए आया था ,उसे देख वो भड़कते हुए बोली "मै ने आपसे बोला न की मुझे ज़मीन नही देनी है तो आप बार बार क्यो  चले आते है",।
 
"मैम मेरे सर आपसे एक बार मिलना चाहते है वो कल या आज रात में ही यहा आ जायँगे आप बस एक बार उनसे मिल लीजिए,मेरी नौकरी का सवाल है प्लीज़ मैम ",उस इंसान के बोलने पर गौरी ने सोचा और दो दिन बाद मिलने का बोल दिया । वो आदमी चला गया।
 
गौरी भी अंदर आ गई । निहारिका उसे देख पूछा "कौन था ये?", । "अरे कुछ नही ," ये बोल दोनो वापस काम में लग गई।
दोनो को काम करते हुए शाम हो गई और वक़्त भी जादा हो गया था तो निहारिका अपने घर चली गई । गौरी भी उपर चली आई अपने कमरे में । वहा आ कर वो तैयार हुई और नीचे आ कर अपने पिता जी को फोन लगा दिया ।
 
"बाबा कहा है आप मामाजी आए या नही", ।
 
"अरे हमारी राजकुमारी पीछे मुड़ के देखे हम तो कब के आ गए है", फोन पर राजेश जी की आवाज़ सुन वो जैसे पीछे मुड़ी तो राजेश जी और रघुनाथ जी खड़े थे।
"मामा जी ,आप आ गए", गौरी दौड़ के गई और राजेश जी के गले लग गई । "कैसे है आप मामाजी जी ", गौरी ने उनका बेग लेके रखते हुए कहा । "हम तो ठीक है ,पर हमारी बच्ची दुबली पतली लग रही है ,ये कंजूस आपको कुछ खिलाता है या खुद खा जाता है ", राजेश जी ने मज़ाक करते हुए  बोला। "अरे ये बोलो की ये मुझे कुछ देती है  या नही , हफ्ते में एक दिन कचौरी और जलेबी मिलती है बस बाकी दिन वही फीका खाना,पर आज मैं इसकी एक भी बात नही सुनूंगा ,आज मेरा यार आया है आज तो दोनो खायंगे ", रघुनाथ जी खुश होते हुए बोले। "वैसे खुशबू तो बहुत अच्छी आ रही है ", राजेश जी ने बोला। "हां मामा जी आज सारा खाना आपकी पसंद का बना है आप बस हाथ मुह धो के आ जाइए ,हम खाना लगाते है", गौरी बोल के रसोईघर की तरह बढ़ गई। राजेश जी को लेके रघुनाथ जी कमरे में चले गए।
 
