Ramayan ki Katha Bhajan ke Madhyam se Mere Shabdo me book and story is written by Dave Rupali janakray in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Ramayan ki Katha Bhajan ke Madhyam se Mere Shabdo me is also popular in पौराणिक कथा in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
रामायण की कथा भजन के माध्यम से मेरे शब्दों में - उपन्यास
Dave Rupali janakray
द्वारा
हिंदी पौराणिक कथा
हम कथा सुनाते राम सकल गुणधाम की,
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की।।
श्लोक – ॐ श्री महागणाधिपतये नमः,
ॐ श्री उमामहेश्वराभ्याय नमः।
वाल्मीकि गुरुदेव के पद पंकज सिर नाय,
सुमिरे मात सरस्वती हम पर होऊ सहाय।
मात पिता की वंदना करते बारम्बार,
गुरुजन राजा प्रजाजन नमन करो स्वीकार।।
इस की प्रथम लाइन में प्रभु श्री राम जी के समस्त जीवन और उनके कुल की कथा है जो हम आपको सुनाने जा रहे हैं।सकल यानी समस्त कुल के गुणों की प्रशंसा बताने की बात की हैं जो की इस सुंदर भजन के माध्यम से बताया गया है,इस छोटे से भजन के माध्यम से पूरी रामायण बताई गई हैं।
हम कथा सुनाते राम सकल गुणधाम की,ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की।।श्लोक – ॐ श्री महागणाधिपतये नमः,ॐ श्री उमामहेश्वराभ्याय नमः।वाल्मीकि गुरुदेव के पद पंकज सिर नाय,सुमिरे मात सरस्वती हम पर होऊ सहाय।मात पिता की वंदना करते बारम्बार,गुरुजन ...और पढ़ेप्रजाजन नमन करो स्वीकार।।इस की प्रथम लाइन में प्रभु श्री राम जी के समस्त जीवन और उनके कुल की कथा है जो हम आपको सुनाने जा रहे हैं।सकल यानी समस्त कुल के गुणों की प्रशंसा बताने की बात की हैं जो की इस सुंदर भजन के माध्यम से बताया गया है,इस छोटे से भजन के माध्यम से पूरी रामायण बताई
मृदु स्वर कोमल भावना,रोचक प्रस्तुति ढंग,एक एक कर वर्णन करें,लव कुश राम प्रसंग,विश्वामित्र महामुनि राई,तिनके संग चले दोउ भाई,कैसे राम ताड़का मारी,कैसे नाथ अहिल्या तारी।मुनिवर विश्वामित्र तब,संग ले लक्ष्मण राम,सिया स्वयंवर देखने,पहुंचे मिथिला धाम।।इस पंक्ति में कहा गया है ...और पढ़ेमृदु स्वर यानी धीमे स्वर में कोमल भावना के साथ रोचक यानी प्रिय प्रस्तुति ढंग यानी प्रशंसा के ढंग में एक एक करके सभी कथा का वर्णन लव कुश ने किया।विश्वामित्र नामक महामुनि राई (मान वाचक शब्द) उनके साथ चले दोनों भाई यानी राम और लक्ष्मण विश्वामित्र के साथ जाते है। फिर कहते है की जब वो लोग जा रहे
अवध में ऐसा, ऐसा इक दिन आया,निष्कलंक सीता पे प्रजा ने,मिथ्या दोष लगाया,अवध में ऐसा, ऐसा इक दिन आया।इस लाइन में कहा गया है की अवध में एक ऐसा दिन आया निष्कलंक यानी बेदाग या जिस पर कोई कलंक ...और पढ़ेहो ऐसी सीता पे प्रजा ने मिथ्या यानी जूठा दोष लगाया।अवध में ऐसा एक दिन आया।चल दी सिया जब तोड़ कर,सब नेह नाते मोह के,पाषाण हृदयों में,ना अंगारे जगे विद्रोह के।इस में कहा गया है की जब सिया मोह के सभी रिश्ते नाते छोड़कर कर चली गई तब पाषाण हृदय यानी जिसका हृदय अत्यंत क्रूर बन गए हो ऐसे व्यक्ति,फिर
जनक दुलारी कुलवधू दशरथजी की,राजरानी होके दिन वन में बिताती है,रहते थे घेरे जिसे दास दासी आठों याम,दासी बनी अपनी उदासी को छुपाती है,धरम प्रवीना सती, परम कुलीना,सब विधि दोष हीना जीना दुःख में सिखाती है,जगमाता हरिप्रिया लक्ष्मी स्वरूपा ...और पढ़ेहै धान, भोज स्वयं बनाती है,कठिन कुल्हाडी लेके लकडियाँ काटती है,करम लिखे को पर काट नही पाती है,फूल भी उठाना भारी जिस सुकुमारी को था,दुःख भरे जीवन का बोझ वो उठाती है,अर्धांगिनी रघुवीर की वो धर धीर,भरती है नीर, नीर नैन में न लाती है,जिसकी प्रजा के अपवादों के कुचक्र में वो,पीसती है चाकी स्वाभिमान को बचाती है,पालती है बच्चों