Kali Ghati book and story is written by दिलखुश गुर्जर in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Kali Ghati is also popular in डरावनी कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
काली घाटी - उपन्यास
दिलखुश गुर्जर
द्वारा
हिंदी डरावनी कहानी
नमस्कार दोस्तों मेरा नाम दिलखुश गुर्जर है और यह मेरी पहली कहानी है तो अगर कोई त्रुटी हो जाए तो क्षमा कर देना।
{ परिचय }
भानपुर नाम का एक गांव था, यह गांव एक घाटी के पास बसा हुआ था, जिसे सामान्यत: काली घाटी के नाम से जाना जाता था और इसी घाटी में रास्ता होकर शहर की तरफ जाता था, इस गांव में एक तालाब था जिसमें कमल के फूल खिले हुए थे इस पूरे गांव का दृश्य मन को मंत्रमुग्ध करने वाला था लेकिन जहां अच्छाई होती है वही बुराई भी होती है उस काली घाटी में लोग रात में जाने से डरते थे क्योंकि जो भी आदमी उस घाटी में रात में जाता था वह कभी भी वापस लौट कर नहीं आता था,अब क्यों नहीं आता था यह जानने के लिए पढ़ते रहिए हमारी कहानी "काली घाटी" को
इस गांव में एक शिवा नाम का लड़का रहता था जिसकी उम्र लगभग 18 साल थी उसके पिता का नाम रमेश था जोकि दुध बेचने का काम करता था, वह रोजाना अपनी गायों का दूध निकाल कर काली घाटी से होकर शहर में बेचने के लिए जाता था रास्ते में काली घाटी होने की वजह से उसके अंदर डर बना रहता था की अगर किसी दिन में शहर से आने में लेट हो गया तो क्या होगा लेकिन आज तक वह लेट तो नहीं हुआ था उनके पास खेत भी था जिसमें शिवा और उसकी मां रेणुका काम करते थे
आज शिवा और उसकी मां
खेत में काम करके घर आ रहे थे , घर आते आते उन्हें शाम हो गई थी, और जब वो घर पहुंचे तो उन्हें पता चला कि रमेश अभी तक घर नहीं आया था
नमस्कार दोस्तों मेरा नाम दिलखुश गुर्जर है और यह मेरी पहली कहानी है तो अगर कोई त्रुटी हो जाए तो क्षमा कर देना।{ परिचय }भानपुर नाम का एक गांव था, यह गांव एक घाटी के पास बसा हुआ था, ...और पढ़ेसामान्यत: काली घाटी के नाम से जाना जाता था और इसी घाटी में रास्ता होकर शहर की तरफ जाता था, इस गांव में एक तालाब था जिसमें कमल के फूल खिले हुए थे इस पूरे गांव का दृश्य मन को मंत्रमुग्ध करने वाला था लेकिन जहां अच्छाई होती है वही बुराई भी होती है उस काली घाटी में लोग रात
शिवा उपर पेड़ पर देखता है तो उसकी आंखें फटी की फटी रह जाती हैसाहब.....साहब पेड़ पर सियाराम की लाश लटकी हुई थी,यह देखते ही उसकी सांसें अटक जाती है वह कुछ समझ ही नहीं पा रहा था कि ...और पढ़ेइतनी सी देर में कैसे हो गया उसका पूरा शरीर पसीने से भीग गया था।सियाराम की लाश की ऐसी हालत हो गई थी की यकीन करना मुश्किल था,उसके पुरे शरीर पर बहुत सारी कीलें चुभी हुई थी जिनसे खून निचे टपक रहा था, उसकी आंखों की जगह खून ही खून निकल रहा था , जैसे किसी ने उसकी आंखें ही