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देह की दहलीज - उपन्यास
prashant sharma ashk
द्वारा
हिंदी महिला विशेष
आप इस जाॅब के इंटरव्यू के लिए आई हैं। इंटरव्यू लेने वाले शख्स ने रोशनी से सवाल किया था।
जी, सर। रोशनी ने बड़े ही सलीके साथ जवाब दिया।
क्या आपको पता नहीं है कि रिज्यूम में अपने नाम के साथ पिता का नाम भी लिखा होता है।
इंटरव्यू लेने वाले शख्स के इस सवाल का जवाब देने में रोशनी कुछ संकोच कर रही थी। फिर उसने कहा जी, जानती हूं सर।
फिर भी आपके पिता का नाम इसमें नहीं लिखा है, जान सकता हूं क्यों ?
जी, जी वो....
ओह, पिता के साथ कोई इश्यू लगता है आपका।
जी, नहीं सर पिता के साथ कोई इश्यू नहीं है।
तो फिर आपके रिज्यूम में पिता का नाम क्यों नहीं है ?
जी वो मुझे मेर पिता का नाम नहीं पता है।
इस बार इंटरव्यू लेने वाले शख्स ने रोशनी को देखते हुए पूछा- मतलब ?
अब तक संकोच कर रही रोशनी ने इस सवाल का जवाब एकदम सटीक दिया और कहा क्योंकि मेरी मां वेश्या थी, इसलिए मुझे मेरे पिता का नाम नहीं पता है।
आप इस जाॅब के इंटरव्यू के लिए आई हैं। इंटरव्यू लेने वाले शख्स ने रोशनी से सवाल किया था। जी, सर। रोशनी ने बड़े ही सलीके साथ जवाब दिया। क्या आपको पता नहीं है कि रिज्यूम में अपने नाम ...और पढ़ेसाथ पिता का नाम भी लिखा होता है। इंटरव्यू लेने वाले शख्स के इस सवाल का जवाब देने में रोशनी कुछ संकोच कर रही थी। फिर उसने कहा जी, जानती हूं सर। फिर भी आपके पिता का नाम इसमें नहीं लिखा है, जान सकता हूं क्यों ? जी, जी वो.... ओह, पिता के साथ कोई इश्यू लगता है आपका। जी,
कुछ ही दिन बीते थे कि आंटी के कहने के बाद वो दिन भी आ गया जब रोशनी की नथ उतराई होनी थी। ये वो रस्म होती है, जिसमें कोई लड़की पहली बार किसी मर्द के साथ सोने के ...और पढ़ेजाती है। आज यह रस्म रोशनी के साथ निभाई जाने वाली थी। रोशनी ऐसे भी बहुत खूबसूरत थी फिर आज उसे काफी अच्छे से सजाया गया था। कोठे के कुछ निश्चित ग्राहकों के अलावा कुछ बड़े लोग भी आज कोठे पर आए थे। नथ उतारने से पहले यहां बोली लगाने का रिवाज है, जिसकी बोली सबसे ज्यादा बोली लगाने वाला
आंटी रोशनी को ही आवाज लगाती है और निरंजन उसके साथ एक कमरे में चला जाता है। कमरे में जाने के बाद निरंजन बोतल से अपना पैग बनाता है और पीने लगता है। इधर रोशनी उसे देखती है। कुछ ...और पढ़ेबीत जाने के बाद भी निरंजन सिर्फ शराब पीता रहता है। रोशनी- आप सिर्फ पीने के लिए आए हैं तो मैं अपना काम कर लूं। निरंजन- उसकी ओर गौर से देखता है और फिर कहता है- हां, आप अपना काम कर लो। रोशनी फिर उठती है और अपनी पुरानी किताबों को व्यवस्थित करने में लग जाती है। निरंजन उसे किताबों
नई जिंदगी को शुरू करते हुए रोशनी काफी खुश नजर आ रही थी। वो मन ही मन एहसानमंद थी निरंजन की जिसने उसे कोठे की जिंदगी से आजादी दिलाकर समाज में एक नई जगह देने की पहल की थी। ...और पढ़ेजिस शहर में निंरजन और रोशनी रहते थे वहां कोई भी उनके खासकर रोशनी के अतीत के बारे में नहीं जानता था, इसलिए रोशनी यहां अपनी जिंदगी आसानी से बसर कर सकती थी। कुछ ही समय में रोशनी ने घर को अच्छे से संभाल लिया था। वह ना सिर्फ एक पत्नी की भूमिका अच्छे से निर्वहन कर रही थी, बल्कि
समाज के लोगों की नजर और अपनी मजबूरियों के कारण जिस दलदल में रोशनी उतरी थी, वो उससे निजात पाना चाहती थी, उसे अपनी हर सांस इतनी बोझिल लगने लगी थी, जिससे वो आजाद हो जाता चाहती थी, परंतु ...और पढ़ेके बच्चों की जिम्मेदारी उसे अब तक बांधे हुए थी। जिम्मेदारी और मजबूरियों के धागे से बंधी रोशनी बच्चों के भविष्य के लिए हर समझौता किए जा रही थी। वक्त बीतता गया और एक वक्त ऐसा भी आया जब दीपू घर की जिम्मेदारी उठाने के काबिल हो गया था। रोशनी को उम्मीद थी कि दीपू अब घर की जिम्मेदारी उठाएगा