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Luck by chance again !! - उपन्यास
zeba Praveen
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
कहते हैं किस्मत ऐसी चीज़ हैं जिसे हर रोज़ खुद ही लिखना पड़ता हैं, खुद की मेहनत से उसे अपने जीवन में लाना पड़ता हैं, यूँ कहे हमारा आज का किया हुआ कार्य कल किस्मत के रूप में हमारे सामने आता हैं, लेकिन कुछ लोगो के लिए किस्मत की परिभाषा कुछ इस तरह भी हैं, "जो कुछ भी होता है हमारे साथ अच्छा या बुरा हर वाक़या पहले से ही ठना हुआ है, वो ज़रूर होगा क्योंकि उसके बारे में एक बड़ी ताकत ने पहले से ही सोच कर रखा है जिस पर इंसानों का कोई ज़ोर नहीं चलता, खैर
कहते हैं किस्मत ऐसी चीज़ हैं जिसे हर रोज़ खुद ही लिखना पड़ता हैं, खुद की मेहनत से उसे अपने जीवन में लाना पड़ता हैं, यूँ कहे हमारा आज का किया हुआ कार्य कल किस्मत के रूप में हमारे ...और पढ़ेआता हैं, लेकिन कुछ लोगो के लिए किस्मत की परिभाषा कुछ इस तरह भी हैं, "जो कुछ भी होता है हमारे साथ अच्छा या बुरा हर वाक़या पहले से ही ठना हुआ है, वो ज़रूर होगा क्योंकि उसके बारे में एक बड़ी ताकत ने पहले से ही सोच कर रखा है जिस पर इंसानों का कोई ज़ोर नहीं चलता, खैर
गौरी दोपहर में बच्चो को पढ़ा कर वापस घर लौट रही थी, अनाथालय से उसका घर लगभग दो किलो मीटर की दूरी पर था, रास्ते में वो ध्रुव के साथ बिताये उन सारे पलों को याद करते हुए आ ...और पढ़ेथी, और वो यह सब सोचने में इस कदर मशरूफ थी के सामने से आ रही गाड़ी की हॉर्न भी उसे सुनाई नहीं पड़ रही थी, गाड़ी का ड्राइवर उसके पैर के बिलकुल करीब आकर ब्रेक लगाता हैं, गौरी सामने से आते गाड़ी को अचानक से देखकर डर जाती हैं, उसके हाथ में जो किताबे थी वो सारी उसके हाथ
राजवीर के पापा के गुज़र जाने के बाद उसके सबसे करीब कोई था तो वह था उसके पापा का ड्राइवर महेश, महेश अंकल की बात को राजवीर कभी नहीं टालता था, गौरी को अपने लिए लकी मानना बहुत अटपटा ...और पढ़ेलेकिन राजवीर किसी भी तरह अपने कारोबार को बचाना चाहता था, महेश अंकल जानते थे राजवीर उसकी बात कभी नहीं टालेगा, उसने गौरी के बारे में पता लगाना शुरू कर दिया, एक दिन महेश अंकल ने अनाथालय के बच्चो के लिए एक प्रतियोगिता रखी जिसमे गौरी पढ़ाती थी, उस प्रतियोगिता का जज बनकर राजवीर को जाना था, राजवीर को जब
प्रोग्राम ख़त्म होने के बाद गौरी घर चली गयी, उसके दिमाग़ में बार-बार राजवीर की वो स्पीच याद आ रही थी, उसको इस तरह खामोश देख कर ध्रुव उससे पूछता है-"गौरी किस ख्याल में डूबी हुई हो?""ध्रुव तुम कब ...और पढ़ेआओ बैठो, मैं कल के प्रतियोगिता के बारे में सोच रही थी, मीता को साथ नहीं लाये, उसे भी ले आते""वो अपने मॉम-डैड से बाते कर रही है......,गौरी वैसे तुम शादी कब कर रही हो""(मज़ाक करते हुए) बचपन में मुझे तो तुम अपने साथ लेकर जाने वाले थे, अब तुम तो किसी और के हो गए, देखती हूँ कोई ढंग
बेला राजवीर की गर्लफ्रेंड थी, उसको जब पता चला राजवीर शादी कर रहा हैं तो वो फ़ौरन ऑस्ट्रेलिया से इंडिया आ गयी, बेला जब घर के अंदर आती हैं तब राजवीर उस समय लंच कर रहा था, बेला-"बेबी......तुम कैसे ...और पढ़ेसकते हो मेरे साथ ऐसा, हाउ कैन यू डू दिस" राजवीर -"बेला तुम यहाँ, बिना बताये कैसे.........आई मीन अचानक से........एंड व्हाट हैपेंड विथ यू" बेला-"व्हाट हैपेंड विथ मी........वो तो शुक्र हैं की मुझे पता लग गया वरना तुम तो मुझे कुछ बताने वाले नहीं थे" राजवीर-"बेबी बात क्या हैं......क्यूँ इतनी स्ट्रेस ले रही हो, कुछ बताओ तो" बेला-"तुम शादी कर