रात का वक़्त ,बनारस एयरपोर्ट
 
"मुझे उस लड़की से मिलना है ", रूद्र  एयरपोर्ट से बाहर निकलते हुए बोला। "जी  पर अभी रात हो गई है तो कल ही मिल पायंगे अब ", राकेश ने गाड़ी का दरवाज़ा खोलते हुए कहा। रूद्र गाड़ी में बैठा और  सारे बॉडीगार्ड भी आगे की गाड़ियों में बैठ गए । गाड़ी बनारस की सड़को पर चल पड़ी । रूद्र अपना टैब ले कर कुछ करने में व्यस्त था। "राकेश गाड़ी अस्सी घाट ले चलो ", रूद्र ने टैब में देखते हुए बोला। "जी ", राकेश ने जवाब दिया ,,,,और गाड़ी अस्सी घाट जाने वाली रोड पर मुड़ गई। रूद्र अपने में ही व्यस्त था। गाड़ी आके अस्सी घाट के थोड़ा दूर आके रुकी क्योकि वहा तक आपको पैदल गलियों में से हो के जाना होता है। रूद्र बाहर आता है"  सर।  ,,,इससे आगे पैदल जाना होगा  ,हम भी आपके साथ ही चलतेहै ", राकेश ने बोला। "बस कुछ लोग ही साथ चलेंगे बाकियों को यही रहने दीजिए ", रूद्र इतना बोल के जाने लगा । राकेश और कुछ गार्ड उसके पीछे चलने लगे । रूद्र कुछ देर चलने के बाद अस्सी घाट पहुचता है , "ये महा गुरु  जी कहा होंगे ", रूद्र ने एक आदमी से पूछा । "जी इस वक़्त तो वो मंदिर में होंगे या अपने घर पर ,जी आइसे सीधे निकल जाओ बाबूआ वही मंदिर होगी भोले नाथ का और उसके पीछे वो रहते भी है ",एक आदमी ने रूद्र को बताया और चला गया । रूद्र आगे बढ़ गया मंदिर के बाहर जूते उतार के वो अन्दर गया बाकी सब वही खड़े रहे रखवाली के लिए । अंदर आके उसने देखा महागुरु  बैठ के कुछ लिख रहे थे। "प्रणाम गुरु जी ", रूद्र ने उनके पैर छुते हुए बोला। महा गुरु  जी ने अपने सर उप्पर कर चश्मे को ठीक करते हुए देखा ,वो काफी बूढ़े हो गए थे ,और रूद्र के खानदान के महागुरु थे और बनारस के भी । "आ गए तुम ,मुझे पता था तुम आज आओ गे ,,क्योकि अब तुम्हारा यहा आने का वक़्त आ चुका था ", महागुरु ने रूद्र को बैठ ने का इशारा करते हुए कहा। "हा गुरु जी वो कोई ज़मीन से जुड़ी बात थी  तो इसलिए आना पड़ा ", रूद्र ने बोला। "ज़मीन से जुड़ी बात ,आपको यहा लेकर नही आई है रूद्र ,बल्कि आपका भाग्य आपको यहा लेकर आया है ,यहा से आप खाली हाथ नही जा ओगे , यहा से आप कुछ ऐसा ले जाओगे जो आपकी ज़िन्दगी में आपके साथ रहेगा ,दूर होंगे उससे पर दूर नही ", महागुरु की बाते रूद्र की समझ नही आ रही थी । या यू कहो की वो समझना ही नही चाहता था। कुछ देर वहा रुक के रूद्र गुरुजी से अलविदा लेके वहां से चला आया और घाट पर खड़ा हो गया । "कुछ है यहा की हवाओ में जो मुझे एक एहसास दे जाती हर बार ", रूद्र अपने मन में बोलता है।
कुछ देर वहा खड़े रहनेके बाद वो होटल के लिए निकल जाता है।
 
सुबह का वक़्त , बनारस
 
रूद्र जॉगिंग सूट पहने घाट पर आया है उसके गले में हेडफोन है । तभी मंदिर से उसे गाने को आवाज़ आती है। वो खड़ा हो के सुनने लगता है । "जी ये कौन गा रहा है ", रूद्र ने जाते हुए एक पंडित जी से पूछा । "ये तो हमारी गौरी बिटिया की आवाज़ है ,उन्ही की आवाज़ से बनारस की सुबह होती है वरना यहा की सुबह भी फीकी लगती है ", पंडित जी कह के मंदिर की तरफ बढ़ गए । रूद्र वही खड़ा सुनने लगा जैसे ही आगे बढ़ा चलने को तो राकेश ने आके रोक दिया । "सर आप इतनी सुबह बिना किसी को बताये यहा चले आए कुछ हो जाता तो ", राकेश परेशान होते हुए बोला। "चलिए चलते है वैसे भी सूरज निकल आया है आपको ज़मीन वाला काम भी करना है", राकेश ने बोला। रूद्र कुछ सोच के चला जाता है,,, और जाते जाते पीछे मुड़ के देखता है।
गौरी मंदिर से बाहर आती है और जाने लगती है । आज बनारस में कुछ दिन बहुत भीड़ रहने वाली थी  क्योकि महाशिवरात्रि आने वाली थी और ये पर्व यहा बहुत धूमधाम से मनाया जाता था। उस दिन  तो लगता था जैसे खुद महादेव को सजाया जा रहा है। "अरे  गौरी बिटिया इस बार महाशिवरात्रि पर तुमको ही देखना है सब कुछ और हर बार से भी अच्छा होना चहिये इस बार ", महा गुरु ने बोला। "जी गुरु जी ", गौरी पैर छूते हुए बोली। और घाट से बाहर आ गईं । घर आके उसने सब को प्रशाद दिया । "तो आज भी बनारस की सुबह आपके आवाज़ से होती है",राजेश जी ने प्रशाद लेते हुए बोला। "मामा जी आप यहा आए है तो काम तो होगा जरूर कुछ ", गौरी ने मेज़ पर नाश्त लगाते हुए कहा । "है बेटा इलाहाबाद में कुछ काम है तो सोचा आपसे भी मिल लूंगा और काम भी कर लूंगा",राजेश जी कुर्सी पर बैठते हुए बोले ।  सब ने नाश्ता किया और अपने अपने काम में लग  गए । आज रघुनाथ जी जी घर पर थे । गौरी को  आश्रम जाने को बोल दिया  । गौरी स्कूल से छुट्टी लेके आश्रम  पहुँचती है।
 
