कवच - काली शक्तियों से - भाग 6 - अंतिम भाग DINESH DIVAKAR द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कवच - काली शक्तियों से - भाग 6 - अंतिम भाग

रोहन घर से निकलने ही वाला था कि चैत्रा ने उसे रोका और बोली- मैं भी तुम्हारे साथ जाउंगी।

रोहन- नहीं मैं अकेला ही जाऊंगा, तुम वहां मुसीबत में पड़ सकती हो

चैत्रा- जो भी हो जाएंगे तो दोनों साथ जाएंगे जो होगा देखा जायेगा

रोहन- तो चलो फिर देखते हैं कौन हमारे बेटे को हमसे दूर कर पाता है।

तभी रोहन की मां का फोन आया- हां मम्मी बोलो

मां- बेटा सुन मेरा जी बहुत घबरा रहा है मैंने जो तुम्हे समन को जन्म के समय पहनाने के लिए जो सूर्य कवच दिया था उसे तुमने समन को पहनाया हैं ना ?

रोहन- मां वो बात ऐसी है.........

मां - क्या बात है साफ साफ बताओ

रोहन उन्हें सारी बात बताता है

मां - से भगवान! अब क्या होगा

रोहन- मां तुम चिंता मत करो हम जा रहे हैं अपने बेटे को बचाने

मां- सुनो अपने साथ सूर्य कवच को भी ले जाना वह तुम्हारी रक्षा करेगा।

सुनसान रात जहां हजारों सियारों की रोने की आवाजें आ रही थी वहीं दूसरी तरफ चील गिद्ध की आवाज मन में खौफ पैदा कर रही थी, रोहन फुल स्पीड में गाड़ी चला रहा था कि रोहन ने देखा सामने समन जमीन पर बैठा है उसने अचानक से ब्रेक मारा।

चैत्रा - क्या हुआ रोहन ?

रोहन- वो आगे जमीन पर समन लेटा है

चैत्रा - वो तुम्हारा वहम होगा मुझे तो कुछ नहीं दिखाई दिया, जल्दी चलो हमें वहां जल्द से जल्द पहुंचना है पता नहीं मेरा बेटा कैसा होगा

रात के एक बजे दोनों करलाई के जंगल में प्रवेश हुए तभी अचानक से गाड़ी रूक गई

चैत्रा - ये गाड़ी को क्या हुआ

रोहन- पता नहीं मैं चेक करता हूं

रोहन गाड़ी को चेक कर रहा था कि तभी एक आवाज आई 'पापा'

समन समन काहा हो तुम- रोहन बैचेन हो उठा

चैत्रा - क्या हुआ रोहन ? तुम ऐसे क्यो चिल्लाए

रोहन- समन की आवाज मुझे सुनाई दिया हमें जल्दी से महल पहुंचना होगा चलो जल्दी गाड़ी में बैठो

थोड़ी ही देर में गाड़ी स्टार्ट हो गया दोनों महल की तरफ बढ़े , बंगले पर जाकर गाड़ी रूकी , दोनों महल में प्रवेश हुए

रोहन जोर से चिल्लाया- लो मैं आ गया, मेरे बेटे को छोड़ दो चाहो तो मेरी जान ले लो।

तब एक आवाज आई- आ ग‌ए तुम लगता है तुम्हें अपने बेटे से प्यार नहीं है तभी इतने देर लगाए आने में

रोहन- छोड़ दो मेरे बेटे को

छोड़ दूंगा छोड़ दूंगा पर उससे पहले एक खेल तो हो जाए

खेल कैसा खेल ? रोहन हैरानी से बोला

मौत का खेल अगर जीत गए तो तुम्हारा बेटा बच जाएगा नहीं तो

रोहन- ठीक है बताओ

पास में दो कब्रिस्तान है तूम दोनों को वहां से एक एक फुल लाना होगा जो सौ साल में केवल एक बार ही खिलता है, और वो भी आधे घंटे के अंदर अगर देर हुआ तो इसका अंजाम तुम जानते ही हो।

रोहन और चैत्रा अलग अलग कब्रिस्तान में जाने के लिए तैयार हुए , रोहन चैत्रा को सूर्य कवच देते हुए बोला- ये लो यह तुम्हारी रक्षा करेगा

रोहन- और तुम

रोहन- मेरी चिंता मत करो मुझे कुछ नहीं होगा, चलो हमारे पास ज्यादा समय नहीं है।

चैत्रा कब्रिस्तान में प्रवेश हुई वहां का नजारा बेहद खौफनाक तथा डरावना था वह डरते डरते आगे बढ़ने लगी तभी उसे वह दिव्य फुल दिखा वह आगे बढ़ने लगी तभी सारे शैतान उसे घेर कर खड़े हो गए और एक साथ उसके तरह बढ़ने लगे

