द फाइनल डेस्टिनेशन - 2 DINESH DIVAKAR द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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द फाइनल डेस्टिनेशन - 2

अब तक.....
राघव और उसके दोस्त होटल में पार्टी करने के लिए जाते हैं लेकिन वापस लौटते समय बीच रास्ते में उनके साथ कुछ अजीब घटनाएं होने लगती है..
अब आगे ....

आदि उठा और कुछ दूर से एक बड़ा पत्थर लाकर जोर से राघव के सर को कुचल दिया राघव जोर से चिल्लाया 'नहीं......'

तभी आदि ने राघव के शरीर को जोर से हिलाया और पूछा- राघव क्या हुआ! तू इतने जोर से क्यों चिल्लाया ?

इस बात से राघव उस भ्रम से बाहर आया उसके चेहरे पर खौफ था आंखें लाल। गाड़ी में ऐसी आन होने के बावजूद राघव के चेहरे से पसीना निकल आया वह अपने आप को सम्हालने की कोशिश करने लगा। थोड़ी देर उसी हालत में बैठे रहने के बाद आदि ने राघव को देखा वह अब थोड़ा ठीक था। राघव को ठीक देखकर और उस कब्रिस्तान के डरावने माहौल को देखकर आदि ने तेजी से गाड़ी आन किया और तेजी से उस जगह से निकलने की कोशिश करने लगा।

कृति राघव के कंधे पर हाथ रखकर बोली- हे तुम ठीक हों !

राघव धीरे से बोला- हां मैं ठीक हूं

फिर राघव अपने उपर पहने जैकेट को उतार कर साइड में कर दिया जिसमें वह रहस्यमय किताब थी।

आदि गाड़ी को सड़क तक ले जाना चाहता था लेकिन जैसे वह जंगल कोई भुलभुलैया हो सड़क का नामोनिशान नहीं दिख रहा था तभी आदि के आंख में कोई मच्छर जैसा कुछ चला गया और तभी गाड़ी नम मिट्टी वाले दल-दल में फिसलते हुए थोड़ी दूर तक चला गया और किसी चिज़ से टकराकर रूक गया।

आदि अपने आंख को मसलते हुए आस पास देखा तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई सामने 30 फुट गहरा खाई था जिसके नीचे से एक नदी बह रहा था। गाड़ी दो छोटे चट्टानों मे अटका हुआ था जो कभी भी गिर सकता था राघव और आदि सावधानी पूर्वक बाहर आकर कृति सानिया और फ्रेडी को गाड़ी से बाहर निकलने लगें। गाड़ी से सभी बाहर आते ही गाड़ी उस खाई से गिर कर नदी में समां ग‌ई और साथ में वह रहस्यमय किताब भी।

आदि जोर से चिल्लाया- ओह सिट... अरे यार ये हम कहां फंस गए। आखिर क्या हो रहा है ये सब... अगर....

राघव बीच में बोल पड़ा- आदि शांत हो जाओ हमें धीरज से काम करना चाहिए ऐसे गुस्सा करने से हम इस मुसीबत से बाहर नहीं निकल सकतें

कृति- राघव सही कह रहा है हमें सावधानी से काम लेना चाहिए।

फिर राधव आदि कृति सानिया और फ्रेडी सावधानी पूर्वक उस नम मिट्टी वाले दल-दल से बाहर निकलें और तेजी से आगे बढ़ने लगे तभी उन्हें एक ट्रक की आवाज सुनाई दी। उनके चेहरों पर थोड़ी मुस्कान आ गई वे पांचों उस आवाज की ओर भागने लगे एक छोटे से डलान के उपर लंबी सड़क दिखाई देने लगी।

वे पांचों उस सड़क पर पहुंच गए सड़क पर पहुंच कर उन्होंने राहत की सांस ली और वहीं लेट ग‌ए। थोड़ी देर बाद कृति बोली- अब हमें घर पहुंचने के लिए कुछ करना चाहीए हम ऐसे यहां बैठ नहीं सकते!

उसे सुनकर राघव उठा और आसपास देखने लगा सामने एक बोर्ड था जिसपर लिखा था न‌ई दिल्ली 50 किलोमीटर

राघव- ओह सीट अभी हम अपने घर से 50 किलोमीटर दूर है, हमें पैदल ही चलना होगा क्योंकि आसपास कोई गाड़ी भी आ जा नहीं रही है।

उसे सुनकर सभी झुंझलाहट के साथ आगे बढ़े करीब 5 किलोमीटर तक चलने के बाद कृति और सानिया ने जवाब दे दिया

कृति- इसके आगे मैं एक और कदम नहीं चल सकती!

सानिया- हां ऐसा लग रहा है जैसे साल भर का काम एक दिन में ही कर लिया है!

