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डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा की लघुकथाएँ - उपन्यास
Dr. Pradeep Kumar Sharma
द्वारा
हिंदी लघुकथा
(1) लाइक एंड कॉमेंट्स
रात के लगभग साढ़े ग्यारह बजे रामलाल जी का हृदय गति रुकने से देहांत हो गया। उनका बड़ा बेटा शंकरलाल गाँव से सैकड़ों मील दूर एक शहर में अफसर था। छोटे बेटे भोलाराम ने तुरंत पिताजी की मृत्यु की सूचना मोबाइल के जरिए दे दी।
पिताजी की मृत्यु की सूचना पाकर बड़ा बेटा शंकरलाल दाह संस्कार में शामिल होने के लिए तुरंत सरकारी गाड़ी से रवाना हो गया।
लाख कोशिशों के बावजूद शंकरलाल दोपहर एक बजे के पहले गाँव नहीं पहुँच सकता था। परंपरा के मुताबिक रात को दाह संस्कार नहीं किया जा सकता, साथ ही किसी भी घर में लाश पड़े रहने पर न तो चूल्हा जला सकते हैं, न ही खाना खा सकते हैं।
डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा की तीन लघुकथाएँ (1) लाइक एंड कॉमेंट्सरात के लगभग साढ़े ग्यारह बजे रामलाल जी का हृदय गति रुकने से देहांत हो गया। उनका बड़ा बेटा शंकरलाल गाँव से सैकड़ों मील दूर एक शहर में अफसर ...और पढ़ेछोटे बेटे भोलाराम ने तुरंत पिताजी की मृत्यु की सूचना मोबाइल के जरिए दे दी।पिताजी की मृत्यु की सूचना पाकर बड़ा बेटा शंकरलाल दाह संस्कार में शामिल होने के लिए तुरंत सरकारी गाड़ी से रवाना हो गया। लाख कोशिशों के बावजूद शंकरलाल दोपहर एक बजे के पहले गाँव नहीं पहुँच सकता था। परंपरा के मुताबिक रात को दाह संस्कार नहीं
डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा की तीन लघुकथाएँ गले की फाँस"ये क्या मिश्रा जी, अगले महीने सेवानिवृत्त होने के बाद आप फिर से इसी ऑफिस में संविदा नियुक्ति चाहते हैं ? लगता है चालीस साल की नौकरी करने के बाद ...और पढ़ेआपका मन भरा नहीं..." डायरेक्टर साहब ने मिश्रा जी से मजकिया अंदाज में पूछा।"सर, दरअसल मुझे नौकरी की सख्त जरूरत है क्योंकि अपने परिवार में कमाने वाला मैं अकेला ही ही हूँ।" मिश्रा जी ने अपनी मजबूरी बताई।"क्या... ? मैंने तो सुना है कि आपका बेटा रमेश तो बहुत होनहार स्टूडेंट है। क्या वह कुछ नहीं करता ?" डायरेक्टर साहब
डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा की लघुकथाएँ 03 जैसी करनी वैसी भरनी "महाराज, मुझ पर रहम कीजिए। कृपया अपने निर्णय पर एक बार पुनर्विचार कीजिए। ऐसा कैसे हो सकता है कि अपना पूरा जीवन मंदिर में दिन-रात माता-रानी की सेवा ...और पढ़ेबिताने वाला मैं मुख्य पुजारी नर्क में जाऊँ और उसी मंदिर में झाड़ू-पोंछा करने वाला भंगी स्वर्ग में जाए ? महाराज मुझे लगता है कि चित्रगुप्त जी की गणना सही नहीं है। कृपया एक बार फिर से मेरे लेखा-बही की जाँच करवाइए।" पंडित जी ने यमराज से आग्रहपूर्वक कहा। "पंडित जी, यह मृत्युलोक नहीं है, जहाँ दुब
डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा की लघुकथाएँ 04धरती के भगवान"माँ, माँ, मैंने अभी-अभी सपने में देखा कि भगवान जी हम लोगों को अपनी गोद में उठाकर दादा जी के गाँव छोड़ आए हैं। आप कहती थीं न कि सुबह का ...और पढ़ेसपना सच होता है। क्या मेरा सपना भी सच होगा ?" माँ की गोद में ही सोकर उठने के बाद आँख मलते हुए चार वर्षीय बेटे ने कहा।"हाँ बेटा, धरती के कुछ भगवानों की बदौलत हम लोग हवाई जहाज से अपने शहर पहुंच चुके हैं। तुम गहरी नींद में थे। इसलिए जगाया नहीं। पीछे देखो, हमारे शहर का एयरपोर्ट। अब
डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा की लघुकथाएँ 5 (1) डिबेट नेशनल न्यूज चैनल द्वारा पिछले हफ्ते भर से प्रसारित किया जा रहा था कि विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारतवर्ष के राष्ट्रीय महापर्व लोकसभा चुनाव से ठीक पहले दोनों ...और पढ़ेराष्ट्रीय दलों के राष्ट्रीय प्रवक्ताओं की डिबेट का लाइव प्रसारण किया जाएगा। सत्ताधारी पार्टी क के प्रवक्ता मिस्टर सिंह और प्रमुख विपक्षी दल ख के राष्ट्रीय प्रवक्ता मिस्टर बाघ की छबि जनता के बीच बहुत ही तेजतर्रार नेताओं के रूप में थी। डिबेट बहुत ही जबरदस्त होने की संभावना के मद्देनजर लोग उस कार्यक्रम का बेसब्री से इंतजार कर रहे