चलो जो होगा देखा जायेगा अपने बेटे को बचाने के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं ऐसा कहकर चैत्रा भगवान का नाम लेकर सूर्य कवच को आगे करके बढ़ने लगी सूर्य कवच की शक्ति से वह टिक नहीं पाए और उसके रौशनी में गायब हो गए।

इधर रोहन दूसरे कब्रिस्तान में प्रवेश हुआ कुछ देर के तलाश के बाद उसे वह फुल दिखाई दिया वह उसके तरफ बढ़ने लगा जैसे ही वह फुल तोड़ने के लिए अपना हाथ बढ़ाया किसी ने उसे उठाकर जमीन पर पटक दिया वह शैतान थै फिर देखते ही देखते वहां क‌ई सारे शैतान आ गए ।

सभी शैतान उसके उपर वार करने के लिए दौड़े तभी चैत्रा ने सूर्य कवच रोहन की ओर फेंका जिससे शैतान उसे छूते ही भ्रम हो गए।

दोनों वापस महल में पहुंचे।
देखो शैतान हम फुल ले आये अब तुम हमारे बच्चे को छोड़ दो।

छोड़ दूंगा इतनी भी क्या जल्दी है उस फुल को उस थाली में रख दो जिसमें राख पडा है

रोहन- लो रख दिया अच्छा अब जरा सजा भी तो भुगतो इतना कहते ही क‌ई सारे शैतान उनके ओर बढ़ने लगे रोहन ने उन्हें सूर्य कवच से नष्ट करना चाहा लेकिन उसका उन पर कोई असर नहीं हुआ बल्कि उनसे होकर वह लाकेट जमीन पर गिर पड़ा।

मुझे दाल में कुछ काला लग रहा है - रोहन ने चैत्रा से बोला

तुम इन लोगों कख ध्यान भटकाओ मैं पता लगता हूं क्या माजरा है

चैत्रा चन लोगों का ध्यान भटकाने लगी और रोहन सभी कमरों की तलाशी करने लगा तभी एक कमरे में जाकर ठीठक गया वहां तो कोई और ही खेल चल रहा था।

उस कमरे में एक ओर हवन चल रहा था और दूसरी ओर एक आदमी कम्प्यूटर के साथ बैठा था

रोहन उसे पकड़ने के लिए दौड़ा और बोला- अच्छा बेटा इन सब के पीछे तेरा हाथ है, उतने में चैत्रा भी आ गई

हां इन सब के पीछे मेरा ही हाथ है तुम्हारे बच्चे को अगवा कर तुम्हें यहां बुलाना और उस दिव्य फुल को पाना और तूमसे बदला लेना


बदला किस बात का बदला हम तो तुम्हें जानते भी नहीं है- रोहन हैरानी से बोला


पिछली बार जब तुम लोग यहां आये थे तो यहां एक बुजुर्ग आदमी था वो मेरे पिता जी थे हम इस राजपरिवार के वफादार हैं इसलिए जब मैं वापस आया तो पता चला तुम दोनों ने हमारे महाराज को मार दिया है इसलिए मैं तुमसे बदला लेना चाहता था।

और आज मेरा सपना पुरा हो जाएगा वो थाली जिसमें तुम लोगों ने फुल रखा है उसमें भल्लाल देव की अस्थी है जो उस दिव्य फुल से पुनः जिवित हो जाएंगे और फिर

रोहन- ऐसा कुछ नहीं होगा , मैं जब यहां आया तभी समझ गया था कि तुम कोई महाराज के भुत वुत नहीं हो क्योंकि अगर वो होता तो हमें मार देता हमारे सामने आता।

तुम्हारा खेल खत्म हो गया अब सड़ना जेल में

चैत्रा - रोहन समन काहा है

रोहन- बता कहां रखा है तुने मेरे बेटे को

हां हां हां नहीं बताऊंगा, ढूंढ लो नहीं मिलेगा

उस आदमी को बांधकर दोनों अपने बेटे को ढूंढने लगे हर कमरे को अच्छी तरह से तलाश करने के बाद भी समन कहीं नहीं मिला

दोनों खोज खोज कर थक गए, तभी एक हल्का सा आवाज आया- पापा

समन समन, समन यही है

चैत्रा - वो देखो वह सिंहासन पहले की स्थिति में नहीं है शायद वो कोई रास्ता हो।

रोहन ने जैसे ही उसे घुमाया एक दरवाजा खुल गया जिसमें समन बैठा रो रहा था।
The end