अनीता (A Murder Mystery) - 4 Atul Kumar Sharma ” Kumar ” द्वारा क्राइम कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अनीता (A Murder Mystery) - 4

भाग - 4

इंस्पेक्टर विजय अस्पताल में डॉ. चौहान को फोन करते है। वो पोस्ट मार्टम को लेकर उत्साहित थे और कुछ जरूरी बात करना चाहते थे उनसे। विजय उनको फोन लगाकर फौरन निकल गए। साठे भी तहकीकात के लिए एक टीम बनाकर शहर रवाना हो गए। इधर गाँव मे पुलिस का खबरी नेटवर्क भी एक्टिव था। सभी बारीकी से हर एक चीज़ की छानबीन कर रहे थे।

थोड़ी ही देर में इंस्पेक्टर विजय डॉ. चौहान के सामने थे।

"" कहिए डॉ. साहब , क्या कहती है आपकी साइंस?? ""

"" ऐसी तो कोई अजीब बात सामने नही आई है ये अनीता या कंचन जो भी है , इसे 2 महीने का गर्भ था। ""

"" क्या!!!!!""" विजय चोंकते हुए बोले।

"" जी हाँ और एक बात और, इनकी एक बार डिलीवरी पहले भी हो चुकी है तकरीबन 2-3 साल पहले । ""

डॉ. चौहान की बातों ने केस को और उलझा दिया था। इंस्पेक्टर विजय को झटके पर झटके लग रहे थे।

विजय , डॉ. चौहान से - "" क्या इनके साथ रेप हुआ है?""

"" नही रेप की पुष्टि नही हुई। सिर्फ पानी मे डूबने से दम घुटने से इसकी मौत हुई। लड़की की उम्र लगभग 26-27 साल होगी। हाँ एक कॉमन बात है उन दोनों हत्याओं और इस हत्या में । दोनो में एक ही नींद की गोली का हेवी डोज़ दिया गया है। ये कंचन या अनीता जो भी है , पहले इसे नींद की दवाई दी गईं । बाद में पानी मे डुबो दिया गया। फेफड़ों में बुरी तरह पानी भरा हुआ है। इसको लगभग 48 घण्टे पहले मारा गया है। बॉडी पानी मे ज्यादा देर रहने से फूल गई है। ""

इंस्पेक्टर विनय डॉ. की बात सुनकर हैरानी से बोले - "" क्या 48 घण्टे हो गए इसे मरे हुए। जतिन तो कह रहा था कि कल दोपहर से गायब है उसकी पत्नि अनीता । अभी तो 24 घण्टे भी नही हुए। मतलब ये अनिता नही कंचन है। सवाल फिर वही , ये कंचन है तो अनिता कहां है। और यदि दोनो एक ही हैं तो फिर कल दोपहर तक ये जिंदा कैसे थी। जबकि आपके अनुसार इसे मरे हुए 48 घण्टे से ज्यादा हो गए। दिमाग का दही जमा दिया आपने डॉ. साहब।

और उसपर आप बोल रहे हैं कि 2 साल पहले एक डिलीवरी भी हुई है। ऐसा कैसे हो सकता है , कंचन की शादी तो एक साल पहले हुई है। यदि दो साल पहले ऐसा हुआ तो फिर शायद मेरा शक पक्का है। कंचन ही अनीता है। लेकिन यदि ये दोनों एक हैं तो एक ही लड़की दोनो जगह पर दो लोगों की पत्नि बनकर एक ही वक़्त में कैसे रह रही थी???.. आप ही बताइए डॉ. साहब , क्या कभी दो लोगों में शारीरिक बनावट में इतनी समानता हो सकती है???.. मेने आजतक कितने ही केस देखे पर इतनी समानता कहीं नही। जतिन और तेजपाल द्वारा दी फ़ोटो को कइयों बार बड़े गौर से देखा। पर कोई अंतर नज़र नही आया। दोनो से अलग अलग कुछ पर्सनल बातें भी पूछीं । और दोनो ने ही सबकुछ सही बताया । समझ नही आता ये अनीता और कंचन का क्या राज़ है?"'

