बदलते रिश्ते (पार्ट 2) Kishanlal Sharma द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • My Passionate Hubby - 5

    ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा॥अब आगे –लेकिन...

  • इंटरनेट वाला लव - 91

    हा हा अब जाओ और थोड़ा अच्छे से वक्त बिता लो क्यू की फिर तो त...

  • अपराध ही अपराध - भाग 6

    अध्याय 6   “ ब्रदर फिर भी 3 लाख रुपए ‘टू मच...

  • आखेट महल - 7

    छ:शंभूसिंह के साथ गौरांबर उस दिन उसके गाँव में क्या आया, उसक...

  • Nafrat e Ishq - Part 7

    तीन दिन बीत चुके थे, लेकिन मनोज और आदित्य की चोटों की कसक अब...

श्रेणी
शेयर करे

बदलते रिश्ते (पार्ट 2)

"किस तरह?". सालू की झिल सी गहरी आंखों में झांकते हुए महेश बोला,"तुम कहना क्या चाहती हो?"
"हमारे इस तरह चोरी छिपे मिलने पर लोग उंगली उठा सकते है।"
"तो फिर क्या करे?"महेश,सालू को निहारते हुए बोला।
"क्यो न हम जीवन भर के लिए एक सूत्र में बंध जाए?"
"तुम्हारा मतलब शादी से है",सालू की बात का आशय समझ मे आने पर महेश बोला,"लेकिन यह कैसे संभव है।"
"सम्भव क्यो नही है।"महेश की बात सुनकर सालू बोली थी।
"मेरे बारे में सब कुछ जानते हुए भी तुम पूछ रही हो।मेरी माँ घरों में काम करके जैसे तैसे पढ़ा रही है।जब तक मैं अपनी पढ़ाई करके नोकरी पर नही लग जाता।अपनी शादी के बारे में सोच भी नही सकता,"महेश बोला,"शादी समान स्तर वालो में होती है।तुम्हारे पिता अमीर और मैं गरीब।फिर हम एक जाति के भी नही है।तुम्हारे पिता कभी नही चाहेंगे।फूल सी नाज़ुक ऐशोआराम में पली बेटी का हाथ दूसरी Kजाति के ऐसे युवक को सौंप दे जो अभी अपना ही पेट भरने के काबिल न हो।"
"इन बातों से में भी अनजान नही हूँ।अच्छे बुरे की समझ मुझ में भी है।मैं बालिग भी हूं।अपनी मर्ज़ी कोई मुझ पर जबरदस्ती नही थोप सकता।जिंदगी मुझे जीनी है इसलिए पिता के गलत निर्णय का विरोध करने की सामर्थ्य है मुझ में।"सालू दृढ़ता से बोली थी।
"तुम्हारी बातो से सहमत हूँ,लेकिन नौकरी लगने से पहले मे शादी नही कर सकता।"
"तब तक मैं तुम्हारा इन्तजार। करने के लिए तैयार हूँ।"
और उस दिन के बाद सालू ने महेश से शादी की बात नही छेड़ी।
लड़की चाहे जितनी शिक्षित हो।लड़की के माता पिता चाहे जितने मॉडर्न और आज़ाद ख्याली के हों।पर बेटी की शादी के मामले में पुरातनपंथी बन जाते है।यही सालू के साथ हुआ।उसके पिता ने उससे पूछे बिना अपने दोस्त के बेटे से उसके रिश्ते के बारे में बात कर ली।सालू को जब अपने रिश्ते के बारे में पता चला तो वह घबरायी सी महेश के पास जा पहुंची थी।
"तुम सुरेश को जानते हो।हमारे कॉलेज में लॉ सेक्शन में है"?
"नही,"महेश बोला,"तुम सुरेश के बारे में क्यो पूछ रही हो?"प
"पापा सुरेश से मेरा रिश्ता कर रहे है।"
सालू की बात सुनकर महेश हंसा था।उसे हंसता देखकर सालू नाराज हो गई,"तुम हंस रहे हो।मैने सिर्फ तुम्हे चाहा है।तुमसे प्यार करती हूँ।"
"हर लड़की के सामने जिंदगी में ऐसी सिथति आती है,"महेश,सालू की पीठ पर हाथ रखकर बोला,"ईश्वर पृथ्वी पर भेजने से पहले हर आदमी औरत का जोड़ा बना देता है।इस जीवन मे शायद ईश्वर को हमारा मिलन मंज़ूर नही है।"
"तुम खुश हो मेरे रिस्ते से?"महेश की बात सुनकर सालू ने प्रश्नसूचक नज़रो से देखा था
"सालू कोई भी मर्द अपने पहले प्यार को खोना नही चाहता।लेकिन क्या करूँ।मजबूर हूँ,"महेश सालू को समझाते हुए बोला,"चाहे हमारी शादी न हो।लेकिन मैं दिल से हमेशा तुम्हे चाहता रहूंगा।प्यार करता रहूंगा।"
"भावात्मक प्यार सिर्फ किस्से कहानियों में या फ़िल्म नाटक में अच्छा लगता है।सच्चे प्यार का दम भर रहे हो तो,मेरा हाथ क्यो नही थाम लेते?"
"तुम ऐशोआराम और सुख सुविधाओं में पली हो।मेरे पास देने को दरिद्रता और अभावों के सिवाय कुछ नही है।ऐसे में तुम्हे अपनी रानी बनाकर कैसे रख पाऊंगा?"
"मुझे तुम्हारे सिवाय कुछ भी नही चाहिए।बस तुम मुझे मिल जा ओ