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सफ़रनामा: यादों का एक सुनहरा दौर - उपन्यास
Hussain Chauhan
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
सर्दियां शुरू हो चुकी थी, रात जल्दी होती जा रही थी। आफिस का अपना सारा काम निपटाकर आदिल घर आ पहुंचा था और अपना डिनर भी खत्म कर अपने रूम में भी पहुंच गया था। रात के करीबन १० बजे का वक़्त हो चला था। उसने अपना फ़ोन चार्जिंग से निकाला जो पहले से ही चार्जिंग पर पड़ा था।
"आज रात मैं तुम्हे जल्दी नही सोने दूंगा।" अपना फ़ोन अनलॉक कर, फेसबुक और व्हाट्सएप्प के ज़माने में उसने टेक्स्ट मैसेज टाइप किया और भेज दिया।
प्रेम की पराकाष्ठासर्दियां शुरू हो चुकी थी, रात जल्दी होती जा रही थी। आफिस का अपना सारा काम निपटाकर आदिल घर आ पहुंचा था और अपना डिनर भी खत्म कर अपने रूम में भी पहुंच गया था। रात के ...और पढ़े१० बजे का वक़्त हो चला था। उसने अपना फ़ोन चार्जिंग से निकाला जो पहले से ही चार्जिंग पर पड़ा था। "आज रात मैं तुम्हे जल्दी नही सोने दूंगा।" अपना फ़ोन अनलॉक कर, फेसबुक और व्हाट्सएप्प के ज़माने में उसने टेक्स्ट मैसेज टाइप किया और भेज दिया।"क्यो?" एक बेहद ही छोटा सा मगर सीधा सवाल मैसेज के रूपमें अगले ही पल
शामलाजी, गुजरात-राजस्थान बॉर्डर पर गुजरात के अरवल्ली जिले में स्थित एक छोटे से कस्बे में पिछले कुछ दिनों से काफी हलचल थी। नया साल बस १ दिन की दूरी पर था और अरवल्ली पुलिस को बड़ी मात्रा में कोई ...और पढ़ेदारू की तस्करी होने की सूचना अपने सूत्रों द्वारा मिली थी। इस तस्करी को रोकने के लिये शहरी पुलिस ने हाईवे पर चुस्त बंदोबस्त किया था ताकि, कोई भी वाहन बिना पुलिस चेकिंग वहां से गुज़र न सके।इस चुस्त बंदोबस्त के पीछे की एक प्रमुख वजह यह थी कि, कुछ दिनों पहले डिलक्स गैस जो गुजरात की रसोईया गैस उपलब्ध
उदयपुर से अहमदाबाद का सफर २७० किलोमीटर लम्बा और थका देनेवाला था खास कर तब, जब कोई अकेला ही ड्राइव कर रहा हो। शामलाजी से थोड़ी दूर चलने के बाद नेशनल हाईवे ४८ पर शरीर को थोड़ा आराम देने ...और पढ़ेलिये और हल्का होकर हाथ मुंह धोने के लिये सड़क के किनारे अपनी मूनलाइट सिल्वर कलर की डस्टर को रोका।उसने कॉटन की सफेद रंग की शर्ट और उसपर मैच करती काले रंग की एलिस ब्लू कंपनी की ट्राउज़र पहनी थी। उसके ग्लॉसी डार्क ब्राउन रंग के जूते बता रहे थे कि वो किसी फंक्शन से लौट रहा था। कार का