डॉ. चौहान बोले - "" ऐसा हो भी सकता है और नही भी । कई ऐसी बातें साइंस के सामने बाद में आईं हैं जिनको तथ्यों और सबूतों द्वारा प्रमाणित किया गया है। वो सच साबित हुई हैं। शोध तो निरन्तर जारी हैं। कुछ भी 100% श्योर नही कहा जा सकता। ये दुनिया कई आश्चर्यों से भरी पड़ी है। साइंस को नित नई चुनोतियाँ मिल रही हैं। जो आजतक कभी देखने मे नही आया वो अब सच हो रहा है। हो सकता है अनीता और कंचन दो शख्सियतें हों, या ये भी हो सकता है कि एक ही हों। अब इस रहस्य का पता तो आपको लगाना है इंस्पेक्टर साहब।

हाँ एक तरीका है , DNA टेस्ट । पर इसके लिए कोर्ट के ऑर्डर चाहिए। उसमें वक़्त लगेगा। कंचन के पिता के DNA से इसका DNA मैच करके देखना पड़ेगा। में आज ही इसके लिए प्रोसीजर स्टार्ट कर देता हूँ। आप इस फार्म पर साइन कर दीजिए। "" डॉ. चौहान ने विजय को एक फार्म साइन करने को कहा।

कुछ दिनों बाद DNA टेस्ट की कोर्ट से मंजूरी मिल गई। और माधव प्रसाद के DNA से कंचन के DNA को मेच करने के लिए टेस्ट के लिए सेम्पल भेज दिए गये। लेकिन रिपोर्ट आने में अभी वक़्त था।

◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆

विजय तेजपाल के आसपड़ोस में पूछताछ कर रहे थे। सभी ने कंचन को एक सुलझी हुई और चरित्रवान लड़की बताया। जबसे आई थी तबसे ही सभी का दिल जीत लिया था। आसपड़ोस में भी कोई भी काम हो , हमेशा सबसे आगे रहती। सबकी मदद करती। उसे कभी नाराज़ होते गुस्से करते किसी ने नही देखा था। सबसे हंसकर ही मिलती। कंचन जैसी बहू वसुधा को मिली इससे कई औरतें जलती भी थीं। पर सामने कोई कुछ नही कहता था। रामलाल और वसुधा के बारे में भी सबने अच्छी अच्छी बातें ही की । वो सास नही बल्कि एक माँ की तरह पेश आती थी कंचन से। किसी ने भी कोई बुराई नही की। पूरा परिवार एक आदर्श परिवार था, सबने यही बोला।

सबसे पूछताछ करने के बाद इंस्पेक्टर विजय बाहर जीप के पास आकर खड़े होकर सोचने लगे।

:: यदि ये परिवार इतना ही अच्छा था तो फिर किसने दुश्मनी निकाली ? रामलाल वसुधा और कंचन को किसने मारा? यदि कंचन और अनीता अलग हैं तो फिर कंचन इस वक़्त कहाँ है? और यदि वो लाश कंचन की है तो फिर अनीता कहाँ हैं? ::

यही सोचते हुये वो वापिस थाने आ गए। और केबिन में बैठ गहरी सोच में डूब गए। तभी उनका एक हवलदार अंदर आया और बोला - "" सर तेजपाल की कॉल डिटेल को बारीकी से स्कैन किआ पर कोई भी संदेह करने वाली बात पता नही चली। उसकी बात ही बहुत कम होती थी मोबाइल पर। सिर्फ गाँव के ही कुछ लोगों से। वो भी अपने खेती के काम के सिलसिले में। हमने गांव वालों से पता भी किया। और ये जतिन की कॉल डिटेल से भी कुछ खास पता नही चला। लगभग सभी कॉल बिज़नेस के सिलसिले में ही हुई हैं। कोई भी संदेहास्पद नम्बर सामने नही आया। ना ही अनिल की कॉल डिटेल से कुछ पता चला। हाँ अनीता का जो नम्बर था वो तो दो साल पहले ही बंद हो चुका है। और कम्पनी ने किसी दिलीप सिंह को इश्यू कर दिया है वो नम्बर। जो अब दो साल से मध्य प्रदेश में एक्टिव है। सारी इंक्वायरी कर ली गई है।

उनकी बात सुनकर इंस्पेक्टर विजय बोले - "" ऐसा कैसे हो सकता है कि कुछ भी पता नही चला। और अनीता का वर्तमान नम्बर दो साल पहले कैसे बंद हो गया?..जतिन ने तो कुछ नही बताया। यही नम्बर दिया।कुछ तो गड़बड़ जरूर है। ये पता करो इनका कोई दूसरा नम्बर भी है क्या। और हाँ जतिन और अनिल के बिज़नेस क्लाइंट्स से मिलो। उनसे पता करो। देखो वो क्या बोलते हैं इस बारे में। "" इतना कहते ही इंस्पेक्टर विजय ने उसे जाने का इशारा किया।

तभी उनका एक खबरी वहाँ आया। उसे देखकर इंस्पेक्टर विजय के चेहरे पर एक अलग ही चमक आ गई ।

"" आओ श्याम आओ , क्या कुछ निकालकर लाये हो । बोलो। ""..

