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तलाश. - उपन्यास
Sarvesh Saxena
द्वारा
हिंदी थ्रिलर
रात के लगभग ढाईं बजे......
कमरे की खिड़की खुली थी जिससे ठंडी हवा का झोंका बार बार कमरे के अन्दर आकर कानों में अजीब सी खुसफुसाहट पैदा कर रहा था कि तभी बड़ी तेज कैलेंडर के फड़फड़ाने की आवाज आई तो बिस्तर पर लेटी दामिनी की आंख खुली, उसने जल्दी से उठकर देखा तो खिड़की के बाहर का नजारा देखकर थर्रा गई, उसके माथे पर पसीने की बूंदे उभर आईं और फिर भी वो उठकर खिड़की की तरफ जाने लगी |
खिड़की के बाहर कई सारे लोग खड़े थे, उनके सबके चेहरे बिल्कुल सफेद थे, जैसे वो मर चुके हों, सारे के सारे दामिनी को घूर रहे थे, मानो वो चाहते नही कि दामिनी उनके बीच जिन्दा कैसे खड़ी है |
“ कौन हो तुम लोग? और यहां.....यहां मेरे घर के बाहर क्युं खड़े हो”? दामिनी ने डरते हुये कहा |
“ हम खो चुके हैं, हम खो चुके हैं..........” | ये कहकर वो सारे लोग जोर जोर से चिल्लाने लगे कि तभी उनमें से एक ने दामिनी का हांथ पकड़ा और बोला, “ चलो......मेरे साथ चलो” | इतना कहकर वो दामिनी को अपनी तरफ खींचने लगा, दामिनी अपना हांथ छुड़ाने के लिये जोर से चिल्ला पड़ी |
भाग -1 रात के लगभग ढाईं बजे...... कमरे की खिड़की खुली थी जिससे ठंडी हवा का झोंका बार बार कमरे के अन्दर आकर कानों में अजीब सी खुसफुसाहट पैदा कर रहा था कि तभी बड़ी तेज कैलेंडर के फड़फड़ाने ...और पढ़ेआवाज आई तो बिस्तर पर लेटी दामिनी की आंख खुली, उसने जल्दी से उठकर देखा तो खिड़की के बाहर का नजारा देखकर थर्रा गई, उसके माथे पर पसीने की बूंदे उभर आईं और फिर भी वो उठकर खिड़की की तरफ जाने लगी | खिड़की के बाहर कई सारे लोग खड़े थे, उनके सबके चेहरे बिल्कुल सफेद थे, जैसे वो मर
भाग – 2 रात के करीब डेढ़ बजे दामिनी के कमरे में कुछ खटपट हुई, जिससे दामिनी की आंख खुल गई, उसने नजर उठाकर देखा तो खिड़की के बाहर कोई खड़ा था जिसे देख वो बिल्कुल थर्रा गई और ...और पढ़े“ कौन है वहां? कौन है”? डर लगने के बावजूद भी वो खिड़की के पास चली गई, जैसे उसे कोई अपनी ओर खींच रहा हो | उसने खिड़की के पास जाकर देखा तो वह गुमशुदा लड़का उसकी खिड़की के बाहर खड़ा उसी की ओर देख रहा था, दामिनी ने जल्दी से खिड़की खोली और कहा, “ तुम.... तुम यहां कैसे?
भाग – 3 अगले दिन दामिनी सुबह उठकर नहा धोकर तैयार हो गई मां ने पूछा, “ अभी तो सुबह के 10:00 बजे हैं, कहां जा रही है तू”? उसने कहा, “ नहीं.... कुछ नहीं मां, मैं बस कोमल ...और पढ़ेयहां जा रही हूं, शादी की तैयारियां करानी हैं ना” | “ अरे हां..... ठीक है बेटी, जा जा... यह तो बहुत अच्छी बात है” | दामिनी घर से निकल गई और सीधा डॉक्टर के घर के बाहर आकर खड़ी हो गई, आज भी वहां काफी भीड़ थी, उसे खड़े खड़े उसे दो से तीन घंटे हो गए लेकिन उस
भाग – 4 जब यह बात दामिनी के पिताजी को पता चली तो उन्होंने दामिनी से कहा, “ अच्छा एक काम करो दामिनी, तुम उस लड़के को हम से मिला, दो बाकी जब उसका मिशन पूरा हो जाएगा तो ...और पढ़ेतुम दोनों की शादी करा देंगे, अबकी बार उससे मिलना तो बता देना कि हम दोनों राजी हैं लेकिन तुम कम से कम उसकी फोटो तो दिखा सकती हो” | दामिनी ने हंसते हुए कहा, “ थैंक यू सो मच.... मम्मी पापा लेकिन आप उसकी फोटो या मोबाइल नंबर कुछ भी नहीं ले सकते क्योंकि मैंने बताया था ना कि
भाग – 5 अगले दिन मां का अंतिम संस्कार हो गया और घर में मातम छा गया | कुछ दिन बाद कोमल दामिनी से मिलने आई तो उसे ये जानकर बड़ा दुख हुआ | “ सच में न जाने ...और पढ़ेनजर लग गई हम दोनों को” | कोमल ने दुख जताते हुये कहा | “ हां यार सही कह रही है” | दामिनी ने जवाब दिया | “ अच्छा.... अब इस घर को कौन संभालेगा, तू शादी कर ले जल्द ही, देख अंकल की हालत भी अब बेकार हो चुकी है” | कोमल समझाते हुये बोली | दामिनी को उसकी