Prem ka Shaher book and story is written by Manju Prajapat in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Prem ka Shaher is also popular in लघुकथा in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
प्रेम का शहेर - उपन्यास
Manju Prajapat
द्वारा
हिंदी लघुकथा
कहते हैं ना कि अगर आपकी किस्मत में जो लिखा होता है वही आपको मिलता है लेकिन हमारी प्यारी श्रेया को ये बात को समझाए। श्रेया एक 22 साल की यंग, क्यूट और सुंदर लड़की जो किस्मत में बिल्कुल यकीन नहि करती हैं ।वह अपनी किस्मत खुद बनाने पर विश्वास रखती हैं । पर आज उसके साथ कुछ ऐसा होने वाला है कि जो उसकी किस्मत बदल के रख देगा। मॉर्निंग के 7 बज चुके तबी एक आवाज दरवाजा से आई मिस उठ्जाये सुबह हो गही हैं आप लेट हो जाएगी .ये थी मिस मोनिका मित्तल हाउस की सब से वफादार और पुरानी सर्वेंट और । मित्तल हाउस ये घर था श्रेया का जो नॉर्थ दिल्ली में था। श्रेया मित्तल उदय मित्तल और पाखी मित्तल की बेटी थी। और श्रेया एकलौती लड़की थी मित्तल खानदान की। वैसे श्रेया के पास पैसों की कमी नहीं है। पर वो अपनी किस्मत खुद बनाना चाहती थी इसलिए वो जॉब करती थी। इस पर उसके पापा नहीं मान रहे थे। पर बेटि की जिद के आगे क्या करते। वैसे श्रेया घर के बाहर एक आम सी लड़की की तरह ही रहना पसंद करती है। वो बाहर किसी को भी अपनी पहचान नहीं बताती हैं । वो नहीं चाहती कि कोई भी उसकी अमीरी देख कर उसे पसंद करे।
प्यार का शहर 1 हैलो, ये मेरी पहली कहानी कृपया करके समर्थन करें । दिल्ली प्यार का शहर। भारत की टॉप सिटी में से एक। कहते हैं ना कि अगर आपकी किस्मत में जो लिखा होता है वही आपको ...और पढ़ेहै लेकिन हमारी प्यारी श्रेया को ये बात को समझाए। श्रेया एक 22 साल की यंग, क्यूट और सुंदर लड़की जो किस्मत में बिल्कुल यकीन नहि करती हैं ।वह अपनी किस्मत खुद बनाने पर विश्वास रखती हैं । पर आज उसके साथ कुछ ऐसा होने वाला है कि जो उसकी किस्मत बदल के रख देगा। मॉर्निंग के 7 बज चुके
प्यार का शहर 2 आगे के भाग में आपने देखा की श्रेया अपने चाचा चाची की प्यारी सी नोख झोक के साथ दिन की शुरुआत करती हैं और निकल जाती है अपनी एक्टिवा लेके, जिसे वो प्यार से बबली ...और पढ़ेहै। ऑफिस के लिए देर होने की वजह से वो जल्दी जल्दी एक्टिवा चला रही थी और आगे आगे भाग रही थी पर उसकी किस्मत इतनी जल्दी उसका पीछे छोड़ने वाली नहीं थी वो भी आई रही थी उसके पीछे पीछे। श्रेया तेजी से एक्टिवा चला रही थी और वो जैसे हि गांधी चौक तक पंहुची तब तक चौक का