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परिवर्तन - उसके प्यार में - उपन्यास
Kishanlal Sharma
द्वारा
हिंदी रोमांचक कहानियाँ
"आप क्या लेंगे?"
"तुम कौन हो?"उसके सामने खड़ी मंझले कद की युवती से उसके प्रश्न के उत्तर में उसने उसकी तरफ प्रश्न उछाल दिया था।
"मैं बार बाला हूँ।इस बार मे काम करती हूँ।"सामने बैठे युवक का प्रश्न सुनकर शांत स्वर में उसने उत्तर दिया था।
"ओहो बार बाला।सुंदर हो।"उस युवती की बात सुनकर वह बोला था
"आपके लिए क्या लाऊं।"उस युवती ने फिर अपना प्रश्न दोहराया था।
"विहस्की।"
उसका ऑडर लेकर युवती चली गयी थी।राजन इस बार मे पहली बार आया था।आज वह पूना गया था।पूना से वह अपनी कार से वापस लौट रहा था।शाम ढल चुकी थी।और शाम होते ही उसकी प्यास जग उठती।उसे शराब की तलब महसूस होने लगी थी।मुम्बई की सीमा में प्रवेश करते ही उसकी नजर इस बार पर पड़ी थी। वह कार को बाहर पार्क करके अंदर चला आया था।
"आपकी विहस्की।"वह युवती लौट आयी थी।मेज पर विहस्की की बोतल और गिलास रखते हुए वह बोली।वह जाने लगी तो राजन उससे बोला,"सुनो।"
"आप क्या लेंगे?""तुम कौन हो?"उसके सामने खड़ी मंझले कद की युवती से उसके प्रश्न के उत्तर में उसने उसकी तरफ प्रश्न उछाल दिया था।"मैं बार बाला हूँ।इस बार मे काम करती हूँ।"सामने बैठे युवक का प्रश्न सुनकर शांत स्वर ...और पढ़ेउसने उत्तर दिया था।"ओहो बार बाला।सुंदर हो।"उस युवती की बात सुनकर वह बोला था"आपके लिए क्या लाऊं।"उस युवती ने फिर अपना प्रश्न दोहराया था।"विहस्की।"उसका ऑडर लेकर युवती चली गयी थी।राजन इस बार मे पहली बार आया था।आज वह पूना गया था।पूना से वह अपनी कार से वापस लौट रहा था।शाम ढल चुकी थी।और शाम होते ही उसकी प्यास जग उठती।उसे
राजन काफी देर तक बार मे बैठकर शराब पितां रहा।धीरे धीरे एक एक करके सब ग्राहक उठकर बार से चले गए।राजन को उठता न देख कर बार का मालिक राजन के पास आकर बोला,"सर बार बन्द करने का समय ...और पढ़ेगया है।"राजन ने हाथ मे बंधी घड़ी में समय देखा।रात के बारह बजने की सूचना घड़ी दे रही थी।राजन अपनी जगह से उठते हुए बोला,"ओ केराजन ने इला की तरफ देखा और वह बार से बाहर निकल आया।बार की पार्किंग में राजन की कार खड़ी थी।वह अपनी कार के पास चला आया।कार के पास खड़े होकर उसने कार की चाबी
माँ तो चाहती थी मुझे किसी अच्छे घर मे ब्याह दे।मा ने मुझे अपने से दूर रखकर मेरी परवरिश की थी।लेकिन थी तो वेश्या की बेटी ही जिसके बाप का और खानदान को कोई पता नही था।मुझे अपनी रखैल ...और पढ़ेके लिए तो बहुत लोग तैयार थे।लेकिन बीबी बनाने के लिए कोई नही।मेरी माँ ने दर दर पर दस्तक दी पर मेरे लिए जैसा वह चाहती थी।वैसा वर नही खोज पाई और इसी गम में बीमार पड़ गयी।इतनी बीमार की उसे केंसर हो गया।मैं मा को इलाज के लिए दिल्ली के कोठे से निकाल कर मुम्बई ले आयी।मा ने जो
राजन अभी भी गहरी नींद में सो रहा था।कुछ देर तक वह खड़ी होकर सोचती रही।राजन को जगाय या नही।फिर कुछ सोचकर बोली,"सुनोइला ने दो तीन बार पुकारा।पर वह नही जगा तब वह उसके बालो में हाथ फेरते हुए ...और पढ़ेपी लो राजन"अरे तुम चाय भी बना लायी।इतनी जल्दी"जल्दी कहा है।आठ बजे गएऔर राजन और इला चाय पीने लगे।चाय पीकर राजन फिर सो गया।इला ने काफी दिनों बाद अपने हाथ से चाय बनाई थी।बार मे तो वह पास के होटल से चाय मंगा लेती थी।चाय पीने के बाद वह उठी।फ्लेट में जगह जगह सामान बिखरा पड़ा था।इला ने सब कुछ
एक सुबह इला की आंख खुली तो उसकी नजर पलंग गयी। उसके पास ही पलंग पर सोया था।लेकिन अब वह वह नही था।कहआ गया।शायद बालकोनी में हो।और वह उठी।राजन बालकोनी में भी नही था।उसने सारा फ्लेट छान मारा लेकिन ...और पढ़ेनही मिला।आखिर सुबह उसे बिना बताए वह चला कहा गया।और वह राजन के लिए चिंतित हो उठी।राजन उसका कोई नही था।भले ही रिश्ता न हो।लेकिन वह रह तो उसके साथ ही रह रही थी।और राजन के लौटने के ििइंतजअतः में एक एक पल काटना उसके लिए भारी हो गया।और धीरे धीरे घड़ी की सुई किसकने लगी।और जैसे तैसे दिन गुजरा।शाम