Kya kahu book and story is written by Sonal Singh Suryavanshi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Kya kahu is also popular in प्रेम कथाएँ in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
क्या कहूं... - उपन्यास
Sonal Singh Suryavanshi
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
पतझड़ का महीना था। कभी कभी हवाएं बहती तो ठंड से तन सिहर उठता। रोज की तरह विवान अपने छत पर सूर्योदय देखने के लिए आया था। आज सूर्योदय तो हो चुका था पर उसकी आंखें नीम के पेड़ पर जा ठहरी। जोर हवा चलने से कभी कभी उसके पत्ते झड़ रहे थे। एकटक बहुत देर तक वो देखते रहा। उसके चेहरे पर उदासी का भाव झलक रहा था। पत्ते तो वापस वसंत में आ जाएंगे पर गुजरा दिन, गुजरे लोग वापस नहीं आएंगे। तभी उसकी मां काॅफी लेकर आई।
पतझड़ का महीना था। कभी कभी हवाएं बहती तो ठंड से तन सिहर उठता। रोज की तरह विवान अपने छत पर सूर्योदय देखने के लिए आया था। आज सूर्योदय तो हो चुका था पर उसकी आंखें नीम के पेड़ ...और पढ़ेजा ठहरी। जोर हवा चलने से कभी कभी उसके पत्ते झड़ रहे थे। एकटक बहुत देर तक वो देखते रहा। उसके चेहरे पर उदासी का भाव झलक रहा था। पत्ते तो वापस वसंत में आ जाएंगे पर गुजरा दिन, गुजरे लोग वापस नहीं आएंगे। तभी उसकी मां काॅफी लेकर आई। आज इतनी देर छत पर....तभी उसकी नजर विवान के उदास
विवान दूसरी शादी के लिए तैयार हो गया था। उसके मम्मी पापा थोड़े खुश थे। उनके पास धन वैभव की कमी नहीं थी। विवान की शादी के लिए कोई भी लड़की तैयार हो जाती लेकिन पिछले बार की गलती ...और पढ़ेदुबारा नहीं करना चाहते थे। इसलिए सही लड़की ढुंढना थोड़ा मुश्किल था। राजवर्धन ने जो लड़की देखा था उसे सभी देखने गए। किंतु वो लड़की कुछ खास पसंद नहीं आई। अब विवान अपनी उदासी को छिपाता था जिसमें वह बचपन से माहिर था। वह सबके सामने खुश होने का दिखावा करता था सिर्फ अपने माता पिता के लिए। वह अपने
स्मृति पुरस्कार लेती है और कुछ बोलने का आग्रह करती है। उसे माइक दिया जाता है। "मेरी उम्र केवल २५ वर्ष है। इतनी कम उम्र में हेड डिपार्टमेंट बनना किस्मत की बात नहीं है। आज से आठ साल ...और पढ़ेतक मैं बिल्कुल बेपरवाह लड़की थी। जिसे अपनी भविष्य की कोई फ़िक्र ही नहीं थी। लापरवाही हर कदम पर थी। फिर मेरी मुलाकात एक ऐसे शख्स से हुई जिसने मुझे बदलकर रख दिया। आज मेरे हाथ में जो अवार्ड है इसका असली हकदार वहीं है। उसका सपना था कि एक दिन मेरे हाथ में ये अवार्ड हो। और मैंने उससे वादा
स्मृति का घर भोपाल में था। वह घर पहुंचकर आराम करती हैं। उसमें भी उसे सिर्फ विवान याद आ रहा था। बीते कुछ वर्षो में उन दोनों के बीच जो कुछ हुआ था उसके बावजूद उसने बहुत हद तक ...और पढ़ेको रोक लिया था या यूं कहें कि खुद को समझा लिया था। परंतु आज वो अपने आप को विवान के बारे में सोचने से नहीं रोक पा रही थी। यूं तो वो अक्सर विवान को सोचा करती थी। उसे अपने करीब महसूस करती थी पर आज वो याद करती हैं उस पहले दिन को जब उसकी मुलाकात विवान से
स्मृति विवान का मैसेज देखती है। विवान ने ढेर सारे चुटकुले भेजे थे। स्मृति उन्हें पढ़ पढ़कर खूब हंसती है और हंसने वाले ईमोजी भेजती है। ऐसे ही कुछ दिन बीत जाते हैं। विवान सिर्फ उसे चुटकुले भेजता था। ...और पढ़ेयही बात स्मृति को सबसे अलग लगी क्योंकि जहां दूसरे लड़के उससे बात करते थे कैसी हो से लेकर फोन नंबर तक पूछ लेते थे वहीं वो एक ऐसे लड़के को देख रही थी जो उससे जरा भी बात नहीं करता बस चुटकुले ही भेजा करता था। एक दिन स्मृति को मन हुआ उसका प्रोफाइल चेक करने का। वह अबाउट