Marks - Season-1 book and story is written by ARUANDHATEE GARG मीठी in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Marks - Season-1 is also popular in सामाजिक कहानियां in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मार्क्स - Season-1 - उपन्यास
ARUANDHATEE GARG मीठी
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
मैथ्स टीचर एक स्टूडेंट को पूरी क्लास के सामने बुरी तरह से डांटते हुए ।
सोहन सर ( मैथ्स टीचर ) - ये क्या है नादिर.....???? तुम्हें समझ नहीं आता, कि ये क्लास 12th है । अभी तक तुमने जैसे भी मार्क्स लाए , मैंने तुम्हें कभी कुछ नहीं कहा । लेकिन अब....., अब तुम थर्ड टेस्ट में भी वही सेम बात दोहरा रहे हो , आउट ऑफ 20 में 5 मार्क्स से आगे तुम बढ़े ही नहीं हो। हद हो गई है ये नादिर....। अगले महीने ट्राइमेस्टर ( तिमाही परीक्षा ) हैं तुम्हारे , अगर यही पोजिशन रही तो बोर्ड एग्जाम कैसे क्विट ( पास करना ) कर पाओगे तुम...???? तुम्हारी ऐसी पढ़ाई से हर कोई परेशान है , तुम्हारे घर वाले भी और हम टीचर्स भी । कब समझोगे , कि ये सेशन कितना जरूरी है तुम्हारे लिए...???? पूरी लाइफ डिपेंड करती है , तुम्हारे इस सेशन की पढ़ाई पर । क्यों समझ नहीं आता तुम्हें...??? तुम इस क्लास के सबसे गधे बच्चे हो । हर बार लास्ट से फर्स्ट आते हो तुम ।
मैथ्स टीचर एक स्टूडेंट को पूरी क्लास के सामने बुरी तरह से डांटते हुए । सोहन सर ( मैथ्स टीचर ) - ये क्या है नादिर.....???? तुम्हें समझ नहीं आता, कि ये क्लास 12th है । अभी तक तुमने ...और पढ़ेभी मार्क्स लाए , मैंने तुम्हें कभी कुछ नहीं कहा । लेकिन अब....., अब तुम थर्ड टेस्ट में भी वही सेम बात दोहरा रहे हो , आउट ऑफ 20 में 5 मार्क्स से आगे तुम बढ़े ही नहीं हो। हद हो गई है ये नादिर....। अगले महीने ट्राइमेस्टर ( तिमाही परीक्षा ) हैं तुम्हारे , अगर यही पोजिशन रही तो
घर में कदम रखते ही नादिर की नजरें एक जगह ठिठक गईं और मन डर से भर गया । वह सहमे हुए कदमों से घर के अंदर आया और सोफे के सामने उसे उसके पिता, बड़े - बड़े कदमों ...और पढ़ेगुस्से से भरे हुए चहल कदमी करते दिखे । उसकी मां , नादिर के पिता को समझा रही थीं, कि शांत रहें और समझदारी से काम लें । शायद अब तक नादिर के टेस्ट का रिजल्ट घर तक भी पहुंच गया था । आते हुए नादिर की नजरें सिर्फ अपने मां बाप पर थी । तभी उसके पिता की नज़र
अगले 1 महीने में नादिर ने बहुत मेहनत की और उसकी हेल्प सुहाना ने की । नादिर दिन रात अपनी पढ़ाई करता और सुबह स्कूल अटेंड करता। टाइम पर कोचिंग जाता, साथ ही टाइम पर घर आता। वह वक्त ...और पढ़ेनजदीक आ गया जब नादिर सुहाना के ट्राइमेस्टर थे । फर्स्ट एग्जाम के दिन नादिर बहुत डर रहा था, उसके हाथ-पांव फूल रहे थे यह सोचकर कि वह अच्छे से एग्जाम पास कर पाएगा या नहीं। हर बार की तरह कहीं इस बार भी उसकी मेहनत बेकार ना चली जाए, वह फिर से कहीं फेल ना हो जाए। नादिर अपने
स्कूल की छुट्टी की बेल लगने पर , सुहाना जल्दी - जल्दी अपना सामान समेटने लगी , क्योंकि उसे नादिर से बात करनी थी , पूछना था कि वह इतना चुप - चुप सा क्यों है । इधर नादिर ...और पढ़ेजैसे ही बेल सुनी , तुरंत अपना बैग उठाया और बिना किसी से कुछ कहे क्लास से बाहर निकल गया । सुहाना आगे बैठती थी और नादिर पीछे । जब तक अपना बैग लेकर सुहाना नादिर के ओर गई, तब तक नादिर पीछे के डोर से तेज़ी चला गया । सुहाना उसके पीछे गई और उसे खूब आवाज़ दी ,
नादिर चुप - चाप नदी के किनारे घंटो बैठा रहा । तभी उसे अपने दोस्तों की हंसने की आवाज़ आई । नादिर ने उस तरफ देखा , और अपने क्लास मेट्स को देखकर वह उनकी तरफ चला गया । ...और पढ़ेकी इस वक्त जो मानसिकता थी , उसमें वह ये भूल चुका था कि क्या सही और क्या गलत। वो जनता था कि उसके ये दोस्त गलत हैं , लेकिन तब भी वह उनकी तरफ गया । नादिर जब वहां पहुंचा , तब उसके दोस्त ताश खेल रहे थे । साथ में उनके पास तरह - तरह की नशे की