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कजरी - उपन्यास
anushka swami
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
श्यामाप्रसाद ने क्या जवाब दिया आपका ? ' जानकी देवी ने अपने पति रघुनाथ से पूछा ।
'तुम जानती हो जवाब क्या आएगा ,मेरी मानो तो उम्मीद छोड़ दो '। रघुनाथ् ने अपने घर के सामने लगे नीम के पेड़ के नीचे चारपाई पर लेटते हुए कहा।
'श्यामाप्रसाद बाकी लोगों के जैसा नहीं है,मैं कहती हु आप उसने बात क्यों नहीं करते ?' जानकी ने जोर देते हुए कहा।
'तुम समझने की कोशिश करो जानकी यह इतना आसान नहीं है ,शादी -ब्याह कोई मजाक की बात नहीं ' रघुनाथ ने गंभीरता से कहा।
'बात करने में क्या हर्ज़ है,आप देखना वह हमरी बात नहीं टालेंगे आप बस उनसे मेरे सामने बात करो ' जानकी ने रघुनाथ की चारपाई के पास बैठते हुए कहा।
'ठीक हैं,तुम्हारी मन की शांति के लिए बात कर लेता हूँ पर मुझे पता है वो इंकार ही करेंगे '।रघुनाथ ने अपने कमीज की जेब से मोबइल फोन निकलते हुए कहा।
अध्याय - 1'श्यामाप्रसाद ने क्या जवाब दिया आपका ? ' जानकी देवी ने अपने पति रघुनाथ से पूछा ।'तुम जानती हो जवाब क्या आएगा ,मेरी मानो तो उम्मीद छोड़ दो '। रघुनाथ् ने अपने घर के सामने लगे नीम ...और पढ़ेपेड़ के नीचे चारपाई पर लेटते हुए कहा।'श्यामाप्रसाद बाकी लोगों के जैसा नहीं है,मैं कहती हु आप उसने बात क्यों नहीं करते ?' जानकी ने जोर देते हुए कहा।'तुम समझने की कोशिश करो जानकी यह इतना आसान नहीं है ,शादी -ब्याह कोई मजाक की बात नहीं ' रघुनाथ ने गंभीरता से कहा।'बात करने में क्या हर्ज़ है,आप देखना वह हमरी
अध्याय -2दीदी तूम्हे आज खाने को क्या मिला ' सात वर्षीय बिरजू ने अपनी बीस वर्षीय बहन कजरी से उत्साह से पूछा।'अरे मुझे तो आज खाने को रसमलाई मिली '। कजरी ने बिरजू को चिढ़ाते हुए कहा।'अम्मा मुझे भी ...और पढ़ेखानी है'। बिरजू ने अपनी माँ से जिद करते हुए कहा,जो अभी - अभी उनके लिए खाना मांग कर लाई थी।'क्या?क्यों तू मुझे परेशान कर रहा,जा खेल ले जाकर '। बिरजू की माँ बिमला ने खिझते हुए कहा।'अरे लल्ला तुम मेरे पास आओ मैं तुम्हें लाकर् दूँगा रसमलाई'।बिरजू के बापू शंकर ने उसे प्यार से अपने पास बुलाते हुए कहा।'सच्ची
अध्याय - 3'कहो कजरी के बापू कैसा घर - परिवार है उनका '?कजरी की माँ बिमला ने पूछा।' अरे बहुत पैसे वाले लोग है अपनी कजरी तो राज़ करेगी देखना तुम्'। शंकर ने कहा।' उनसे ये तो कहा है ...और पढ़ेकी कजरी को हमसे मिलाने ले आए '। बिमला ने कहा।' अरे हाँ कहा है मैंने उनसे वो ले आएँगे जब कजरी चाहेगी तब '। ' अच्छा ये बताओ दामाद जी कैसे है ?'बिमला ने पूछा।' दामाद जी उम्र में कजरी से थोड़े बड़े है,तभी तो एक लाख ज्यादा दिया है '। ' कितने बड़े है ?' बिमला ने पूछा।' बीस साल
अध्याय - 4कजरी सब छोड़ कर शहर तो आ गई थी पर ये जगह उसके लिए बिल्क़ुल अनजान थी।वो इस शहर में अपनी माँ से बिछड़े बच्चे की तरह थी,जो इस भीड़ में कहीं खो गया था।कजरी रेल्वे स्टेशन ...और पढ़ेदो दिन तक बैठी रही उसे नहीं पता था कि वो कहाँ जाए ।' ऐ लड़की में कल से देख रहा हूँ तू यहाँ क्यों बैठी है यहाँ ऐसे नहीं बैठ सकते ?' स्टेशन मास्टर ने कहा।' मेरा यहाँ कोई घर नहीं है बाबा '। कजरी ने रुआसे होकर कहा।' तो मैं क्या करुँ तुम यहाँ नहीं बैठ सकती, तुम्हें