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मां। - उपन्यास
Anita Sinha
द्वारा
हिंदी लघुकथा
मां ईश्वर की अनमोल सौगात है। जो संतानों पर करती
ममता की बरसात है। मां सृजन करती है जो सृजन की
प्रतिमूर्ति हैं। मां बच्चों को जन्म देती है। लालन पालन
बड़ी ममता और दुलार से करती है। बच्चे मां के लिए
प्राणों से भी अधिक प्यारे होते हैं। बच्चों की देखरेख
से बढ़कर मां की जिंदगी में और कुछ नहीं है।पल पल
ख्याल रखती है नौनिहालों का।मगन रहती है बच्चों के सपने सलोने को साकार करने में पूरी जिंदगी बिता
देती है। मां ममतामई और करुणामई है। मां स्नेह का
संसार है जो बच्चों की पालनहार है। लोरी सुनाती कभी
नहीं थकती है। खुद गीले में सो जाती है बच्चों को सूखे
बिस्तर में सुलाती है। मां को नहीं लगता है ठंडा और ना
लगती है चिलचिलाती धूप वो तो लुटाने को तैयार रहती है बच्चों पर परम सुख अनूप। हंसी खुशी का खजाना लेकर उपहार में आती है ईश्वर से मां। कभी नहीं बच्चों से रूठती है मां। मां तो शक्ति स्वरुप है। मां के दैत्य भी
भाग जाते हैं। सचमुच डर के मारे वो तो कांपते हैं।
मां ईश्वर की अनमोल सौगात है। जो संतानों पर करतीममता की बरसात है। मां सृजन करती है जो सृजन कीप्रतिमूर्ति हैं। मां बच्चों को जन्म देती है। लालन पालनबड़ी ममता और दुलार से करती है। बच्चे मां के लिएप्राणों ...और पढ़ेभी अधिक प्यारे होते हैं। बच्चों की देखरेखसे बढ़कर मां की जिंदगी में और कुछ नहीं है।पल पलख्याल रखती है नौनिहालों का।मगन रहती है बच्चों के सपने सलोने को साकार करने में पूरी जिंदगी बितादेती है। मां ममतामई और करुणामई है। मां स्नेह कासंसार है जो बच्चों की पालनहार है। लोरी सुनाती कभीनहीं थकती है। खुद गीले में सो जाती
मां दुनिया में कोई हस्ती नहीं बनी है जो मां की बराबरीकर सके। मां ही है वो कश्ती जो भवसागर से नैयापार करा सके।चाहे कितने तीर्थ कर लें हम आठों याम।मां के चरणों में ही मिलेंगे सारे तीर्थ धाम।मां ...और पढ़ेना देने वाले हैं कोई भी सुख शांतिऔर अमन चैन।मां मनाती है हर हमेशा बच्चों की सलामतीदिन रैन।प्यार भी मां है बहार भी मां है और सावन कीरिमझिम फुहार भी है मां।कोशिश हमारी यही हो कि मां के आंसू नहीं बहे।बस अनहद परिश्रम करके मां के लिए सुख केसाधनों को उपलब्ध कराएं।दिल के साज और सितार भी है मां।बरगद वृक्ष