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काढ़ागोला : एक यात्रा - उपन्यास
rajeshdaniel
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
बिहार के एक छोटे से कसबे का नाम है काढ़ागोला। इसे काढ़ागोला कहें या बरारी अथवा गुरुबाजार । ऐतिहासिक महत्त्व से देखें तो शेरशाह सूरी ने यहाँ से गंगा दार्जीलिंग सड़क का निर्माण करवाया था । महान गुरु तेगबहादुर जी के पवित्र चरण इस धरती पर पड़ने का इतिहास है। पवित्र गंगा और विध्वंशकारी कोशी नदी ने इसके इतिहास पर काफी प्रभाव डाला है। 80 और 90 का दशक यहाँ गुजारना मेरे लिए बड़े सौभाग्य की बात रही। हमारे बचपन में काढ़ागोला आज की तरह नहीं था । सबलोग बड़े ही प्रेम और आनंद के साथ रहते थे। छोटी बातों को
बिहार के एक छोटे से कसबे का नाम है काढ़ागोला। इसे काढ़ागोला कहें या बरारी अथवा गुरुबाजार । ऐतिहासिक महत्त्व से देखें तो शेरशाह सूरी ने यहाँ से गंगा दार्जीलिंग सड़क का निर्माण करवाया था । महान गुरु तेगबहादुर ...और पढ़ेके पवित्र चरण इस धरती पर पड़ने का इतिहास है। पवित्र गंगा और विध्वंशकारी कोशी नदी ने इसके इतिहास पर काफी प्रभाव डाला है। 80 और 90 का दशक यहाँ गुजारना मेरे लिए बड़े सौभाग्य की बात रही। हमारे बचपन में काढ़ागोला आज की तरह नहीं था । सबलोग बड़े ही प्रेम और आनंद के साथ रहते थे। छोटी बातों को
काढ़ागोला : एक यात्रा - भाग - 2 काढ़ागोला की आत्मा : कू कूक कू की आवाज़ के साथ ही हम सिंघेश्वर साह जी की दुकान से उठकर स्टेशन की ओर चल पड़े। ये सुबह 8 बजे कटिहार जानेवाली ...और पढ़ेगाड़ी की आवाज़ थी। अक्सर रोज़ का यही दृश्य था काढ़ागोला में। सुबह दानापुर एक्सप्रेस का किराया ज्यादा होने के कारन पार्सल ही हम सब की पसंदीदा गाड़ी थी। अक्सर कटिहार से आनेवाली जनता एक्सप्रेस की क्रासिंग यहीं होती थी। हम चंद बुद्धिमान लोग जनता एक्सप्रेस का बेसब्री से इंतजार करते थे। कारन जो जनता एक्सप्रेस से सवारियां आती थी
ढाला : ढाला शब्द शायद बहुत से लोगों को समझ न आए और खासकर आज की नई पीढी इस प्रकार के शब्दों से परिचित न हो। ढाला कहा जाता था रेलवे फाटक को। अक्सर जब कोई ट्रैन काढ़ागोला की ...और पढ़ेगंगा दार्जीलिंग मार्ग को क्रॉस करती हुई गुजरती थी तो इस ढाला के दोनों फाटक बंद होते थे ताकि किसी प्रकार की कोई दुर्घटना ना हो। लेकिन ये ढालाअपने अंदर बहुत सी घटना और दुर्घटनाओं को समेटे हुए थी। सड़क के ऊंचाई पर बने इस ढाला को पार किये बिना आप काढ़ागोला के किसी भी दिशा का भ्रमण नहीं कर