Kavach - Kali Saktiyon Se book and story is written by DINESH DIVAKAR in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Kavach - Kali Saktiyon Se is also popular in डरावनी कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
कवच - काली शक्तियों से - उपन्यास
DINESH DIVAKAR
द्वारा
हिंदी डरावनी कहानी
काश हम उस बस में चढ़ गए होते तो शायद हम उस खतरनाक मंजर में ना फंसते...!!
उस हादसे से पहले तक मैं भूत प्रेत पर विश्वास नहीं करता था लेकिन जो हमारे साथ हुआ उसने हमें विश्वास दिलाने में मजबूर कर दिया कि सचमुच आत्माएं होते हैं। उस हादसे ने हमें अंदर से डरा दिया था तो चलिए जानते हैं आखिर ऐसी क्या वजह थी जिसने हमें वहां तक ले गई...!!
3 साल पहले....
रोहन बेटा उठ जाओ 7 बज गए हैं तुम्हें अपनी रिसर्च के काम से बाहर जाना था ना
रोहन- क्या मां कितना अच्छा अपना देख रहा था कि आपने जगा दिया।
मां- अच्छा जरा मुझे भी तो बता क्या देख रहा था।
रोहन- अच्छा तो सुनो, मैं कहीं जा रहा था सुहाना मौसम था मैं बस में चढ़कर कहीं जा रहा था तभी बस में एक लड़की चढ़ी वह दिखने में एकदम परी लग रही मानो स्वर्ग से कोई अप्सरा हो। वो बैठने के लिए इधर-उधर नजरे फेरने लगी। किस्मत से मेरे बगल वाली सीट खाली थी तो मेरे पास आकर बोली "सुनिए क्या मैं यहां बैठ सकती हूं"
काश हम उस बस में चढ़ गए होते तो शायद हम उस खतरनाक मंजर में ना फंसते...!!उस हादसे से पहले तक मैं भूत प्रेत पर विश्वास नहीं करता था लेकिन जो हमारे साथ हुआ उसने हमें विश्वास दिलाने में ...और पढ़ेकर दिया कि सचमुच आत्माएं होते हैं। उस हादसे ने हमें अंदर से डरा दिया था तो चलिए जानते हैं आखिर ऐसी क्या वजह थी जिसने हमें वहां तक ले गई...!!3 साल पहले....रोहन बेटा उठ जाओ 7 बज गए हैं तुम्हें अपनी रिसर्च के काम से बाहर जाना था नारोहन- क्या मां कितना अच्छा अपना देख रहा था कि आपने
बस हमें छोड़कर जा रहा था...बस को जाता देख कर चैत्रा और मैं उस बस में चढ़ने के लिए दौड़े लेकिन वह तेजी से चल रहा था हम बस में चढ़ नहीं पाए और बस काफी दूर निकल गया।चैत्रा- ...और पढ़ेक्या करें रोहन- रुको मुझे सोचने दो तभी मेरे दोस्त घसीटा का फोन आया "कहां पर हो यार तुम लोग ! हम कब से तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं?रोहन- अरे यार हम करलाई के जंगल से बहुत दूर आ गए हैं तुम लोग बुलेट पर है तो तुम ही यहा आ जाओ देखते हैं यहां वह दुर्लभ फूल मिलता है
इस कहानी को समझने के लिए पिछले दोनों भागों को पढ़ेंयह सुनकर मैंने पूछा- कैसे ??तब चैत्रा ने बोला - 1 महीने पहले मेरी दीदी एक लड़के से प्यार करती थी। लेकिन पापा को यह रिश्ता मंजूर ना था। ...और पढ़ेदीदी उस लड़के के प्यार में पागल हो गई थी उन्होंने मंदिर में शादी करने का सोचा।दीदी ने अपना और उस लड़के का कुंडली मिलान करवाने के लिए उस लड़के से उसका कुंडली मांगा, लेकिन वह लड़का बहाना बनाते हुए बोला- वह..वह.. तो मेरा जन्म कुंडली खो चुका हैदीदी- नहीं जब तक हमारी कुंडली नहीं मिल जाए तब तक हमारी
पूरी कहानी जानने के लिए पिछले तीन भाग को पढ़ेंमैं तुम्हें नहीं छोडूंगायह कहकर चैत्रा के शरीर में प्रवेश भल्लालदेव की आत्मा चैत्रा के शरीर को खत्म करने की कोशिश करने लगा।मैं बैग वहीं छोड़ कर उसे रोकने लगा, ...और पढ़ेदेख कर वह प्रेत मुझे मारने के लिए दौड़ा। मैं तो चैत्रा के उपर हाथ नहीं सकता था क्योंकि मैं उससे प्यार जो करता था और वह प्रेत इसी बात का फायदा उठा रहा था,,अचानक उसने मुझे जोर से एक मुक्का मारा और मैं अपने बैग के उपर गिर गया तभी उसने मुझे फिर मारने के लिए हाथ लगाया तो
मेरे बेटे को छोड़ दो तुम जो कहोगे वो मैं करने के लिए तैयार हूं, लेकिन मेरे बेटे को कुछ मत करना। प्लीज मैं तुम्हारे पांव पड़ता हूं, नहीं नहीं मेरे बेटे को छोड़ दो.........आज तीन साल हो गए ...और पढ़ेहादसे को हुए हम दोनों ने उसे भुलाने का बहुत कोशिश किया लेकिन भुला नहीं पाए जब भी उस हादसे की याद आती है तो रूह काप जाती है खैर छोड़िए अभी इन सब बातों कोचैत्रा और मेरी शादी होने के बाद हमारा एक प्यारा सा बच्चा हुआ वह बहुत खूबसूरत था जब नर्स ने उसे उठाकर मुझे देने आयी