Pyar aisa bhi book and story is written by सीमा बी. in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Pyar aisa bhi is also popular in प्रेम कथाएँ in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
प्यार ऐसा भी - उपन्यास
सीमा बी.
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
मेरी कहानी का शीर्षक पढ़ कर आप सब सोच रहे होगें की लो एक और प्रेम कहानी!!
मैं आप सब से सिर्फ इतना ही कहना चाहूँगा कि ये है तो प्रेम पर कैसा?? वो आप पर छोड़ता हूँ।
मैं प्रकाश हूँ, एक प्राइवेट कंपनी में काम करता हूँ। घर की आर्थिक स्थिति और जिम्मेदारियों ने वक्त से पहले ही आत्मनिर्भर
बना दिया। जब मेरे दोस्त कॉलेज मे मस्ती करते थे तब मैं बस कमा रहा था।
पापा का असमय जाना, भाई बहन की पढ़ाई और बाकी जरूरते पूरी करता 33 साल का हो गया पता ही नही चला था।
छोटी बहन की शादी अच्छे से निपटा कर मैं
चिंता से मुक्त हो गया था। यूँ तो साथ काम करने वालों से दोस्ती थी पर सिर्फ बाहर तक।
आभासी दुनिया में भी काफी लोगों से जुड़ा था, बस वो भी एक टाइम पास जरिया था।
ये कहानी एक ऐसे प्यार की है जो ज्योति के लिए सब कुछ था पर प्रकाश के लिए एक अवसर..... एक स्वार्थ की कहानी और भावनाओ से खिलवाड़ करने वाले की कहानी...... एक ऐसे लड़के की कहानी जो अपनी ...और पढ़ेकभी समझ ही नही पाया।मेरी पहली कहानी "स्त्री" को इतना प्यार देने के लिए आपका दिल से आभार .... इस कहानी को भी पढिएगा जरूर.. आपकी राय का इंतजार रहेगा ...प्यार ऐसा भी (भाग --1)मेरी कहानी का शीर्षक पढ़ कर आप सब सोच रहे होगें की लो एक और प्रेम कहानी!!मैं आप सब से सिर्फ इतना ही कहना चाहूँगा
प्यार ऐसा भी--(भाग-3)ऐसा नहीं था कि मैंने पहले कभी किसी लड़की से बात नहीं की थी, और मैं बिल्कुल सीधा था। इस आभासी दुनिया में मेरी कई महिला मित्र थी। जिनके साथ मेरा थोड़ा बहुत फ्लर्ट और प्यारी ...और पढ़ेनोकझोंक चलती रहती थी । मैं दिखने में हैंडसम तो था ही,थोड़ा केयरिंग नेचर होने से लड़कियाँ जल्दी अपना मान भी लेती थी। इतना ही नहीं अपनी पर्सनल बातें और अपनी इच्छाओं को खुल कर कह देती । मैंने कभी किसी को उकसाया तो नहीं था पर कई बार आपसी रजामंदी और प्रयोग के नाम पर संबंध बना चुका था। ज्योति से बात करने
किसी भी टॉपिक पर बात करता अपनी सोच के हिसाब से खुल कर अपनी बात कहती। " "अच्छा, ज्योति तुम्हारा कोई बॉय फ्रैंड था"? एक दिन मैंने उसकी टाँग खींचते हुए पूछा, हालाँकि मैं जानता था कि उसका जवाब ...और पढ़ेही होगा। "हाँ था, वो बहुत गरीब परिवार से था, उसने सोचा कि इस विकलांग को प्यार और शादी का झाँसा दूँगा तो कुछ पैसा आ जाएगा, और हुआ भी यही, बस इतना है कि वो थोड़े से ही पैसे ले कर भाग गया"।मैं हैरान हो कर उसकी बातें सुन रहा था। वो परत दर परत अपने दिल की बात कहती
उसका यूँ मेरी बात का जवाब दिए बिना ऑफलाइन हो जाना पसंद तो नहीं आया पर जब खुद को उसकी जगह पर रख कर सोचा तो बुरा लगना कम हो गया। फिर भी सारी रात ठीक से सो नहीं ...और पढ़ेजब रोज के टाइम पर उसका गुड मार्निग का मैसेज नही आया तो मेरी सोच की डायरेक्शन भी बदल गई। मुझे लगा कि वो नाराज़ हो गई है। उसकै मैसेज और फोन आने का इंतजार कर पाना मुझे मुश्किल लगा पर फोन न करके मैसेज करना आसान लगा। कुछ देर में उसका जवाब आया कि आज सुबह फोन बंद हो गया था
मैं उसको यूँ खुश देख कर अच्छा महसूस कर रहा था। अपनी असहजता को किनारे कर उसने भरपूर सहयोग किया। वहाँ से आने के बाद हमारा भावनात्मक लगाव और बढ़ गया।मुझे लगने लगा कि मुझसे हर काम पूछ कर ...और पढ़े या बता कर करे। "तुम आम पतियों की तरह बिहेव मत किया करो"। कई बार हँसते हुए वो कहती तो मैं उसको कहता," पति हूँ बेशक अनऑफिशियल हूँ, तो पति जैसे बोलूँगा भी"।मैं हमेशा उसको कहता, "जो कमाती हो उसमे से कुछ अलग रखा करो, आगे तुम्हारे ही काम आएँगे"। उसका कहना" हमारा परिवार हमेशा मेरे साथ रहा है और