Kya Tumne book and story is written by Ratna Pandey in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Kya Tumne is also popular in महिला विशेष in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
क्या तुमने - उपन्यास
Ratna Pandey
द्वारा
हिंदी महिला विशेष
बसंती अपने माता पिता और बड़ी बहन जयंती के साथ झोपड़ पट्टी की एक खोली में रहती थी। उसकी उम्र अभी 15 साल ही थी। बसंती के पूरे परिवार में उसे छोड़कर बाक़ी सभी श्याम रंग के थे लेकिन वह तो मानो जैसे चमकता हुआ सोना हो; ऊपर से सुनहरे बाल उसकी सुंदरता में चार चांद लगा देते। झोपड़ पट्टी में सबसे अलग खूबसूरती का लिबास पहने बसंती को देखकर ऐसा लगता था मानो कीचड़ में यह कमल का फूल खिल गया हो। बसंती की बड़ी बहन जयंती के विवाह की तैयारियाँ चल रही थीं। गोविंद और जयंती एक दूसरे से प्यार करते थे। जयंती जिस किराने की दुकान पर सामान लेने आती थी उसका मालिक गोविंद ही था और अब गोविंद जयंती का होने वाला पति था।
गोविंद के साथ एक दिन उसका छोटा भाई भी उसके साथ बसंती के घर की तरफ़ आया था। उसने बसंती को देखा और देखता ही रह गया।
उसने गोविंद से पूछा, “भैया ये लड़की मेरी होने वाली भाभी की छोटी बहन है ना?”
बसंती अपने माता पिता और बड़ी बहन जयंती के साथ झोपड़ पट्टी की एक खोली में रहती थी। उसकी उम्र अभी 15 साल ही थी। बसंती के पूरे परिवार में उसे छोड़कर बाक़ी सभी श्याम रंग के थे लेकिन ...और पढ़ेतो मानो जैसे चमकता हुआ सोना हो; ऊपर से सुनहरे बाल उसकी सुंदरता में चार चांद लगा देते। झोपड़ पट्टी में सबसे अलग खूबसूरती का लिबास पहने बसंती को देखकर ऐसा लगता था मानो कीचड़ में यह कमल का फूल खिल गया हो। बसंती की बड़ी बहन जयंती के विवाह की तैयारियाँ चल रही थीं। गोविंद और जयंती एक दूसरे
गोविंद और जयंती दोनों ने ही मोहन और बसंती के रिश्ते के बारे में अपने-अपने घर में बात कर ली। दोनों तरफ से हरा सिग्नल मिलने के बाद फिर एक दिन गोविंद जयंती के घर आया। उसने जयंती के ...और पढ़ेसे कहा, “बाबूजी जयंती को तो आप मुझे सौंप ही रहे हैं। अगर बसंती की शादी मोहन से हो जाए तो?” “अरे गोविंद बेटा तुम हमारे दामाद हो और तुम्हारी तरफ़ से आया यह रिश्ता हमें भी मान्य है। हमारी दोनों बेटियों का साथ कभी नहीं छूटेगा। हमारे लिए तो यह बहुत ही ख़ुशी की बात है।” गोविंद ने कहा,
मंडप में बैठी महिलाओं के ऐसे व्यंग वाण सुनकर एक समझदार महिला ने कहा, “तुम लोग क्या फिजूल की बातें कर रहे हो। अरे सूरत शक्ल में क्या रखा है। गोरे काले में क्या फ़र्क़ है, सब एक जैसे ...और पढ़ेहोते हैं। बस छोरी को प्यार से रख ले, मारे कूटे नहीं तो समझो सब अच्छा है।” महिलाओं की इस तरह की बातें मोहन के मन में फेविकोल की तरह चिपक गईं। विवाह तो हो गया पर इन बेफिजूल की बातों ने विवाह के साथ ही मोहन के मन में शक का एक भयानक बड़ा ही खतरनाक कीड़ा उत्पन्न कर
मोहन के मन में शक की चिंगारी ऐसी भड़की कि उसने अपने घर में ही आग लगा दी। बसंती जब भी गोविंद से बात करती, मोहन को बिल्कुल पसंद नहीं आता। वह धीरे-धीरे उन दोनों के ऊपर शक करने ...और पढ़ेगोविंद तो बसंती को अपनी छोटी बहन ही समझता था। कभी-कभी हंसी मज़ाक भी कर लेता था। वह सपने में भी ऐसा नहीं सोच सकता था कि उसके भाई की सोच इतनी मैली है। बसंती भी गोविंद को अपने बड़े भाई की तरह ही मानती थी। उसे पढ़ने का बहुत शौक था, पर वह पढ़ नहीं पाई थी। इसलिए वह
गोविंद आज मोहन के मन में पल रहे पाप को पहचान गया था। वह जानता था कि बिना शक के मोहन यह सब नहीं करता। वह सच में उस पर शक करता है। घर में किसी तरह का तनाव ...और पढ़ेहो इसलिए गोविंद ने बसंती से बातचीत करना कम कर दिया। बेचारी बसंती भी अब घबराने लगी थी। वह भी गोविंद से कम ही बात करती थी लेकिन मोहन बिल्कुल नहीं बदला। अब वह हर रोज़ शराब पीकर आने लगा और किसी ना किसी बात पर घर में तमाशा करने लगा। बसंती के ऊपर हाथ भी उठाने लगा। एक हंसता