city of love - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

प्रेम का शहेर - 2

प्यार का शहर

2

आगे के भाग में आपने देखा की श्रेया अपने चाचा चाची की प्यारी सी नोख झोक के साथ दिन की शुरुआत करती हैं और निकल जाती है अपनी एक्टिवा लेके, जिसे वो प्यार से बबली बुलाती है।

ऑफिस के लिए देर होने की वजह से वो जल्दी जल्दी एक्टिवा चला रही थी और आगे आगे भाग रही थी पर उसकी किस्मत इतनी जल्दी उसका पीछे छोड़ने वाली नहीं थी वो भी आई रही थी उसके पीछे पीछे। श्रेया तेजी से एक्टिवा चला रही थी और वो जैसे हि गांधी चौक तक पंहुची तब तक चौक का सिग्नल रेड हो चुका था ये देखकर श्रेया ने लभी सास लि और छोड़ दी। वैसे श्रेया के पापा उदय मित्तल इस शहर की मसुर् हस्ति थी उनकी पहचान बड़े मंत्रियों से थी और तो और प्रधान मंत्री भी उदय मित्तल को अच्छी तरह से जनता है. तो श्रेया ये सिग्नल तोड़ भी देती तो कोई उससे कुछ नहीं कहता पर आप जानते ही हमारी प्यारी श्रेया को अपनी पहचान किसी को नहीं बताती थी इसलिए वो आम लोगों की तरह ही रहती थी। श्रेया जैसे ही सिग्नल पर रुखी उसकी नज़र पास के रिक्शा पर पड़ी जिस्मे एक औरत थी और उसके साथ एक। 2 साल का बच्चा था जो रो रहा था शायद इसकी वजह दिल्ली कि गर्मी थी या फिर लोगो के बार बार हॉर्न बजने से वो बच्चा डर रहा था। श्रेया से उस बच्चे का रोना देखा नहीं गया तो वो बच्चे के पास गई और उसे गोदी में ले लिए और उसे एक गाना सुनने लगी।" खामोशिया एहसास है........"बच्चा थोड़ी देर चुप रहा और फिर से रोने लगा। श्रेया को ये देख कुछ समझ में नहीं आया। और अचानक उसे अपना हाथ अपने सर पर रखा और मन में ही बोली 'श्रेया श्रेया एक तो पहले से ही वो लड़का रो रहा है और ऊपर से तुम उसे उदासी से भरा हुए गाना सुना रही हो' इतना सोचते ही श्रेया को एक प्यारा सा गाना याद आ गया और गाने लगी "ये चांद सा रोशन छाहरा' श्रेया ने ये गाना इतना मस्त गया था कि 1 मिनट के लिए तो सब उसकी आवाज में बह ही गए । जैसे ही श्रेया ने गाना बंद किया सब होश में आए या जोर जोर से ताली बजाने लागे। वैसे भी हमारी श्रेया की आवाज और चेहरा है ही इतना अच्छा कि कोई भी उसे नजरंदाज नहीं कर सकता। गाना खत्म होते ही श्रेया अपनी बबली पे बेठ गई और अपने सर पर हाथ रखते हुए बोली "उफ्फ श्रेया क्या होगा तुम्हारा, त ऐ से तो कट चुकी तुम्हारी जिंदगी"।और सिग्नल ग्रीन होते ही हमारी श्रेया सर सर करके निकल गई इस बात से अंजान की किस्मत उसे देख सुखी है।


फ्लैशबैक...........

जब श्रेया गांधी चौक पर रुखी तभी उसके पास एक ब्लैक कलर की पोर्शे कार् रुखी। वो गाड़ी इतनी अच्छी थी कि सब उसे ही देख रहे थे पर हमारी श्रेया तो अपने में ही थी. उस गाड़ी में पीछे की तरफ एक लड़का था उसने ग्रे कलर का सूट पहना था और ब्लैक कलर का चश्मा पहन रखा था. वो लड़का देखने में इतना अच्छा था कि अगर किसी की नजर उसके ऊपर पड़ जाए तो वो उसका दीवाना हो जाए। लड़कियां नहीं यहां तक ​​की लड़के भी उसके दीवाने थे। लड़कीया तो उसकी एक झलक पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार थी। ये लड़का था बिजनेस टाइकून नील ओबेरॉय जो कि ओबेरॉय एम्पायर का वारिश । जिस कि उमर थी 25 साल् ।अगर् पूरे इंडिया में ओबेरॉय कि कोई बराबारी का था । तो वो थे मित्तल। बाकी तो कोई भी आदमी इनके सामने देखने की हिम्मत भी नहीं कर्ता।
सभी लोग उस गाड़ी को देख रहे थे। और उसी समय एक मधुर आवाज नील के कानो में पड़ी उसने अपने ड्राइवर से कहा "रेडियो बन्द करो"। ड्राइवर ने रेडियो बन्द किया। और नील ने गाड़ी का आईना खोला । तो उसे एक प्यारी सी आवाज सुनाई दी उसे सुनते ही उसके कान् उस आवाज का पिछा करने लगे पर उस आवाज तक पोछ नहीं पाये ।ये आवाज थी हमारी श्रेया की। नील ने श्रेया का छहरा देखने की कोशिश की पर वो देख नहीं पाया क्यू की श्रेया की बबली नील की गाड़ी के पीछे थी और धूप ज्यादा होने की वजह से बाहर का कुछ भी सही से नहीं दिख रहा था पर हमारी श्रेया की आवाज ही काफी थी नील को अपना दीवाना बनाने के लिए . तबी श्रेया ने अपना हाथ अपने सर पर रखा तो नील को अपने साइड मिरर में उसके हाथ में
एक चांद बार्सलेट दिखाई दिया । उसे देख कर ऐसा लग रहा था कि ये बार्सलेट उस नाजुक सी कलाई के लिए ही बना है। वो बरसाते उन हाथो में ऐसा अलग रहा था जैसे कि भगवान कृष्ण के हाथ में बासुरी.दोनो एक दूसरे के लिए ही बने हो.
फ्लैशबैक खत्म....
सिग्नल ग्रीन हुआ और श्रेया वहा से सर.. कर के निकल गई और नील उसे देखता ही रह गया। नील ने उसे जाते देख ड्राइव को भी चलने को कहा और थोड़ी दूर आते ही नील ने अपना चश्मा निकाला जिससे उसकी काली और गहरी आखे साफ दिखाई दे रही थी वो इतनी गहरी थी कि अगर उन आंखों में कोई दुब गया तो नीचे पंहुचते पंहुचते सदियां लग जाए और थोड़ी देर बाद नील अपनी गाड़ी में आंख बंद कर के पीछे लेट गया। और श्रेया की उस कलई और बार्सलेट के बारे में सोचने लगा। तभी नील की गाड़ी उसके ऑफिस के बाहर रुखी और वो ऑफिस पहुच गया। इधर श्रेया भी ऑफिस में आ। सुखी थी।

जारी रहेगा........


तो कैसी लगी आपको हमारे हीरो या हेरोइन की पहली मुलाकात। उम्मिद एच आपको पसंद आही होगी।

अन्य रसप्रद विकल्प