उस बात को सुनकर वे तीनों उन दोनों के पास बैठ ग‌ए

राघव फिर बोला- लेकिन अगर घर पहुंचना है तो हमारे पास सिर्फ यहीं एक तरीका है क्योंकि इतनी रात को यहां कोई गाड़ी मिलने से रही।

तभी एक ट्रक काफी दूर से आती हुई दिखाई दी सभी के चेहरों पर थोड़ी मुस्कान आ गई लेकिन उसे देखकर फ्रेडी चौंकते हुए बोला - कहीं ये वही ट्रक तो नहीं जिसकी वजह से हम उस मुसीबत में फंसे थे क्योंकि इतनी रात को यहां ट्रक नहीं हमें उस ट्रक में नहीं बैठना चाहिए.....

आदि- लेकिन वो दूसरा ट्रक हुआ तो!

राघव- हां हमें चेक तो करना चाहिए नहीं तो हमें पैदल ही जाना पड़ेगा और कल हमारी प्लाइट भी तो है

सभी रास्ते के दोनों तरफ खड़े होकर लिफ्ट मांगने लगे गाड़ी तेजी से आगे निकल ग‌ई लेकिन थोड़ी दूर पर जाकर रूक गई, राघव और आदि ट्रक की ओर बढ़े तभी उस ट्रक के दरवाजे को खोलकर कर एक पंजाबी आदमी बाहर आया और बोला- ओय कि होया तुम मुंडे इतनी रात को इस सुनसान रास्ते पर कि कर रहे हों और साथ में ये दोनों कुडी (लड़की) भी।

राघव ने उन्हें सबकुछ बताया और बोला- सरदार जी हमें घर तक लिफ्ट दे दिजीए आपकी बड़ी मेहरबानी होगी!!

ओर तुम लोग घबराओ न‌ई मेरे नाल(साथ) चलों, फिर वे पांचों उस ट्रक पर चढ़ गए और गाड़ी तेजी से न‌ई दिल्ली की ओर बढ गई

3 साल बाद...

एक रहस्यमय पहाड़ियों में छुपा एक दरवाजा जो काफी विशाल और पुरानी थी उस पर मकड़ियों ने अपना डेरा जमा लिया था उस दरवाजे के पास पांच लोग पहुंच जाते हैं उनके चेहरों पर खुशी झलक रहे थे। वे उस दरवाजे को खोलने की नाकाम कोशिश करते रहे तभी उनमें से एक आदमी आसपास कुछ देखने लगा तभी उसे उस दरवाजे के उपर लिखा कुछ शब्द सुनाई दिया वह अनायास ही बोल पड़ा- द फाइनल डेस्टिनेशन !

इस शब्द से उस दरवाजे पर कुछ हलचल हुई और वो धीरे धीरे खुलता गया वे पांचों अंदर ग‌ए अंदर एकदम अंधेरा और सन्नाटा पसरा हुआ था वे अपने साथ लाए टार्च जलाकर देखने लगें तभी उनकी नजर दो बदसुरत और डरावने सायों पर पड़ी उनका चेहरा इतना डरावना था कि वे लोग डर के मारे चिख पड़े और तेज़ी से उस दरवाजे से बाहर जाने लगें लेकिन उनके जाने से पहले ही दरवाजा तेजी से बंद हो गया।

वो डरते हुए पीछे मुड़े तो एक भयानक आवाज आई- द फाइनल डेस्टिनेशन मैं तुम्हारा स्वागत है इतनी मुश्किलो के बावजूद आखिर तुम लोग अपने आखिरी लक्ष्य तक पहुंच गए, लेकिन तुम्हें नहीं पता कि आखिरी लक्ष्य तो मौत होती है।

ऐसा कहकर वे दोनों रूह उन चारों पर टूट पड़े उसके बाद वे दोनों उस आखिरी बचे आदमी के पास पहुंचे वह आदमी डर के मारे कांप रहा था उसे देखकर वे दोनों रूह एक डरावनी मुस्कान से मुस्कुराते हुए बोले- तुम्हारे वजह से हम आजाद हुए है इसलिए तुम्हारा बहुत बहुत धन्यवाद।

इसके बाद उन दोनों ने अपने नुकिले पंजों से उस आदमी के सिर को एक ही झटके में काट दिया तभी उस सिर पर टार्च की रोशनी पड़ी वह राघव था।

राघव हांफते हुए उठ बैठा उसके चेहरे पर पसीना छा गया वह अपने सिर को छूने लगा वह सही सलामत था उसने राहत की सांस ली और एक टावेल से अपने चेहरे को पोंछा उस सपने ने राघव को पुरी तरह से डरा दिया।

थोड़ी देर उसी अवस्था में बैठने के बाद वह उठा और बाथरूम में घुस गया शावर चलने की आवाज आई फिर थोड़ी देर बाद वह बाथरूम से बाहर आया और रसोई घर में जाकर काफी बनाने लगा। नहाने की वजह से उसका चेहरा फ्रेश लग रहा था ऐसा लग रहा था जैसे कुछ हुआ ही नहीं था। काफी हाथ में लिए वह बालकनी में बैठ ग‌या और मोबाइल में आए नोटिफिकेशन चेक करने लगा।

तभी कृति का काॅल आया राघव मुस्कुराते हुए फोन रिसीव किया- हैलो!

