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वो पहली बारिश की बूंद : - उपन्यास
Sonali Rawat
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
जिया की बायोप्सी की रिपोर्ट उस के हाथों में थी. जिस बात का डाक्टर को शक था जिया को वही हुआ था कैंसर और वह भी थर्ड स्टेज. उस के पास इस खूबसूरत दुनिया के अनगिनत रंग देखने के लिए बस कुछ महीने ही थे. वाजिब है कि वह और उस का प्रेमी राज, जिन की कुछ महीने बाद मंगनी तय होनी थी, यह खबर सुन कर टूट कर बिखर चुके होंगे.
इस विचलित करने वाली खबर के साथ मौनसून की दस्तक भी धरती के कई हिस्सों पर पड़ चुकी थी, मगर ये गरजते बादल आसमान में बस कुछ दिनों से थोड़ी देर ठहर कर कहीं और चले जाते थे.जब इंसान किसी पीड़ा से गुजरता होता है तो खासतौर से प्रकृति के होते बदलाव को अपने जीवन से जोड़ कर सोचने लगता है.
आज उन्हें भी इन मनमौजी बादलों को देखते हुए जीवन की कई सचाइयां भलीभांति महसूस होने लगीं, ‘‘यह जिंदगी भी इन बादलों की तरह अपनी मरजी की मालिक है. ये कब बरसेंगे? कब थमेंगे? इस का कोई हिसाबकिताब नहीं जीवनमरण की तरह अनिश्चित और न ही उन के हाथों में होता है.’’वे चुपचाप गुमसुम अपने टू व्हीलर पर सवार यही सोचते मायूस वापस लौट रहे थे कि उन के शरीर से पानी की बूंदें छूने लगीं.‘‘गाड़ी रोको,’’ जिया ने राज के कंधे पर अपने हाथों से थाप देते हुए कहा.
वो पहली बारिश की बूंद : 1 क्या जिया राज से शादी कर पाईजिया की बायोप्सी की रिपोर्ट उस के हाथों में थी. जिस बात का डाक्टर को शक था जिया को वही हुआ था कैंसर और वह भी ...और पढ़ेस्टेज. उस के पास इस खूबसूरत दुनिया के अनगिनत रंग देखने के लिए बस कुछ महीने ही थे. वाजिब है कि वह और उस का प्रेमी राज, जिन की कुछ महीने बाद मंगनी तय होनी थी, यह खबर सुन कर टूट कर बिखर चुके होंगे.इस विचलित करने वाली खबर के साथ मौनसून की दस्तक भी धरती के कई हिस्सों पर
मेरे पास जितने भी दिन हैं हम ऐसे रहेंगे जैसे यह बात हमें पता ही नहीं, सब पहले जैसा है, प्रौमिस?’’ जिया के चेहरे की मुसकराहट के साथ उस बिखरते अक्स को बारिश अपनी बूंदों से पोंछते हुए राज ...और पढ़ेनजरों से बचाने उस का मानो साथ दे रही थी.‘‘प्रौमिस, वैसे क्या रखा है ऐसे भीगने में? पूरे कपड़े खराब.’’‘‘जो छोटीछोटी चीज खुशी दे जाए उस के लिए क्या इतना सोचना. तुम्हारी ब्रैंडेड ली की टीशर्ट रंग उतर कर लो थोड़ी न हो जाएगी.’’‘‘मोबाइल का क्या?’’‘‘कैरी बैग में अच्छे से पैक कर सकते हैं.’’‘‘तुम नहाओ मैं अपना सिर इस छत
’‘‘तुम ने कहा न अपने मन की करो. तो आओ पहले तुम्हें अंगूठी तो पहना दूं,’’ और राज सालों पहले बड़े प्यार से जिया के लिए खरीदी वह अंगूठी जिसे वह रोज अपनी जेब में सहेज कर उस परफैक्ट ...और पढ़ेके इंतजार में रखा रहता था उसे पहनाने लगा. ‘‘एकदम अनूठा सरप्राइज… अब मैं भी तुम्हें अंगूठी पहना देती हूं,’’ और जिया पास गिरे ताजे फूल के डंठल को मोड़ राज को पहना देती है.‘‘इस से पहले कि बारिश बंद हो जाए, यह रही मेरी ऐंट्री अच्छे गाने के साथ, ‘हम्म्म… एक लड़की भीगीभागी सी…’’’‘‘क्या बात है वाह.’’‘‘दमदम डिगाडिगा मौसम