हम पर हुआ हमला - 2 Sangeeta Choudhary द्वारा यात्रा विशेष में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • मुक्त - भाग 4

        मुक्त -----उपन्यास की दर्द की लहर मे डूबा सास भी भारे छो...

  • इश्क दा मारा - 39

    गीतिका बहुत जिद करने लगती है।तब गीतिका की बुआ जी बोलती है, "...

  • My Wife is Student ? - 25

    वो दोनो जैसे ही अंडर जाते हैं.. वैसे ही हैरान हो जाते है ......

  • एग्जाम ड्यूटी - 3

    दूसरे दिन की परीक्षा: जिम्मेदारी और लापरवाही का द्वंद्वपरीक्...

  • आई कैन सी यू - 52

    अब तक कहानी में हम ने देखा के लूसी को बड़ी मुश्किल से बचाया...

श्रेणी
शेयर करे

हम पर हुआ हमला - 2

हम तेजी से नीचे की तरफ जा रहे थे हमारे कदम लड़खड़ा रहे थे , हम तेजी से नीचे की तरफ आ रहे थे हमारे कदम लड़खड़ा रहे थे आप सोच भी नहीं सकते हमारे पीठ पर कितना तेज दर्द हो रहा था ऐसा लग रहा था मानो हजारों हजारों इंजेक्शन एक साथ ही पूरे शरीर पर लगाए लगा रहा हो शरीर का एक भी हिस्सा बाकी नहीं रह गया था कि यहां पर दर्द नहीं हो रहा है फिर मैं और मेरे बड़े भैया जैसे ही नीचे पहुंच नहीं लगे तब हमें दिखाई दिया कि एंबुलेंस निकल रही है फिर हम तेजी से नीचे आए तब हमें पता चला कि एंबुलेंस निकल चुकी है फिर इंतजार करने के लिए हम नीचे बैठे हमें पानी पिलाया गया गांव के लोगों के द्वारा और फिर मेरे शरीर के सारे मधुमक्खियों के डंक निकालने के लिए आदमी आए उन्होंने निकालने का काम किया तब तक एक पंडित जी गाड़ी बुलाई और उस गाड़ी में मेरी चाची मैं और मेरी भाभी मेरी बड़ी दीदी अब जिन जिन जो जो पीछे रह गई थी वह सब उन सबको गाड़ी में बिठाकर हॉस्पिटल ले जाया जा रहा था हम सब को उल्टी हो रही थी जी मचला राहा था इतना बुरी हालत हो गई थी किसी का मुंह बोलने लायक नहीं रहता पूरे पूरे शरीर में सूजन आ गई थी फिर भी हम उस गाड़ी में बैठे चीखते चिल्लाते जैसे तैसे करके हॉस्पिटल पहुंचे वहां पर हमें स्ट्रेचर पर लिटा के अंदर ले जाया गया जैसे ही हम वहां पहुंचे वहां पर मीडिया कर्मी की टीम आ के पहुंच गई थी जब वो आ गए तब हमें अंदर भी नहीं घुसने दिया जो पहले एंबुलेंस आई थी उन सब को तो एडमिट कर लिया था लेकिन मीडिया वाले आ गए थे बोल रहे थे क्या हुआ कैसे हुआ हमला हमसे पूछ रहे थे हम बोलने की हालत में भी नहीं थे हम बोलने की हालत में नहीं थे कि वह सुबह से तो हमने खाना भी नहीं खाया था माताजी की प्रसादी का भोग लगने के बाद सब खाने के लिए बैठे इंतजार कर रहे थे तब तक हम पर हमला हो गया तो हमने खाना भी नहीं खाया और प्रशादी भी नहीं खाई भूख से हमारा बुरा हाल था और इतनी सारी मधुमक्खियों का जहर शरीर में में तेजी से दौड़ रहा था फिर भी हम बोलने की हालत में नहीं थी फिर हमें अंदर ले जाया गया में हमारी सब की एक एक करके रिपोर्ट तैयार किया फिर बताया कि इनके ऊपर तो काफी ज्यादा मधुमक्खियों का हमला हुआ है इसका शाम हो गई लोगों का तांता लग गया था एक एक करके आदमी आकर हमारे हाल चाल पूछने लगे कुछ खड़े होकर बैठ के बैठ कर अपनी बात बताने लगे थे लेकिन मैं तो उनकी भी हालत में नहीं थी शरीर पूरा कमजोर हो चुका था कि मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था मैं अपने बड़े भैया से बार-बार यही पूछ रही थी कि पापा को मत बताना मेरे ऊपर इतना हमला हुआ की गुफा के अंदर गई थी लेकिन पापा ने ऐसा नहीं किया भैया ने कहा कि नहीं पापा कुछ नहीं कहेंगे आप के साथ अकेले के साथ ऐसा थोड़ी है जो भी गुफा में गया उनकी सब की हालत ऐसी है फिर मेरे चाचा के लड़की जिसके पापा टीचर ह वह यह कह रहे थे कि क्या जरूरत थी तुम्हें अंदर जाने की बाकी इन सब लोगों के साथ इतने सारे लोग थे जो नहीं गए गुफा में क्या जरूरत थी तो मैं गुफा देखने की क्या तुमने जिंदगी में कभी गुफा नहीं देखी जो इतनी उतावली हो कि उसकी तरफ गई मैं डर रही थी कि कहीं मेरे पापा ऐसे मुझे नहीं डरते हैं अच्छा नहीं लगा है लेकिन उन्होंने मेरे साथ ऐसा कुछ भी नहीं किया क्योंकि वह वर्ल्ड के बेस्ट पापा वो तो ऐसा मानते हैं कि जो लिखा होता है वह तो होकर ही रहता है हम चाहे कुछ भी कर लेती छोड़ने जो हमारे साथ करना था यह होता है वह तो होकर ही रहता है फिर भइया ने मैंने भैया से कहा कि आप बिल्कुल आप पापा को मत बताना भैया क्या सब गांव वालों को तो यह खबर पता चल गई थी कि उनके साथ ऐसा हुआ है गुफा गुफा देखने गए उन पर हमला हो गया है और जो हुआ गुफा देखने गए और पीछे थे वह गांव में वापस आ रही थे उन्होंने वापस आते ही हमसे हम सब की सारी बातें गांव वालों को और मेरे घर वालों को बता दी part 3 का इंतजार करें आगे की कहानी देखने के लिए