कृति- हैलो मेरी जान क्या कर रहे हों !

राघव- बस तुम्हारी ही ख्यालों में खोया हुआ हूं मेरी जानेमन।राघव थोड़ी शरारती अंदाज में बोला।

कृति- अच्छा जी लगता है जनाब रोमांटिक मूड में हैं। कृति अपने टोन को चेंज करती हुई बोली।

राघव- और नहीं तो क्या!

तब कृति फिर उसी टोन में बोली- सब्र रखिए जनाब सब्र का फल मीठा होता है

तब राघव मूंह बनाते हुए बोला- और कितना सब्र करूं तीन साल हो गए हमारी सगाई हुई लेकिन शादी के बिच में हमेशा हमारा काम आ जाता है तुम न्यूयॉर्क में और मैं कैलिफोर्निया में।

कृति- ओके फाइन अगले महीने तुम्हारा जन्मदिन है उसी दिन हम शादी करेंगे।

राघव खुशी से उछलते हुए- वाव आखिर इतने सालों की मेरी तपस्या सफल होगी, लेकिन शादी हम इंडिया में ही करेंगे।

कृति- ठीक है बाबा!

राघव- लेकिन उन तीनों का क्या हाल है।

कृति याद करते हुए- अच्छा वो तीनों का, सानिया और फ्रेडी वर्जिनिया और वाशिंगटन में है लेकिन आदि....

राघव- क्या हुआ आदि कहा है ??

कृति- वह इंडिया में ही है तीन साल पहले के उस घटना से वह बहुत प्रभावित हुआ है और इसलिए वह अपने जाब को छोड़कर पता नहीं क्या करता रहता है।

राघव- ओह.....

तभी एक अंजान नंबर से राघव को फोन आया, राघव कृति के काल को होल्ड पर रखकर उस काल को रिसीव किया- हैलो कौन ??

तभी एक घबराती हुईं आवाज आई- हैलो क्या आप राघव जी हो आदि रस्तोगी के दोस्त !!!

राघव- हां मैं आदि का दोस्त राघव हूं लेकिन....

वो आवाज राघव के बात को बीच में ही टोंक कर बोल पड़ी- आदि का बहुत बड़ा एक्सीडेंट हो गया है उसकी बचने की उम्मीद बहुत कम है आप जल्दी से इंडिया आ जाइए आदि मरने से पहले आप चारों दोस्तों को देखना चाहता है...

इतना कहते ही फोन कट जाता है लेकिन राघव बेचैनी से उस नंबर पर काल करता रहता है लेकिन फोन नाट रिचेबल आ रहा था।

राघव के आंखों से आंसू निकलने लगे वह घबराते हुए कृति को फोन लगाया कृति ने फोन उठाया,राघव बोलना चाहता था लेकिन आवाज ही नहीं निकल रहा था आंसू निकलते ही रहें,राघव को रोता सुन कृति बेचैन हो उठी, उसने कभी राघव को इस हालत में नहीं देखा था। कृति जिस हालत में थी वह तेजी से गाड़ी में बैठी और एयरपोर्ट पर जा पहुंची और एक आधे घंटे में राघव के घर का डोर बेल बजा राघव के आंखें लाल हो चुका था वह दरवाजा खोला सामने कृति थी।

कृति के आंखों में सवालों का ढेर था लेकिन राघव कृति के बाहों में समा गया उसके आंखों से फिर आंसू छलक ग‌ए, कृति उसे शांत करके पुछने लगी, तब राघव ने उसे आदि के हालात के बारे में बताया, कृति की आंखें नम हो गई फिर उसने राघव का सामन पैक किया और राघव को लेकर इंडिया आने के लिए फ्लाइट में बैठ गई। वहीं सानिया और फ्रेडी को यह समाचार मिला तो वे भी तेजी से इंडिया आने वाली फ्लाइट में बैठ ग‌ए।

एक बेहद अंधेरी सुरंग के अंदर एक गुफा बना हुआ था उसमें चमगादड़ों की लाल आंखें चमक रहे थे तभी एक बेहद खौफनाक आवाज आई- तीन साल बाद फिर से मौत के चक्र का आगाज़ होने जा रहा है और इस चक्र की पुनः शुरुआत होगी उन पांचों दोस्तों से जिसने हमें आजाद किया था.....

इसके बाद वह गुफा खौफनाक हंसी से गूंज उठी

इसके बाद एक ही आवाज उस गुफा में गूंजने लगी - तैयार हो जाओ इस मौत के सफर के लिए.......

शेष अगले अंक में......

®®®Ꭰɪɴᴇꜱʜ Ꭰɪᴠᴀᴋᴀʀ"Ᏼᴜɴɴʏ"✍️

तो यह भाग आपको कैसा लगा उम्मीद है आपको पसंद आया होगा मुझे कमेंट करके जरूर बताइएगा तो चलिए पढ़ते हैं इस कहानी का अगला भाग और जानते हैं आगे क्या हुआ....