वो पहली बारिश की बूंद : 2 Sonali Rawat द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

वो पहली बारिश की बूंद : 2


मेरे पास जितने भी दिन हैं हम ऐसे रहेंगे जैसे यह बात हमें पता ही नहीं, सब पहले जैसा है, प्रौमिस?’’ जिया के चेहरे की मुसकराहट के साथ उस बिखरते अक्स को बारिश अपनी बूंदों से पोंछते हुए राज की नजरों से बचाने उस का मानो साथ दे रही थी.‘‘प्रौमिस, वैसे क्या रखा है ऐसे भीगने में? पूरे कपड़े खराब.’’‘‘जो छोटीछोटी चीज खुशी दे जाए उस के लिए क्या इतना सोचना. तुम्हारी ब्रैंडेड ली की टीशर्ट रंग उतर कर लो थोड़ी न हो जाएगी.’’‘‘मोबाइल का क्या?’’‘‘कैरी बैग में अच्छे से पैक कर सकते हैं.’’‘‘तुम नहाओ मैं अपना सिर इस छत से बचाते ठीक हूं.’’‘‘श्रीमान यह इंद्र देव का प्रेम बरस रहा है कोई ऐसिड नहीं जो जल या पिघल जाओगे.’’‘‘मुझे सर्दी हो जाएगी.’’‘‘तो डाक्टर कब काम आएंगे?’’‘‘आ जाओ वापस.

बहुत हो गया, घर में शावर में नहा लेना.’’‘‘क्या बात करते हो सच में तुम भी… इस प्रकृति के प्यार की तुम बाथरूम के शावर से कैसे बराबरी कर सकते हो? इस पाप की गरुढ़ पुराण में अलग से सजा लिखी है और वैसे अकसर लोगों को शावर में रोते सुना है खिलखिलाते कभी नहीं.’’‘‘तुम्हारे पास हर बात का जवाब है जिया… तुम ही भीगो मैं नहीं आने वाला.’’‘‘बोले रे पपीहरा… पपीहरा…’’‘‘वैसे जिया गाना तो बाथरूम में भी गाया जा सकता है.’’‘‘बाथरूम में बेसुरे गाने सुनने से तो अच्छेखासे को रोना आ जाए, तुम ही गाओ तुम्हें सूट करता है.’’‘‘तुम्हारा यह नहाना कब खत्म होगा?’’‘‘जब तक बारिश थम न जाए और आज तुम नहीं आए तो हमारा प्यार कैंसल.’’‘‘यह क्या ब्लैकमेल कर रही हो?’’‘‘अरे जो इंसान मेरी खुशियों में शामिल नहीं हो सकता उस को अपना जीवनसाथी क्यों चुनने का रिस्क लूं?’’ कह कर अचानक जिया चुप हो गई. राज को ऐसे भीगना बिलकुल पसंद नहीं था और ऐसे बीच सड़क किनारे तो हरगिज नहीं. शायद आज ऐसा कुछ पता न होता तो जिया के इतने बुलाने के बाद भी न जाता, मगर कुछ माह बाद जब वह उस का साथ छोड़ जा चुकी होगी, फिर चाह कर भी वह कुछ नहीं कर पाएगा.

यह सोच कर वह बोला, ‘‘तुम यही चाहती हो न कि मैं तुम्हारे साथ आऊं, तुम्हारा हाथ थामे तुम्हें अपनी भीगी बांहों में समेट लूं?’’‘‘हां और एक वादा भी चाहती हूं कि तुम मेरे जाने के बाद अपने जीवनसाथी के साथ हर बरसात ऐसे ही भीगोगे.’’‘‘मैं ने कभी तुम्हारे बिना अपने भविष्य की कल्पना नहीं की… मुझे माफ करना मैं ऐसा कोई वादा तुम से नहीं कर पाऊंगा जिया.’’‘‘हम जैसा सोचते होते और लाइफ में वैसा ही होता तो क्या बात थी. राज मुझे से तो देर हो गई, मैं चाहती हूं आज से तुम्हें मेरे साथ अपने जीवन का हर पल जीना शुरू कर देना चाहिए, करो वादा.’’‘‘पक्का वादा,’’ भावुक राज जिया को भरे मन से गले लगा सिसकने लगा.जिया उसे ऐसे नहीं देखना चाहती थी, उस ने झट उस का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘चलो आओ फिर.’’‘‘तुम ने कहा न अपने मन की करो. तो आओ पहले तुम्हें अंगूठी तो पहना दूं,’’ और राज सालों पहले बड़े प्यार से जिया के लिए खरीदी वह अंगूठी जिसे वह रोज अपनी जेब में सहेज कर उस परफैक्ट मोमैंट के इंतजार में रखा रहता था उसे पहनाने लगा.

‘‘एकदम अनूठा सरप्राइज… अब मैं भी तुम्हें अंगूठी पहना देती हूं,’’ और जिया पास गिरे ताजे फूल के डंठल को मोड़ राज को पहना देती है.‘‘इस से पहले कि बारिश बंद हो जाए, यह रही मेरी ऐंट्री अच्छे गाने के साथ, ‘हम्म्म… एक लड़की भीगीभागी सी…’’’‘‘क्या बात है वाह.’’‘‘दमदम डिगाडिगा मौसम भीगाभीगा…’’‘‘सुनिए भीतर आ जाइए, देखिए बारिश हो रही है आप भीग जाएंगे.’’खिड़की खोल कर खड़े राज को आई मौनसून की पहली बारिश की बूंदों की बौछार अपने चेहरे पर पड़ते ही उसे यकायक जिया के साथ बिताए उन खूबसूरत पलों के बीच कहीं गुम कर गई थी कि उस की पत्नी सुमन ने प्रेमपूर्वक आवाज लगाई.