"" सर ऐसी खबर निकालकर लाया हूँ कि आप उछल पड़ेंगे। ""

"" हम उछलेंगे या गिरेंगे ये खबर जानने के बाद पता चलेगा। तू बस खबर बता। इस केस ने बुरी तरह उलझा कर रख दिया है। ""

"" सरजी ,वैसे तो रामलाल और वसुधाजी बहुत सीधे सादे लोग थे। उन्होंने कभी भी किसी का बुरा नही किया। पर ये जो तेजपाल हैना, इसके घर मे बरसों पहले एक घटना हुई थी। जब ये 20-21 साल का था। एक मिसिंग केस में इसका नाम आया था। जो शायद एक मर्डर केस था , पर बॉडी कभी भी नही मिली ।

रामलाल के एक बड़े भाई चमन लाल थे। इनके अब ज्यादा रिश्तेदार नही बचे , सिर्फ ये दोनों भाई का ही पता चला है। चमनलाल की पत्नि का स्वर्गवास तो बहुत सालों पहले ही हो गया था। उनके एक लड़का अमन और एक लड़की गौरी थी। उसी लड़के अमन के मिसिंग केस में इस तेजपाल का नाम आया था। कुछ महीने जेल में बंद भी रहा। बात ज़मीन जायदाद के बंटवारे को लेकर थी। रामलाल तो ठहरे गऊ इंसान। बड़े भाई के आगे भला क्या बोल पाते। ज़मीन का एक बड़ा हिस्सा उन्होंने रामलाल को अपनी बातों में लेकर बेच दिया। और उस सारे पैसे खुद रख लिये रामलाल को सिर्फ नाम मात्र के पैसे दिए। तर्क ये दिया कि उनकी एक लड़की है उसके ब्याह वगेरह के लिए उन्होंने ऐसा किया , जबकि रामलाल के तो सिर्फ लड़का ही है। उसे ज्यादा पैसों की क्या जरूरत। बची हुई ज़मीन में से भी एक बड़ा हिस्सा उन्होंने खुद के नाम करवा लिया। रामलाल इसमें भी कुछ नही बोल पाए। तब तेजपाल छोटा था , कुछ नही कर पाया। लेकिन बाद में घर की माली हालत को देखकर उसके मन मे ज़मीन को लेकर गुस्सा भर गया।

इस बात को लेकर तेजपाल अपने ताऊ से भी खूब लड़ा। पर अमन के आगे उसकी एक न चली। अमन डील-डोल में तेजपाल से काफी तगड़ा था। और लड़ने लड़ाने में भी सबसे आगे रहता। एक दिन उसकी कुछ लोगों से बहुत बहस हुई। बात हाथापाई तक पहुंच गई। अमन ने उन लड़कों को बहुत मारा। उन लड़कों ने भी उसे देख लेने की धमकी दी थी। एक दिन अमन खेत पर गया तो पर वापिस ही नही लौटा । उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट भी लिखाई चमनलाल ने। पर आजतक अमन का पता नही चला। वो कहाँ है किस हाल में है । जिंदा भी है या नही।

उन लड़कों को गिरफ्तार भी किया गया और इन सब में तेजपाल का नाम भी उछला। चमन लाल को यही लगता था कि उन लड़कों के पीछे तेजपाल का हाथ था। पुलिस की FIR में उन्होंने उसका नाम भी लिखाया। कुछ महीने तक तेजपाल अंदर रहा। लेकिन अमन ना तो जिंदा मिला ना ही उसकी लाश मिली। तेजपाल के खिलाफ कोई ठोस सबूत नही मिला। बाद में सबूतों के अभाव में उसे केस से बरी कर दिया गया। चमन लाल को अपने अंत समय तक यही लगता था कि उसके लड़के अमन की जान तेजपाल ने ही ली है। और उसकी लाश को कहीं दूर फेंक दिया। वो सभी गांव वालों से भी यही कहते कहते एक दिन रहस्यमय हालातों में मरे पाये गये। रामलाल और तेजपाल ने सभी गांव वालों के साथ मिलकर बिना पोस्ट मार्टम कराए बिना उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया। और उनकी मौत एक रहस्य बनकर रह गई। सबको यही लगा कि चमन लाल उम्र की वजह से सामान्य मौत मरे।

उसकी लड़की गौरी और उसके पति नारायण ने फिर से इल्ज़ाम तेजपाल पर ही लगाया। तेजपाल ने अपने जीजा नारायण को उसका नाम घसीटने के लिए जान से मारने की धमकी भी दी। अकेली गौरी और उसका पति क्या कर पाते। सभी गांव वालों ने रामलाल का ही साथ दिया। जिनमे जुम्मन मियां , मोहनलाल आदि प्रमुख थे। पुलिस ने भी चमन लाल की मौत को एक साधारण मौत मानकर केस वहीं बंद कर दिया।

