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Unkahe रिश्ते - उपन्यास
Vivek Patel
द्वारा
हिंदी लघुकथा
मेरे Dad मेरा जुठ जानते है...
वैसे तो बहुत सारे रिस्तो के बारे मैं मुझे बताना है लेकिन क्या है कि जाने पहचाने रिश्ते तो रोज मुझे मेरे होने का अहसास दिलाते है लेकिन एक ऐसा रिस्ता होता है जो कभी दिखता नही , वो कही बिकता नही, वो कही बनता नही , वो रिश्ता हमारे जन्म से पहले हमारे साथ जुड़ा रहता है~ बाप-बेटे का रिश्ता।
मुझे याद है जो मेरी माँ ने कहा था कि तेरे जन्म की समय गांव मे, अस्पताल से तू आये उससे पहले गांव के हर घर मे मिठायाँ पोहच गई थी आखिर कार तेरे Dad गुरुर बनके तू जो आ रहा था। हा , गुरुर था मुझपे! तभी तो कह रहा हूँ कि एक रिश्ता ऐसा भी होता है जो हमारे जन्म से पहले बनता है। वैसे देखा जाए तो बेटे तो बाप के गमंड होते ही है वो गमंड जो कोई बाप नही चाहेगा कि वो कभी टूटे और मानो न मानो उन्हें फक्र होता है अपने इस गमंड पर। लेकिन क्या है कि अपने EGO के चक्कर मे कही न कही बेटे उसे तोड़ ही देते है। फिर भी ये रिश्ता ज़िन्दगी भर रहता है। पता है क्यों? क्योकि बेटे के लिए ये रिश्ता भले कुछ समय का ही हो बाप के लिए वो भगवान से मांगी हुई दुआ होती है, उनकी ज़िंदगी की पहली और शायद से आखरी ख्वाहिश होती है, उनकी संतान।।।
Blogमेरे Dad मेरा जुठ जानते है...वैसे तो बहुत सारे रिस्तो के बारे मैं मुझे बताना है लेकिन क्या है कि जाने पहचाने रिश्ते तो रोज मुझे मेरे होने का अहसास दिलाते है लेकिन एक ऐसा रिस्ता होता है जो ...और पढ़ेदिखता नही , वो कही बिकता नही, वो कही बनता नही , वो रिश्ता हमारे जन्म से पहले हमारे साथ जुड़ा रहता है बाप-बेटे का रिश्ता।मुझे याद है जो मेरी माँ ने कहा था कि तेरे जन्म की समय गांव मे, अस्पताल से तू आये उससे पहले गांव के हर घर मे मिठायाँ पोहच गई थी आखिर कार तेरे Dad
Blogदादीमाँ (Grandma's Debt is to be paid)सुना था पेहचान होती है तो रिश्तो की शुरुवात होती है,और पेहचान खत्म हो जाने से रिश्ते खत्म हो जाते है.. मेरी दादीजी कि जिंदगी मैं अब किसीकी पेहचान रहती ही नही है, ...और पढ़ेभी रिश्ते टिके रहते है।पता नही हम अपनी ज़िंदगी की कहानी श्याही से क्यो लिखते है, कही न कही उसी चाह मैं श्याही से लिखते है कि कोई उसे मिटा न शके,, लेकिन उसे हमेशा क्यों रखना है?? हम एक rubber क्यों नही रखते? जिससे हम सारी गलतियां , गलत फेसले मिटा सकें!! क्यों सब यादों से हमे हर बार
मेंने वो टिकटे संभाल रखी है।हम रोज मिलते थे, वही रोज जहा से अक्सर ट्रेने गुजरती रहती है,जहा बहुत सारे लोग अपने सफर की शुरुवात करते है। जहा हररोज कोई बिछड़ता है, कोई मिलता है, तो कोई अत्यधिक भीड़ ...और पढ़ेखुदको संभालता है कोई जल्दी जल्दी में फिसलता है। हर एक मुसाफिर के ज्यादातर रास्ते यही से जाते है ~ रेलवे स्टेशन आप सोच रहे होंगे येह तो कोई जगह हुए मिलने की, मुलाकाते तो ज्यादातर वहाँ होती है जहा एकांत हो, जहा एक दूजे को परेशान करने को कोई नही हो। लेकिन हमें कोई फर्क नही पड़ता था। हम
बहुत से रिश्तों की बातें की है मेने चलो आज में उपनी ही बात कर लेता हूं, मैं उन लोगो मे से हूँ जो ज़्यादातर किसी अंजानो से बाते नही करते या फिर उनसे गुल मिल के रहने मैं ...और पढ़ेदेर लगती है तब तक शायद सामने वाला इंसान या तो Give up कर चुका होता है या फिर हमारे रहने न रहने के उसपे फिर कोई प्रभाव नही रहता। हमारा रिश्ता उन आम रिश्तो मैं शामिल हो जाता , जहा बस ज़्यादातर रिश्ते वो किताब से हो जाते है जिसे हमने पढ़ लिया होता है ओर अब वो कोने
A favorite thing I love to be with..Flowerpots!!मेरी ना सब अच्छी सी Hobbies में एक ना Blacony गार्डनिंग की है। मुझे ना बहुत पसंद है उसे Maintain करना। उस जगह वक्त गुजारना, plants को वक्त देना, उन्हें पनपते हुए ...और पढ़ेमुझे बहुत पसंद है। ये छोटी छोटी चीज़ मुझे अपने आप से मिलाती है। गमलो की देखभाल में ऐसे करता हु जैसे कि वो कोई निर्जीव पदार्थ है ही नही, कोई मेरा अपना है जो मेरे गमो को बाटता है,और सबसे बड़ी बात मेरी हर बात को सुनता है। आप कह सकते हो कि हम दोनों एक दूजे से बंधे