Gujarat me Swatantrata Praapti ke baad ka Mahila book and story is written by Neelam Kulshreshtha in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Gujarat me Swatantrata Praapti ke baad ka Mahila is also popular in पत्रिका in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
गुजरात में स्वत्तन्त्रता प्राप्ति के बाद का महिला - उपन्यास
Neelam Kulshreshtha
द्वारा
हिंदी पत्रिका
नीलम कुलश्रेष्ठ एपीसोड ---1 गुजरात में जो साहित्य महिलायों ने स्वतंत्रता के बाद लिखा गया है, मैं उसकी चर्चा अधिक करना चाहूंगी। क्योंकि दो वर्ष पूर्व मैं एक हिंदी सेमीनार में जाकर आश्चर्यचकित रह गई कि गुजरात में जो हिंदी रचनाकार रच रहीं हैं, उसके विषय में विश्वविद्ध्यालय के हिंदी विभागों को कम जानकारी है। प्रसन्नता की बात ये हुई कि इस सेमीनार में उपस्थित विद्वानों ने महिला लेखन के इतिहास को सहेजने में रुचि दिखाई थी। सबसे पहले मैं क्षमायाचना कर रहीं हूँ कि ये विवरण पढ़ने में आपको बार बार ये शब्द पढ़ने को मिलेंगे -मैंने ये लिखा,या
नीलम कुलश्रेष्ठ एपीसोड ---1 गुजरात में जो साहित्य महिलायों ने स्वतंत्रता के बाद लिखा गया है, मैं उसकी चर्चा अधिक करना चाहूंगी। क्योंकि दो वर्ष पूर्व मैं एक हिंदी सेमीनार में जाकर आश्चर्यचकित रह गई कि गुजरात में जो ...और पढ़ेरचनाकार रच रहीं हैं, उसके विषय में विश्वविद्ध्यालय के हिंदी विभागों को कम जानकारी है। प्रसन्नता की बात ये हुई कि इस सेमीनार में उपस्थित विद्वानों ने महिला लेखन के इतिहास को सहेजने में रुचि दिखाई थी। सबसे पहले मैं क्षमायाचना कर रहीं हूँ कि ये विवरण पढ़ने में आपको बार बार ये शब्द पढ़ने को मिलेंगे -मैंने ये लिखा,या
एपीसोड --2 मेरा सं 2018 में व्यंग संग्रह प्रकाशित हुआ था, ``महिला चटपटी बतकहियाँ `.मुझे नहीं पता गुजरात से हिंदी में किसी महिला का व्यंग संग्रह प्रकाशित हुआ है। हर्ष की बात एक और है कि गुजरात से नीलम ...और पढ़ेडॉ. प्रभा मुजुमदार व डॉ.नियति सप्रे के व्यंग्य लेख भारत की शीर्षस्थ पत्रिका `व्यंग यात्रा `में प्रकाशियत हो चुके हैं। अब मैं कुछ सम्पादित पुस्तकों की बात करने जा रहीं हूँ. डॉ.अंजना संधीर ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कहानी संग्रह व कविता संग्रह सम्पादित करके प्रवासी साहित्य में बहुत बड़ा योगदान दिया है। काश्मीर समस्या पर उन्होंने सबसे पहला काव्य संग्रह