Hum par hua Hamla book and story is written by Sangeeta Choudhary in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Hum par hua Hamla is also popular in यात्रा विशेष in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
हम पर हुआ हमला - उपन्यास
Sangeeta Choudhary
द्वारा
हिंदी यात्रा विशेष
प्रातकाल नहा धोकर मैं तैयार होकर स्कूल की तरफ निकल चुकी थी स्कूल में मॉर्निंग की प्रार्थना हो गई थी हम सभी अपनी-अपनी क्लासों में बैठ चुके थे आज हमारा टेस्ट था फिर अचानक मेरी बड़ी दीदी मेरे पास आई और मुझसे बोला कि चलो हम अपनी कुलदेवी माता पूर्णागढ़ के भाकरी यानी पर्वत पर चलते हैं सारे गांव इन हमारे परिवार वाले वहां पर चूड़ाकर्म हो रहा तो उनकी देवी की आराध्या देवी के लिए जा रहे थे मैं वहां जाने के लिए बहुत उत्सुक थी मैंने टीचर से अनुमति पाकर में वहां की ओर रवाना हुई तय समय में मैं वहां पहुंची सबसे पहले हम सब ने ऊपर की चढ़ाई करना शुरू किया रास्ते में रुकते हुए लगभग हमने 45 मिनट में ऊपर तक की चढ़ाई पूरी की हम लगभग 15 से 20 लोग थे जो गुफा के तरफ जा रहे थे हम सब ने पहले ही सुना हुआ था की गुफा में माता जी की मूर्ति है और वहां पर एक अखंड ज्योति है जो हमेशा प्रज्वलित होती रहती है जब से मंदिर बनाए तब से उस चीज को देखें और माता को देखने के लिए हम सब चने को और भी ज्यादा उत्सुक हो गए हम सब एक लाइन बनाकर पहाड़ों के बीच से होकर गुफा की तरफ आगे बढ़ रहे थे तभी अचानक हमारी नजर सामने बहुत बड़े मधुमक्खियों के छत्ते पर पड़ी |
प्रातकाल नहा धोकर मैं तैयार होकर स्कूल की तरफ निकल चुकी थी स्कूल में मॉर्निंग की प्रार्थना हो गई थी हम सभी अपनी-अपनी क्लासों में बैठ चुके थे आज हमारा टेस्ट था फिर अचानक मेरी बड़ी दीदी मेरे पास ...और पढ़ेऔर मुझसे बोला कि चलो हम अपनी कुलदेवी माता पूर्णागढ़ के भाकरी यानी पर्वत पर चलते हैं सारे गांव इन हमारे परिवार वाले वहां पर चूड़ाकर्म हो रहा तो उनकी देवी की आराध्या देवी के लिए जा रहे थे मैं वहां जाने के लिए बहुत उत्सुक थी मैंने टीचर से अनुमति पाकर में वहां की ओर रवाना हुई तय समय
हम तेजी से नीचे की तरफ जा रहे थे हमारे कदम लड़खड़ा रहे थे , हम तेजी से नीचे की तरफ आ रहे थे हमारे कदम लड़खड़ा रहे थे आप सोच भी नहीं सकते हमारे पीठ पर कितना तेज ...और पढ़ेहो रहा था ऐसा लग रहा था मानो हजारों हजारों इंजेक्शन एक साथ ही पूरे शरीर पर लगाए लगा रहा हो शरीर का एक भी हिस्सा बाकी नहीं रह गया था कि यहां पर दर्द नहीं हो रहा है फिर मैं और मेरे बड़े भैया जैसे ही नीचे पहुंच नहीं लगे तब हमें दिखाई दिया कि एंबुलेंस निकल रही है