अनीता ( A Murder Mystery ) - उपन्यास
Atul Kumar Sharma ” Kumar ”
द्वारा
हिंदी जासूसी कहानी
हवलदार साठे बाकी के हवलदारों को जांच करने का बोल उस युवक को उठाते हुए एक कोने में ले जाते हैं। इधर इंस्पेक्टर विजय लाश को बड़े गौर से देखते हैं। दोनो का गला चीरकर बड़ी निर्ममता से ...और पढ़ेहत्या की गई थी। लाशों का मुआयना करने के बाद एम्बुलेंस में उनको पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया गया। इंस्पेक्टर विजय हवलदार साठे को पास बुलाते हैं। साठे की बात सुनकर विजय कुछ सोचते हुए बोले-" तुम ऐसा करो , और लोगों से पूछताछ करो। देखो और क्या खास पता चलता है। में तबतक इससे बात करता हूँ।" कहते हुए
हवलदार साठे बाकी के हवलदारों को जांच करने का बोल उस युवक को उठाते हुए एक कोने में ले जाते हैं। इधर इंस्पेक्टर विजय लाश को बड़े गौर से देखते हैं। दोनो का गला चीरकर बड़ी निर्ममता से ...और पढ़ेहत्या की गई थी। लाशों का मुआयना करने के बाद एम्बुलेंस में उनको पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया गया। इंस्पेक्टर विजय हवलदार साठे को पास बुलाते हैं। साठे की बात सुनकर विजय कुछ सोचते हुए बोले-"" तुम ऐसा करो , और लोगों से पूछताछ करो। देखो और क्या खास पता चलता है। में तबतक इससे बात करता हूँ।"" कहते हुए
भाग - 2लखन का इतना कहना ही था कि उसकी ये हालत देख माधव प्रसाद बोले...""" अरे तनिक सांस तो ले ले,ऐसा लग रहा है जैसे यम के दूत तेरे पीछे पड़े हैं।""" """ अरे भैया बात ही ऐसी ...और पढ़े, खजूरी काकी की पोती ( गांव की एक वृद्ध महिला जिसे गांव वाले बहुत मानते थे बहुत सम्मान करते थे) फुल्ली की तबियत बहुत खराब है, वो फिर से अजीब अजीब हरकतें करने लगी है। पता नही क्या क्या बोले जा रही है। आप फ़ौरन चलिए। """....इतना सुन माधव प्रसाद अचानक से खड़े हो गए, चेहरे पर चिंता और भय
भाग - 3दो दिन बाद शाम के समय हवलदार साठे पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेकर विजय के केबिन में दाखिल हुए। "" सर ये रिपोर्ट आ गई है। "" विजय उसके हाथ से लिफाफा लेकर खोलकर उस रिपोर्ट को पढ़ते हैं। ...और पढ़ेही उनके चेहरे पर चिंता और हैरानी के भाव साफ साफ परिलक्षित होने लगते हैं। ये देख साठे विजय से कारण पूछते हैं। विजय - "" साठे जैसा हम सोच रहे थे ये केस तो उससे भी ज्यादा उलझा हुआ है। इस रिपोर्ट में ये लिखा है कि रामलाल और वसुधा की मौत गला कटने से नही बल्कि नींद की गोली के हाइ
भाग - 4 इंस्पेक्टर विजय अस्पताल में डॉ. चौहान को फोन करते है। वो पोस्ट मार्टम को लेकर उत्साहित थे और कुछ जरूरी बात करना चाहते थे उनसे। विजय उनको फोन लगाकर फौरन निकल गए। साठे भी तहकीकात ...और पढ़ेलिए एक टीम बनाकर शहर रवाना हो गए। इधर गाँव मे पुलिस का खबरी नेटवर्क भी एक्टिव था। सभी बारीकी से हर एक चीज़ की छानबीन कर रहे थे। थोड़ी ही देर में इंस्पेक्टर विजय डॉ. चौहान के सामने थे। "" कहिए डॉ. साहब , क्या कहती है आपकी साइंस?? "" "" ऐसी तो कोई अजीब बात सामने नही आई है ये अनीता या कंचन
भाग - 5 साठे ने बताना शुरू किया - "" सर , इस जतिन का कोई भी रिश्तेदार नही है। माँ-बाप बचपन में ही चल बसे। सिर्फ एक चाचा थे जिन्होंने शादी नही की थी। उन्होंने ही इसेपाल-पोसकर बड़ा ...और पढ़ेबाद में वो भी चल बसे। जतिन ने अपना बिजनेस अपने दोस्त अनिल के साथ पार्टनरशिप में शुरू किया। पैसे लगाने वाला अनिल था , और मेहनत से उस बिज़नेस को आगे बढ़ाने वाला जतिन।लेकिन दोनो दोस्तों में आपसी विश्वास बहुत है। जैसा कि हर बिज़नेस में देखने मे आता है कि पार्टनरशिप ज्यादा नही चलती। कुछ ना कुछ डिस्पेयूट होते
भाग -6 पुलिस लॉकअप में जतिन और लखन से सख्ती से पूछताछ की जा रही थी। पर दोनो अभी भी अपने अपने बयान पर अड़े हुए थे। इंस्पेक्टर विजय ने उनसे कहा... "" देखो , हमे सब पता ...और पढ़ेचुका है किसने किसको मारा है। लेकिन हम तुम्हारे मुंह से सुनना चाहते हैं। सीधे से बता दोगे तो मार नही पड़ेगी। वरना चमड़ी उधेड़ना पुलिस को अच्छे से आता है। बको जल्दी ..."' विजय बेहद गुस्से में दहाड़े। जतिन हाथ जोड़ते हुए इंस्पेक्टर विजय से बोला - "" सर मेरा यकीन कीजिये। मेने किसी को नही मारा है। आपको लगता है कि मैने