Ratna Raidani लिखित उपन्यास अनमोल सौगात | हिंदी बेस्ट उपन्यास पढ़ें और पीडीएफ डाऊनलोड करें होम उपन्यास हिंदी उपन्यास अनमोल सौगात - उपन्यास उपन्यास अनमोल सौगात - उपन्यास Ratna Raidani द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां (40) 2.6k 6.3k "मम्मी मम्मी!" पवित्रा ने घर में घुसते हुए उत्साह से आवाज़ लगायी। किन्तु उसे घर का वातावरण कुछ बोझिल सा महसूस हुआ। मुकेश हमेशा की तरह टी.वी. पर घटिया और साजिशों से भरे पारिवारिक सीरियल देखने में व्यस्त था। ...और पढ़ेइन सब का असर अपने घर पर भी देख रही थी लेकिन अब वह इन्हें नज़रअंदाज़ करने लगी थी। अपना बैग एक तरफ रखते हुए वह सीधे कमरे की तरफ गयी। पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें पूर्ण उपन्यास अनमोल सौगात - 1 444 948 भाग १ "मम्मी मम्मी!" पवित्रा ने घर में घुसते हुए उत्साह से आवाज़ लगायी। किन्तु उसे घर का वातावरण कुछ बोझिल सा महसूस हुआ। मुकेश हमेशा की तरह टी.वी. पर घटिया और साजिशों से भरे पारिवारिक सीरियल देखने में ...और पढ़ेथा। पवित्रा इन सब का असर अपने घर पर भी देख रही थी लेकिन अब वह इन्हें नज़रअंदाज़ करने लगी थी। अपना बैग एक तरफ रखते हुए वह सीधे कमरे की तरफ गयी। नीता अपने कमरे में ही थी। रो रोकर उसकी आँखें सूज गई थी। पवित्रा समझ गई कि ये पैसों को लेकर हुई लड़ाई का असर है। अपने सुनो अभी पढ़ो अनमोल सौगात - 2 351 633 भाग २ २० वर्षीय नीता बी.ए. फाइनल ईयर में पढ़ रही थी। अपने कॉलेज की टॉपर और अन्य गतिविधियों में भी हरफनमौला थी। खेल कूद का भी उसे बहुत शौक था। बैडमिंटन उसका पसंदीदा खेल था। बी.ए. की पढ़ाई ...और पढ़ेकरने के बाद वह आगे और भी पढ़ना चाहती थी। नीता के पिता शशिभूषण पांडे वैसे तो मूल रूप से उत्तरप्रदेश के जौनपुर शहर के निवासी थे किन्तु सरकारी नौकरी में होने के कारण कई सालों से विभिन्न प्रदेशों में उनका तबादला होते रहता था। इस समय वे मध्य प्रदेश के जबलपुर में बिजली विभाग में उच्च पद पर कार्यरत सुनो अभी पढ़ो अनमोल सौगात - 3 309 705 भाग ३ रवि के पिता बृजभूषण मैनी का तबादला कुछ दिनों पहले ही जबलपुर में हुआ था। वे उसी डिपार्टमेंट में जूनियर पद पर थे जहाँ नीता के पिता कार्यरत थे। रवि की माँ कल्पना एक गृहणी, बहुत बातूनी ...और पढ़ेरूढ़िवादी महिला थी। इकलौते पुत्र रवि से बहुत लगाव और अपेक्षाएं थी। रवि ने इसी वर्ष M.Com. पास किया था और जबलपुर में ही एक प्राइवेट फर्म में काम शुरू किया था। उस दिन नीता को पहली बार देखने के बाद से वह उसी के विचारों में खोया रहता था। उसके बारे में जानने की उत्सुकता भी बहुत थी किन्तु सुनो अभी पढ़ो अनमोल सौगात - 4 279 609 भाग ४ नीता मंदिर के पिछवाड़े पहुँची। चूँकि दोपहर का समय था इसलिए मंदिर में सन्नाटा था। "ट्रॉफी जीतने की बहुत बहुत बधाई" रवि के शब्दों में खुशी थी क्योंकि उसके सामने नीता खड़ी थी, जो कि किसी मीठे ...और पढ़ेके सच होने जैसा था। "Thank you!! अब बताओ मुझे यहाँ क्यों बुलाया?" नीता ने धीमे स्वर में पूछा। "तुम्हें नहीं पता?" रवि ने मुस्कुराते हुए सवाल का जवाब देने के बजाय नीता से ही सवाल किया। नीता ने सर हिलाते हुए ना में जवाब दिया और दूसरी तरफ देखने लगी। "नीता, आज मैं तुम्हें अपने दिल की बात बताना सुनो अभी पढ़ो अनमोल सौगात - 5 258 675 भाग ५ जैसे ही नीता ने घर में प्रवेश किया तो देखा कि शशिकांतजी बैचेनी से टहल रहे थे और उर्मिला भी चिंतित नजर आ रही थी। नीता से शशिकांतजी ने पूछा, "क्यों? कॉलेज का प्रोग्राम कैसा रहा?" नीता ...