Kishanlal Sharma लिखित उपन्यास बदलते रिश्ते

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बदलते रिश्ते द्वारा  Kishanlal Sharma in Hindi Novels
बेटी को पराया धन माना जाता है।इसलिए बेटी के जवान होते ही माँ बाप को उसकी शादी की चिंता सताने लगती है।बेटी के हाथ पीले कर...
बदलते रिश्ते द्वारा  Kishanlal Sharma in Hindi Novels
"किस तरह?". सालू की झिल सी गहरी आंखों में झांकते हुए महेश बोला,"तुम कहना क्या चाहती हो?""हमारे इस तरह चोरी छिपे मिलने पर...
बदलते रिश्ते द्वारा  Kishanlal Sharma in Hindi Novels
"नही सालू।मैं इतना स्वार्थी नही हूँ।सब कुछ जानते हुए मैं तुम्हे अभाव और दरिद्रता की जिंदगी जीने के लिए मजबूर नही करूँगा।...
बदलते रिश्ते द्वारा  Kishanlal Sharma in Hindi Novels
""हां,"सालू दीर्घ निःस्वास छोड़ते हुए बोली,,"उसी प्यार का वास्ता देकर तुमसे कुछ मांगने आयी हूँ।""तुम्हारे लिए जान भी हाज़ि...