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"आ गया वो आदमी जिसको ज़मीन का काम सोपा था", रूद्र टाई पहनते हुए कहता है ।
"जी सर लाला जी आ गए है", राकेश ने बोला।
"बुलाओ उन्हें ", रूद्र ने कोट पहनते हुए कहा।
राकेश लाला जी को बुला लाया । "प्रणाम सर ",लाला आकर हाथ बांध के खडा हो गया।
"उस लड़की  के बारे में जो पता है बताओ ", रूद्र ने चाय का कप उठाते हुए बोला।
"सर उसका नाम गौरी है ,स्कूल मे टीचर है, उसके पिता के अलावा उसका कोई नही है , और एक आश्रम है जिसे वो चलाते है ",  और  सर जो जमीन लेना चाहते हैं, उस पर लड़कियों के लिए बहुत बड़ा कालेज बनाना चाहतीं हैं,, इस समय मिस गौरी, अपने  स्कूल में हैं,,लाला बोल के चुप हो गया।
"चलो उसके स्कूल चलना है", रूद्र उठा और जाने लगा।
कुछ वक़्त में वो सब गौरी के स्कूल के सामने थे । "जाओ पता करो वो कहा है और बुलाओ उसे यहा ", रूद्र ने गाड़ी में बैठे हुए कहा। लाला जी गए और पता कर के आए । ",सर वो आज नही आई है  उनका आश्रम थोड़ी  दूर पर हैं, वो वहीं पर मिलेगी",लाला ने सर झुका के बोला। आश्रम कहा है। सर यहा से कुछ एक किलोमीटर की दूरी पर है।
रूद्र ने आश्रम का पता लिया और लाला को पैसे देके भेज दिया । राकेश इस लड़की के बारे में मुझे इंफॉर्मेशन चाहिए सारी । सुबह के उठने से लेके रात के सोने तक ये क्या करती है , और बचपन से अभी तक की सारी बाते ,और इस ज़मीन के बारे में भी ", रूद्र ने गाड़ी में बैठे बैठे कहा । "जी सर हो जाएगा बस कुछ वक्त दीजिए ", राकेश ने भरोसे के साथ बोला । रूद्र की गाड़ी आगे बढ़ गई ।
 
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गौरी आश्रम आके वार्षिकोत्सव की तैयारियों में व्यस्त हो गई। दिन भर वो सब को बताती रही की क्या करना है कैसे करना है , और बच्चो को गाने सिखाया और डांस भी। सब को सब का काम बताते और सारे काम करते हुए उसे रात हो गई। वो जाने से पहले वृद्धों के पास आई आज सब उससे नाराज़ थे क्योकि गौरी ने आज उनसे बात नही की और न ही  उनसे मिलने आई थी। "अच्छा बाबा माफ कर दो गलती हो गई ", गौरी कान पकड़के खड़ी थी। "ऐसे माफ नही करेंगे ",  एक बूढ़े दादा जी बोले । "तो फिर दादाजी कैसे माफ करना है अपनी गौरी को ", गौरी ने कान पकड़े हुए कहा। "हम सब को गाना सुनाना होगा आपको तब माफ करेंगे ", दादा जी के साथ सब ने बोला। "अच्छा ठीक हैं हम गाना सुना देंगे आप सब चलिए लेटीए ", गौरी ने दादा जी को उनके बिस्तर पर लिटाते हुए बोला। सब अपने बिस्तर पर लेट गए । गौरी ने सारी लाइट बुझा के एक लाइट जली रहने दी,, और सारी खिड़कियां खोल दी बगीचे से आती ठंडी हवा कमरे में अच्छा अनुभव दे रही थी। 
 
 तभी एक गाड़ी आके आश्रम के बाहर रुकी रूद्र बाहर निकला और अंदर गेट खोल के  आया  इस वक़्त गेट ओर कोई नह था ,देखा बहुत ही सुंदर आश्रम था । 

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