और पढ़ेभावों को समझ नहीं पायी और बड़ी सहजता से जवाब दिया, "बहुत अच्छा था पापा। बस थोड़ी थकान हो गयी। मैं कमरे में जाकर आराम कर लेती हूँ।" वह अपने कमरे की तरफ जाने लगी। शशिकांतजी ने पीछे से व्यंगात्मक लहजे में कहा, "हाँ, कॉलेज बंक करके पिक्चर देखना और रेस्टॉरेंट में खाना पीना अच्छा ही होता है और सुनो अभी पढ़ो अनमोल सौगात - 6 201 486 भाग ६ रवि कॉलेज के बाहर नीता का इंतज़ार कर रहा था। दोपहर के १२ बजे तक नीता नहीं आयी। रवि की बैचेनी बढ़ने लगी थी। उसने पास के P.C.O. से नीता के घर पर फोन लगाया किन्तु हर ...और पढ़ेउर्मिला ने ही फोन उठाया और रवि को बिना कुछ बोले ही बार बार फोन काटना पड़ा। नीता समझ गयी थी कि रवि ही फोन कर रहा है किन्तु वह मजबूर थी। अब रवि का धैर्य भी जवाब देने लगा था। रवि ने कॉलेज से नवीन के घर का रुख किया इस आशा से कि शायद संध्या से कुछ जानकारी सुनो अभी पढ़ो अनमोल सौगात - 7 192 471 भाग ७ नीता को जौनपुर पहुँचे एक हफ्ता बीत चुका था। नीता बहुत उदास थी। दिन रात रोती रहती थी। शशिकांतजी ने अपने माता पिता को सब बात बताकर हिदायत दी थी कि वे लैंडलाइन फ़ोन पर ताला लगा ...और पढ़ेअपने ट्रांसफर के लिए भी वे प्रयासरत थे। आज किस्मत नीता के साथ थी। उर्मिला और नीता के दादा दादी मंदिर गए हुए थे। वह हॉल में अकेले बैठे हुए रवि के बारे में सोच रही थी। तभी फोन की घंटी बजी। नीता ने फ़ोन उठाया और बेमन से हैलो बोला। "हैलो नीता! मैं रवि।" रवि की आवाज़ सुनकर नीता सुनो अभी पढ़ो अनमोल सौगात - 8 228 576 भाग ८ ६ माह बाद --- लाल साड़ी, माथे पर लाल बिंदी, माँग में सिन्दूर और कलाई भर चूड़ियाँ पहने हुए नीता किचन में नाश्ता बना रही थी। "अभी तक नाश्ता बना नहीं क्या? कितनी देर हो रही है? ...और पढ़ेने झल्लाते हुए बाहर से आवाज़ दी। नीता झटपट प्लेट में पोहा और चाय का कप ट्रे में रखकर टेबल पर देने आयी। "समय का थोड़ा ध्यान रखा करो।" मुकेश ने मुँह बिगाड़ते हुए कहा। नीता ने बहस करना उचित नहीं समझा और लंच तैयार करने फिर से किचन में चली गयी। नीता और मुकेश का चट मंगनी पट ब्याह सुनो अभी पढ़ो अनमोल सौगात - 9 198 597 भाग ९ हॉटेल के रास्ते में दोनों के बीच एक अजीब सी खामोशी थी। कभी घंटों घंटों बात करने वालों को आज शब्दों को खोजना पड़ रहा था। रवि बहुत कुछ कहना और पूछना चाहता था लेकिन वो कुछ ...और पढ़ेनहीं पा रहा था। बस कभी कभी रास्ते में पड़ने वाली कुछ प्रसिद्ध जगहों के बारे में बताते जा रहा था। नीता चुपचाप खिड़की से बाहर की और देखकर सर हिला रही थी। तभी एक जगह अचानक उसने कार रोकी। "क्या हुआ?" नीता ने पूछा। "ये यहाँ का प्रसिद्ध आइसक्रीम पार्लर है। १० मिनट ही लगेंगे। प्लीज आओ।" रवि के सुनो अभी पढ़ो अनमोल सौगात - 10 - अंतिम भाग 159 588 भाग १० वर्तमान --- टी टी टी टी टी टी अलार्म के बजने से नीता विचारों की निद्रा से जाग गयी। वह रात भर नहीं सो पायी थी क्योंकि उस एक रात में वह अब तक की ...और पढ़ेपूरी ज़िन्दगी यादों के माध्यम से जी गयी थी। उसने पानी पीते हुए पवित्रा और अनिमेष के बारे में सोचना शुरू किया। यद्यपि यह इतना आसान नहीं था फिर भी उसने निश्चय कर लिया कि वह सबको इस विवाह के लिए मना लेगी। नाश्ता करके पवित्रा और पुलक दोनों अपने अपने काम पर निकल गए। मुकेश चाय पीते हुए अखबार पढ़ रहा सुनो अभी पढ़ो अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ Ratna Raidani फॉलो