तेजपाल तो पूरा हिस्सा खुद रखना चाहता था।पर रामलाल ने पंचायत के साथ मिलकर कम से कम गौरी का हिस्सा उसे दिलवा दिया। ये राम लाल की अच्छाई ही थी। वरना तो तेजपाल ने सबकुछ हड़प ही लिया था। लेकिन गौरी इससे खुश नही थी। अपना हिस्सा बेचकर वो अपने पति के साथ पता नही कहाँ चली गई। कोई नही जानता कि अब वो कहाँ है।काफी पता किया मेने। पर कोई सुराग हाथ नही लगा।

इधर पंचायत में जाने को लेकर रामलाल और तेजपाल में काफी बहस भी हुई। कुछ दिनों तक बाप-बेटे में कोई बात नही होती थी। लेकिन बाद में तेजपाल पागल जैसा हो गया। रात में अचानक चिल्ला कर उठ जाता। कई कई दिनों तक गुम सुम बैठा रहता। उसका काफी मानसिक इलाज चला। रामलाल ने भी काफी इलाज कराया , तब कहीं जाकर ये तेजपाल ठीक हुआ। लेकिन इससे रामलाल की आर्थिक हालात काफी खराब हो गई। जमीन के बड़े हिस्से को बेचना पड़ा। अब केवल ज़मीन के नाम एक छोटा टुकड़ा ही बचा है तेजपाल के पास। जिसपर वो खेती करके जैसे तैसे अपने परिवार का खर्चा चलाता है। मानसिक बीमारी से ठीक होने के बाद तेजपाल काफी बदल गया। अपनी जिम्मेदारी समझने लगा। लेकिन इन सबसे बाहर आने में उसकी काफी उम्र निकल चुकी थी।

इसी वजह से इसकी शादी भी देरी से हुई। कोई भी बाहर गांव वाला अपनी लड़की इससे ब्याहने को तैयार नही था। जैसे तैसे पास के ही गाँव बमनाखेड़ा से कंचन से रिश्ता जोड़ा गया। जहाँ तेजपाल 45 की उम्र का था वहीं कंचन 25-26 साल की थी। कंचन एक संस्कारी लड़की थी सो उसने भी इसका विरोध नही किया। चुप-चाप सबकी बात मानकर शादी कर ली।लेकिन एक बार कंचन घर मे आ गई तो जैसे उस घर की खुशियाँ वापिस लौट आईं। कंचन ने अपने व्यवहार के प्रभाव से सबका दिल जीत लिया। मुरझाया हुआ परिवार एक बार फिर खुशियों से फलने फूलने लगा। छोटी सी मगर अपनी दुनिया मे रामलाल का परिवार खुश रहने लगा। ""

इंस्पेक्टर विजय खामोशी से श्याम खबरी की बातों को बड़े गौर से सुन रहे थे। क्योंकि ये बातें उन्हें किसी भी पड़ोसी ने नही बताई थीं। और वैसे भी इन बातों को लंबा अरसा बीत चुका था। सभी भूल चुके थे।

इंस्पेक्टर विजय श्याम को अब बमनाखेड़ा यानि कंचन के मायके की खबर निकालने का बोल उसे वहाँ से भेज देते हैं। और श्याम द्वारा बताई सभी बातों का बड़े गौर से विश्लेषण करते हैं।

तभी शहर से उनकी टीम हवलदार साठे के नेतृत्व में वापिस आ जाती है। हवलदार साठे के चेहरे से लगता था कि उनको भी कोई खास सफलता नही मिली। सीधे आकर वो इंस्पेक्टर विजय के सामने खड़े हो जाते हैं।

"" क्या खबर लाये हो ठाकुर ।"" विजय मजाकिया अंदाज में साठे से बोले।

"" खबर तो है भी और नही भी। ""

"" मतलब ""

"" क्या पता काम की है भी या नही।""

"" तुम सिर्फ खबर बताओ साठे , काम हम निकाल लेंगे। वैसे भी ये केस अब मेरे लिए एक चुनोती बनता जा रहा है। जिसे क्रैक करना मेरा जुनून है अब । ये हत्याएं जिसने भी की हों , जितनी भी चालाकी से की हों , में उसे सलाखों के पीछे करके ही दम लूंगा। कोई भी कितना भी बड़ा अपराधी क्यों ना हो वो कानून से बच नही सकता।""

क्या साठे कुछ काम की खबर निकाल कर लाए हैं ?
क्या तेजपाल की पुरानी जिंदगी का उसओके वर्तमान से कोई कनेक्शन है ?
अनीता और कंचन का क्या रहस्य है ?

( कहानी जारी है...)

लेखक - अतुल कुमार शर्मा "कुमार "