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महान सोच - उपन्यास
r k lal
द्वारा
हिंदी प्रेरक कथा
बहुत दिनों से रुद्रांश एक मकान तलाश रहे थे । वे अपनी पत्नी रश्मि और अपने पेरेंट्स के साथ इस शहर में एक किराए के मकान में गुजारा कर रहे थे। शादी के बाद से ही रश्मि और रुद्रांश दोनों अपना अलग एक ऐसा आशियाना बनाना चाहते थे, जिसमें वे सपरिवार सुख-शांति से रह सकें। दोनों ही ज्वाइंट फैमिली के समर्थक थे। दोनों की सैलरी का पैकेज काफी अच्छा था । उन्हें मकान खरीदने के लिए पैसे की कोई दिक्कत नहीं थी। सैलरी देख कर कई बैंक लोन देने को तैयार थे लेकिन रुद्रांश को कोई कायदे का बड़ा मकान नहीं मिल रहा था । रुद्रांश एक बड़ा मकान चाहता था, हालांकि रश्मि कहा करती थी, “हमारा छोटा परिवार ही तो हैं और हम लोगों ने तो केवल एक ही संतान की तमन्ना कर रखी है, इसलिए एक छोटा तीन कमरों का मकान हमारे लिए पर्याप्त होगा” परंतु रुद्रंश कहते थे कि बड़ा मकान होने पर ही सब कायदे से रह सकेंगे।
कुछ दिनों पहले रश्मि को अपनी कम्पनी के काम से दो महीने के लिए ऑस्ट्रेलिया जाना पड़ा। रुद्रांश चाहता था कि उसके लौटने से पहले मकान की व्यवस्था हो जाये ।
बहुत दिनों से रुद्रांश एक मकान तलाश रहे थे । वे अपनी पत्नी रश्मि और अपने पेरेंट्स के साथ इस शहर में एक किराए के मकान में गुजारा कर रहे थे। शादी के बाद से ही रश्मि और रुद्रांश ...और पढ़ेअपना अलग एक ऐसा आशियाना बनाना चाहते थे, जिसमें वे सपरिवार सुख-शांति से रह सकें। दोनों ही ज्वाइंट फैमिली के समर्थक थे। दोनों की सैलरी का पैकेज काफी अच्छा था । उन्हें मकान खरीदने के लिए पैसे की कोई दिक्कत नहीं थी। सैलरी देख कर कई बैंक लोन देने को तैयार थे लेकिन रुद्रांश को कोई कायदे का बड़ा मकान
महान सोच - भाग 2 (बाप-बेटी) आर 0 के0 लाल "आप कौन होते हैं हम लोगों के बीच बोलने वाले? हमारा झगड़ा हम पति पत्नी के बीच का है, इसलिए आप हमसे दूर ही रहें वरना अच्छा नहीं ...और पढ़ेहमें किसी की दखल- अंदाजी कदापि पसंद नहीं। न जाने कहां से चले जाते हैं, एक तो अपनी बेटी को ठीक से कोई बात सिखाई नहीं, ऊपर से ऐसी बदमिजाज बेटी को हमारे मत्थे मढ दिया और अब आए हैं उसकी तरफदारी करने" । शंभू नाथ के दामाद ने उन्हें खरी-खोटी सुनाई। शंभूनाथ ने अपनी इकलौती बेटी सुंदरम की शादी
महान सोच- भाग 3 (अंतिम संस्कार) आर0 के0 लाल भाईजी! राम राम, कहां घूम रहे हैं इतने दोपहर में? बड़ी तेज धूप है। आइए कुछ ठंडा पीते जाइए। बलवन्त ने दिनेश को देखते हुए पुकारा। दिनेश ने उत्तर ...और पढ़ेकि वे इस समय नहीं आ सकते क्योंकि वे बर्निंग घाट से आ रहे हैं और बर्निंग घाट से वापस लौटने पर किसी दूसरे के घर नहीं जाया जाता। उन्होंने बताया कि पार्क के सामने रहने वाले वाले उमेश दुबे का स्वर्गवास कल सुबह ही हो गया था। उमेश दुबे अपनी पत्नी के साथ अकेले रहते थे। उनका एक ही
महान सोच - भाग 4 (जिंदगी अपने आप चलती है) आर० के० लाल कैसे हैं आप, क्या हाल चाल है ?जब कोई ये प्रश्न पूछता है तो कहना पड़ता है कि मजे में हूं, सब ठीक है। ज्यादातर लोग ...और पढ़ेजवाब देते हैं और इसी उत्तर की लोग आशा भी करते हैं । आज सुबह जब मनीष ने दानिश से राम राम करते हुए यही सवाल दागा तो दानिश ने उन्हें पकड़ ही लिया और बोले, " मैं बिल्कुल मजे में नहीं हूं, और कुछ भी ठीक नहीं है। अब आप बताइए आप क्या कर सकते हैं? यदि कुछ नहीं
महान सोच - भाग 5 (मायका) आर० के० लाल वैसे तो भाई बहन का रिश्ता अपने आप में बेहद अनूठा और अटूट होता है मगर बहन का रिश्ता तय होते ही भाई भी सोचने लगते हैं कि चलो ...और पढ़ेलाइबिलिटी से मुक्ति मिलेगी और उसके बहन के हिस्से वाली घरेलू सुविधाएं भी उन्हें मिलने लगेगी। आज बहन को लेकर पवन और विजय दोनों सुबह से लड़े जा रहे थे। तर्क कुतर्क के बीच दोनों एक ही बात की रट लगाए थे कि दीदी के जाने के बाद उसका कमरा उन्हें मिलना चाहिए। पवन का तर्क था, “ चूंकि वह