एक सुबह इला की आंख खुली तो उसकी नजर पलंग गयी। उसके पास ही पलंग पर सोया था।लेकिन अब वह वह नही था।कहआ गया।
शायद बालकोनी में हो।और वह उठी।राजन बालकोनी में भी नही था।उसने सारा फ्लेट छान मारा लेकिन राजन नही मिला।आखिर सुबह उसे बिना बताए वह चला कहा गया।और वह राजन के लिए चिंतित हो उठी।राजन उसका कोई नही था।भले ही रिश्ता न हो।लेकिन वह रह तो उसके साथ ही रह रही थी।और राजन के लौटने के ििइंतजअतः में एक एक पल काटना उसके लिए भारी हो गया।और धीरे धीरे घड़ी की सुई किसकने लगी।और जैसे तैसे दिन गुजरा।शाम हो गयी।और शाम भी ढल गयो और रात ने दस्तक दे दी।
जब रात होने पर भी राजन नही आया तो उसकी चिंता बढ़ने लगी।
इला को राजन के साथ रहते हुए कई महीने हो गए थे।इन बीते हुए दिनों में ऐसी सिथति इला के सामने पहली बार आयी थी।वह चिंता में बालकोनी में इधर से उधर घूमने लगी।कभी फ्लेट में चक्कर लगाने लगती।उसकी समझ मे नही आ रहा था।वह करे तो क्या करे।राजन के बारे में कैसे पता करे।और उसे गार्ड का ख्याल आया।वह नीचे उतरकर गार्ड के पास गई थी।लेकिन कोई फायदा नही हुआ।रात में जो गार्ड ड्यूटी पर था।वह आज नही आने वाला था।
और वह वापस लौट आयी।कभी उसके मन मे ख्याल आता।अगर राजन न लौटा तो?और मन मे आये इस ख्याल को वह झटक देती।ओर उसके दिल और मन मे जबरदस्त उथल पुथल होने लगी।और काफी रात बिट जाने पर उसे कार की आवाज सुनाई दी।यह राजन की कार की ही आवाज थी।और कार की आवाज सुनते ही वह भागी थी।और राजन कार से निकलता उससे पहले ही वह नीचे जा पहुंची।
"कहा गए थे तुम मुझे बिना बताए।"राजन को देखकर उसकी आँखों मे खुशी के आंसू आ गए।
"सॉरी इला।तुम गहरी नींद में सो रही थी।मैने तुम्हे जगाना उचित नही समझा।अगर जगाता तो तुम्हारी नींद खराब हो जाती। राजन ने अपना हाथ इला के कंधे पर रखा तो उसकी चीख निकलने से राह गयी।
"क्या हुआ?"इला,राजन के चेहरे की तरफ देखते हुए बोली थी।
"कुछ नही।"राजन होठ भिचते हुए बोला
"कुछ तो है।मुझे नही बताओगे?"
"पहले अपने फ्लैट में तो चलो।"
इला,राजन को सहारा देकर अपने फ्लैट में ले आयी।बेडरूम में आकर राजन ने अपनी शर्ट उतारी।उसकी बाह से खून रिस रहा था।
"खून,"इला घबरा गई,"यह चोट कैसे लगी।"मामूली सी खरोच आयी है।घबराओ मत।"
"लेकिन लगी कैसे?"
"हमारा धंधा ही ऐसा है।इसमें ऐसा तो होता ही रहता है।"राजन,इला को समझाते हुए बोला।
इला ने राजन से पूछना टी इस समय उचित नही समझा।लेकिन वह समझ गयी कि राजन समलगिंग के धंधे में है।बार मे काम करते हुए वह मुम्बई में होने वाले काले व गलत धंधों के बारे में काफी कुछ जान गई थी।
इला डेटोल और रुई ले आयी।उसने डेटोल से राजन के घाव का साफ किया।फिर उसने ट्यूब लगाकर उसके हाथ मे पट्टी बांध दी।पट्टी बांधने के बाद इला राजन के लिए चाय बना लायी।राजन को चाय देकर वह किचन में चली गयी।आज न उसने कुछ बनाया था और न ही खाया था।वह खाना बनाने लगी।और फिर उसने राजन के साथ बैठकर खाना खाया था।
फिर
"