Ramayan ki Katha Bhajan ke Madhyam se Mere Shabdo me - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

रामायण की कथा भजन के माध्यम से मेरे शब्दों में - 1

हम कथा सुनाते राम सकल गुणधाम की,
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की।।

श्लोक – ॐ श्री महागणाधिपतये नमः,
ॐ श्री उमामहेश्वराभ्याय नमः।
वाल्मीकि गुरुदेव के पद पंकज सिर नाय,
सुमिरे मात सरस्वती हम पर होऊ सहाय।
मात पिता की वंदना करते बारम्बार,
गुरुजन राजा प्रजाजन नमन करो स्वीकार।।

इस की प्रथम लाइन में प्रभु श्री राम जी के समस्त जीवन और उनके कुल की कथा है जो हम आपको सुनाने जा रहे हैं।सकल यानी समस्त कुल के गुणों की प्रशंसा बताने की बात की हैं जो की इस सुंदर भजन के माध्यम से बताया गया है,इस छोटे से भजन के माध्यम से पूरी रामायण बताई गई हैं।

दूसरी लाइन में कहा गया है की ये रामायण नामक पुण्य कथा है जो की श्री राम जी के बारे में है। इस के बाद एक श्लोक आता है जिसमें सर्व प्रथम भगवान श्री गणेश जी को नमन किया गया है और उसके बाद उमा और महेश यानी भगवान शिव और माता पार्वती को प्रणाम किया है तत्पश्चात कहा है हम वाल्मीकि गुरुदेव के पैरों को छूके प्रणाम करते हैं और इस सुंदर कथा को आपके समक्ष प्रस्तुत करने के लिए माता सरस्वती को बताते हैं कि आप हमारी सहायता करना।

इसके बाद अपने माता पिता को बारंबार प्रणाम करते हैं और समस्त गुरुजनों, राजाओं और प्रजाजनों को अपना प्रणाम स्वीकार करने के लिए प्रार्थना करते हैं।


हम कथा सुनाते राम सकल गुणधाम की,
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की।।

जम्बुद्विपे भरत खंडे आर्यावर्ते भारतवर्षे,
एक नगरी है विख्यात अयोध्या नाम की,
यही जन्म भूमि है परम पूज्य श्री राम की,
हम कथा सुनाते राम सकल गुणधाम की,
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की,
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की।।


इस की प्रथम लाइन में कहा गया हैं की हम कथा सुना रहे हैं राम के समस्त जीवन की और उनके कुल की और ये रामायण नामक पुण्य कथा है।

उसके बाद कहा गया हैं की जम्बुद्विप में भरत नामक खंड में आर्यवत और भारत में एक बहुत ही विख्यात या प्रख्यात अयोध्या नामक नगरी है।तत्पश्चात कहा गया है की यही जन्म भूमि है यानी यही पे अयोध्या नामक इस नगर में ही परम पूज्य श्री राम का जन्म हुआ है और हम आपको उन्हीं के समस्त गुणों की कथा बता रहे है ये राम जी के पुण्यों की कथा है जो कि रामायण नाम से प्रसिद्ध है।



रघुकुल के राजा धर्मात्मा,
चक्रवर्ती दशरथ पुण्यात्मा,
संतति हेतु यज्ञ करवाया।
धर्म यज्ञ का शुभ फल पाया।
नृप घर जन्मे चार कुमारा,
रघुकुल दीप जगत आधारा,
चारों भ्राताओं के शुभ नामा,
भरत,शत्रुग्न,लक्ष्मण,रामा।

इसमें कहा गया है की रघुकुल के राजा धर्मात्मा यानी के धनवान थे और चक्रवर्ती यानी सम्राट,राजा दशरथ बहुत ही पुण्यात्मा यानी पुण्य कर्म करने वाले थे। उन्होंने संतति यानी संतान की प्राप्ति के लिए यज्ञ करवाया।

धर्म यज्ञ करके राजा दशरथ ने शुभ फल पाया और नृप यानी राजा के घर में जन्मे चार राजकुमार जो रघुकुल के कुलदीपक
या कुल के आधार थे। चारों राजकुमारों के शुभ नाम थे भरत, शत्रुग्न,लक्ष्मण और राम।


गुरु वशिष्ठ के गुरुकुल जाके,
अल्प काल विद्या सब पाके,
पूरण हुई शिक्षा,
रघुवर पूरण काम की,
हम कथा सुनाते राम सकल गुणधाम की,
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की,
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की।।


फिर कहा गया है की गुरु वशिष्ठ जी के आश्रम में जाके अल्प काल यानी बहुत ही कम समय में शिक्षा पाके रघुवर ने प्रभु श्री राम ने अपना शिक्षा का काम पूरा किया।हम उन्हीं प्रभु श्री राम के समस्त कुल की आपको कथा सुना रहे है। ये रामायण नामक पुण्य कथा है जो की श्री राम से सबंधित है।



🙏🙏🙏 "Rup"






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