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निशा - उपन्यास
PRATIK PATHAK
द्वारा
हिंदी डरावनी कहानी
कभी-कभी हमारे साथ कुछ ऐसी घटनाएँ बन जाती है जो पूरे जीवन तक हमें याद रहेती है।लाख भूलानेकी कोशिश करो मगर हम नाकामियाब रहते है।मे आकाश, मेरे साथ भी कुछ ऐसा हुआ था।वो वाकया याद आता है ओ आजभी बदनके सारे रोंगटे खड़े हो है। बात है पाँच साल पहलेकी,मे अपने तीन दोस्त निशांत,हार्दीक और प्रतीक चारो कॉलेज खतम होने के बाद एक बड़ी ट्रिप का प्लान कर रहे थे। काफी चर्चा और विचार के बाद अपने दोस्त निशांतकी पसंदपे हम सबने ठप्पा लगाया, जगह थी अलवर के भाणगढ़ का किल्ला और उसके आसपास के सब टुरिस्ट प्लेस। जुलाई महीनेका आखिरी सप्ताह था,चारोने बड़ी ज़ोरोसे जाने की तैयारी की,अहेमदाबाद से भाणगढ़ का सफर तकरीबन साड़े तेरा घण्टे का था। इसलिए सभिने बारी-बारी कार चलाने का फैसला किया।
कभी-कभी हमारे साथ कुछ ऐसी घटनाएँ बन जाती है जो पूरे जीवन तक हमें याद रहेती है।लाख भूलानेकी कोशिश करो मगर हम नाकामियाब रहते है।मे आकाश, मेरे साथ भी कुछ ऐसा हुआ था।वो वाकया याद आता है ओ आजभी ...और पढ़ेसारे रोंगटे खड़े हो है। बात है पाँच साल पहलेकी,मे अपने तीन दोस्त निशांत,हार्दीक और प्रतीक चारो कॉलेज खतम होने के बाद एक बड़ी ट्रिप का प्लान कर रहे थे। काफी चर्चा और विचार के बाद अपने दोस्त निशांतकी पसंदपे हम सबने ठप्पा लगाया, जगह थी अलवर के भाणगढ़ का किल्ला और उसके आसपास के सब टुरिस्ट प्लेस। जुलाई महीनेका
कहानी एक लड़के की जो अलवर के भानगढ़ में घूमने जाता है वहां उसको हर रात एक लड़की मिलने आती है. कहानी दो अलग दुनिया के लोगो की