THE FINAL DESTINATION book and story is written by DINESH DIVAKAR in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. THE FINAL DESTINATION is also popular in डरावनी कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
द फाइनल डेस्टिनेशन - उपन्यास
DINESH DIVAKAR
द्वारा
हिंदी डरावनी कहानी
शरद ऋतु के उस मौसम में भी माउंट एवरेस्ट पर कड़ाके की ठंड पड़ रही थी चारों तरफ बर्फ ही बर्फ छाया हुआ था तापमान शून्य से बहुत नीचे चला गया था। कहीं कहीं लोगों की लाशे बर्फ में दबी पड़ी थी वे वे लोग थे जो माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे लेकिन ठंड की वजह से और उंचाई से गिरने की वजह से वहीं मर गए थें।
विनोद श्रद्धा अमित अजित भुमिका भी उस विशाल पर्वत माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए आगे बढ़ रहें थे विनोद का बचपन से बस एक ही सपना था माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का। वह पर्वत पर चढ़ने के लिए वह कई सालों से तैयारी कर रहा था और आखिरकार आज वो मौका मिल ही गया। माउंट एवरेस्ट जो 29029 फुट ऊंचा है जो तिब्बत के चोमोलुंग्मा और नेपाल में सारगगाथा नाम से भी जाना जाता है।
सभी अपने सामानों को एक बैग में रखकर अपने पिछे लटकाएं हुए थे। जिसमें नाइलोन की रस्सी, आक्सीजन सिलेंडर, कीलवाले जूते, कुल्हाड़ी, आइस एक्स, हेलमेट इत्यादि थे।
पर्वत पर चढ़ाई शुरू हुआ लेकिन 5000 फुट की ऊंचाई पर पहुंचने के बाद अजित अमित और भुमिका ने हार मान लिया और वापस जाने लगें विनोद और श्रद्धा ने उन्हें रोकने की बहुत कोशिश किया लेकिन सब बेकार था। फिर विनोद और श्रद्धा आगे बढ़ें और करीब 20000 फुट की ऊंचाई तक पहुंचते पहुंचते उनका आक्सीजन सिलेंडर का आक्सीजन खत्म हो गया और उन दोनों की सांस फुलने लगी। तब श्रद्धा बोली- अब हम मरने वाले हैं अब ना ही हम नीचे जाकर बस सकते हैं और ना ही उपर जा सकते हैं हमारे पास आक्सीजन ही नहीं है।
शरद ऋतु के उस मौसम में भी माउंट एवरेस्ट पर कड़ाके की ठंड पड़ रही थी चारों तरफ बर्फ ही बर्फ छाया हुआ था तापमान शून्य से बहुत नीचे चला गया था। कहीं कहीं लोगों की लाशे बर्फ में ...और पढ़ेपड़ी थी वे वे लोग थे जो माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे लेकिन ठंड की वजह से और उंचाई से गिरने की वजह से वहीं मर गए थें। विनोद श्रद्धा अमित अजित भुमिका भी उस विशाल पर्वत माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए आगे बढ़ रहें थे विनोद का बचपन से बस एक ही सपना था
अब तक..... राघव और उसके दोस्त होटल में पार्टी करने के लिए जाते हैं लेकिन वापस लौटते समय बीच रास्ते में उनके साथ कुछ अजीब घटनाएं होने लगती है..अब आगे ....आदि उठा और कुछ दूर से एक बड़ा पत्थर ...और पढ़ेजोर से राघव के सर को कुचल दिया राघव जोर से चिल्लाया 'नहीं......'तभी आदि ने राघव के शरीर को जोर से हिलाया और पूछा- राघव क्या हुआ! तू इतने जोर से क्यों चिल्लाया ?इस बात से राघव उस भ्रम से बाहर आया उसके चेहरे पर खौफ था आंखें लाल। गाड़ी में ऐसी आन होने के बावजूद राघव के चेहरे से
अब तक........ राघव और उसके दोस्त पार्टी करने के लिए एक बार में जातें हैं लेकिन वापस आने के समय उनके साथ एक अजीब घटना घटित होती है उसके दूसरे दिन आदि के सिवा बाकी दोस्त नौकरी के लिए ...और पढ़ेचले जाते हैं और तीन साल बाद वापस इंडिया आते हैं क्योंकि उनका दोस्त आदि का एक्सीडेंट हुआ है वहीं एक अंजान खतरा उनका इंतजार कर रहा है क्या होगा आगे ?अब आगे..........राघव और कृति दिल्ली जाने वाली फ्लाइट में बैठ जाते हैं वहीं उसी फ्लाइट में सानिया और फ्रेडी भी बैठे हुए हैं लेकिन चारों इस बात से अंजान
अब तक........ राघव और उसके तीनों दोस्त दिल्ली पहुंच गए थे और वे उस अंजान नंबर के मदद से उस अस्पताल में पहुंचते हैं जहां आदि एडमिट है वहां जाकर उन्हें पता चलता है की आदि को कुछ नहीं ...और पढ़ेहै वो बस अपने दोस्तों को इंडिया बुलाने की योजना थी फिर वे पांचों एक होटल में जाना डीनर करते हैं फिर वापस आते समय राघव देखता है सामने से दो ट्रक उनके गाड़ी के बेहद करीब आ गए हैं वे ट्रक उनके गाड़ी को रौंदते हुए आगे निकल जाते हैं ।अब आगे........राघव जोर जोर से चिल्लाए जा रहा था-
अब तक...... राघव और उनके दोस्त एक एडवेंचर पर जाने का फैसला करते हैं जिसके बाद उनके साथ अजीब अजीब घटनाएं होने लगती है और सब मारें जातें हैं।अब आगे......राघव का शरीर उस जलते हुए ट्रक से दब गया ...और पढ़ेउसका हाथ कटकर उस पुस्तक पर जा गिरा वह पुस्तक खून से सना गया उस पुस्तक का नाम था द फाइनल डेस्टिनेशनराघव चीखा- नहीं, वह हड़बड़ा कर बिस्तर से गिर पड़ा उसका शरीर पसीना पसीना हो गया वह अपने आप को देखने लगा, वह सही सलामत है मतलब वो सपना था वह बिस्तर पर बैठ गया टेबल पर रखें पानी