Bunch of Stories book and story is written by Devaki Ďěvjěěţ Singh in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Bunch of Stories is also popular in प्रेरक कथा in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
Bunch of Stories - उपन्यास
Devaki Ďěvjěěţ Singh
द्वारा
हिंदी प्रेरक कथा
राहुल और अंकिता बहुत ही खुशहाल दंपति थे। दोनों ही मल्टी नैशनल कंपनी में काम करते थे।
अंकिता अपने ऑफिस के काम को लेकर बहुत ही मेहनती थी l उसकी काबलियत को देखते हुए कंपनी ने उसे दो साल के अंदर ही एक बड़ा घर गाड़ी और प्रमोशन भी दे दिया ।
इस बीच उसका काम भी बहुत बढ़ गया l जिस वज़ह से वह घर पर कम ध्यान महीने में एक बार विदेश दौरा जिसका पूरा खर्च कंपनी ही उठाती थी l
वह अपने कैरियर में खूब तरक्की कर रही थी l पर निजी जिंदगी में पिछड़ रही थी यह सोचकर की आगे बहुत मौके मिल जायेंगे माँ बनना तो उसके हाथ में हैं l उसे लगता था माँ बनना उसकी तरक्की की राह में बहुत बड़ा रोड़ा है l
उसने खुद की महत्वकांक्षा को पूरा करने के लिए राहुल के पिता बनने के सपने को न जाने कितनी बार कुचल दिया l जिसकी वज़ह से पति पत्नी मे भी कई बार इस बात को लेकर बहस हो जाती l
जिस वज़ह से अब राहुल ने भी इस विषय में उससे बात करना छोड दिया था l
राहुल और अंकिता बहुत ही खुशहाल दंपति थे। दोनों ही मल्टी नैशनल कंपनी में काम करते थे। अंकिता अपने ऑफिस के काम को लेकर बहुत ही मेहनती थी l उसकी काबलियत को देखते हुए कंपनी ने उसे दो साल ...और पढ़ेअंदर ही एक बड़ा घर गाड़ी और प्रमोशन भी दे दिया । इस बीच उसका काम भी बहुत बढ़ गया l जिस वज़ह से वह घर पर कम ध्यान महीने में एक बार विदेश दौरा जिसका पूरा खर्च कंपनी ही उठाती थी l वह अपने कैरियर में खूब तरक्की कर रही थी l पर निजी जिंदगी में पिछड़ रही थी
नैना अपने माता-पिता की बहुत ही लाडली बेटी हैं। आज के युवाओं की तरह उसे भी सोशल मीडिया मे बहुत इंट्रेस्ट है l दिन भर मोबाइल में लगी रहती l ऐसे ही किसी दिन सोशल मीडिया पर उसकी मुलाकात ...और पढ़ेनाम के लड़के से हो जाती है और वह ऑनलाइन प्रेम के चक्कर में पड़ जाती हैं । चैटिंग करते-करते उसे आदर्श नाम के लड़के से प्रेम हो जाता है अब वह दिन रात उसी से चैटिंग करती रहती । एक दिन इस बात की भनक उसके माता-पिता को लग गई । उन्होंने उसे समझाया कि " ऑनलाइन प्रेम में
संदीप अपने माता-पिता का इकलौता पुत्र था। बचपन से ही काफी लाड प्यार में पला था। उसके माता-पिता उसकी हर इच्छा पूरी करते थे। बचपन से ही थोड़ा शरारती था। और उसे रफ़्तार से तो बड़ा ही प्रेम था ...और पढ़ेवह जिंदगी की हो या गाड़ी चलाने की । वह हर काम जल्दी बाजी में करता था। जब वह 8 साल का हुआ उसने अपने पिता से बर्थ डे गिफ्ट में साइकिल की डिमांड कर दी। माता-पिता ने भी उसकी ख्वाहिश पूरी कर दी। वह जब भी साइकिल चलाता खूब तेज चलाता जिस चक्कर में खुद भी गिरता और अपने
आजकल बच्चों में ऑनलाइन गेम खेलने का पागलपन बहुत ही ज्यादा सवार हैं । ऑनलाइन गेमिंग के चक्कर मे बच्चे पैसे की शर्त भी लगाते हैं कई बार जीत भी जाते हैं तो कई बार शर्त में पैसे हार ...और पढ़ेजाते हैं । ऑनलाइन गेम्स में कई बार ऐसे कार्य दिए जाते हैं जिसे बच्चे करने पर मजबूर हो जाते हैं वे यह नहीं समझ पाते हैं कि गेम्स के माध्यम से उनके दिमाग से खेला जा रहा है।ऑनलाइन गेम्स की वज़ह से बच्चे तनाव, जिद्दीपन ,आक्रमक, गुस्सैल व्यवहार के शिकार हो जाते हैं। वे अपने में ही खोए रहते
मृदुल और आध्या दो भाई बहन थे। मृदुल की उम्र 10 साल और आध्या की 6 साल थी । मृदुल बचपन से ही बहुत शरारती था इसलिए वो अक्सर ही डांट खाता था । जैसे-जैसे वह बड़ा होता गया ...और पढ़ेशरारतें बढ़ती गई । वह रोज कुछ ना कुछ ऐसा करता जिसकी वजह से उसके माता-पिता उसे डांटते। अब तो हालात ऐसे हो गए थे कि उसकी शिकायतें आस- पड़ोस , और विद्यालय से भी आने लगी थी। उसके माता-पिता उसे बहुत समझाते पर वह उनकी बात बिल्कुल भी नहीं सुनता। न ही अपनी पढ़ाई पर ध्यान देता जिस कारण