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आ क्यू की सच्ची कहानी - उपन्यास
Lu Xun
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
कई बरस से आ क्यू की सच्ची कहानी लिखने की सोच रहा था, किन्तु उसे लिख डालने की इच्छा होते हुए भी मन में दुविधा बनी थी। इससे स्पष्ट हो जाता है कि मैं उन लोगों में नहीं, जो लेखन से गौरव अर्जित करते हैं। कारण यह है कि सदा एक अमर व्यक्ति के कारनामों का चित्रण करने के लिए सदा एक अमर लेखनी की जरूरत होती है व्यक्ति लेखनी के कारण भावी पीढ़ी में ख्याति प्राप्त करता है और लेखनी व्यक्ति के कारण। अंत में यह पता नहीं चल पाता कि कौन किसके कारण ख्याति अर्जित करता है। आखिर आ क्यू की कहानी लिखने का विचार प्रेत की तरह मेरे मस्तिष्क पर हावी हो गया।
कई बरस से आ क्यू की सच्ची कहानी लिखने की सोच रहा था, किन्तु उसे लिख डालने की इच्छा होते हुए भी मन में दुविधा बनी थी। इससे स्पष्ट हो जाता है कि मैं उन लोगों में नहीं, जो ...और पढ़ेसे गौरव अर्जित करते हैं। कारण यह है कि सदा एक अमर व्यक्ति के कारनामों का चित्रण करने के लिए सदा एक अमर लेखनी की जरूरत होती है व्यक्ति लेखनी के कारण भावी पीढ़ी में ख्याति प्राप्त करता है और लेखनी व्यक्ति के कारण। अंत में यह पता नहीं चल पाता कि कौन किसके कारण ख्याति अर्जित करता है। आखिर आ क्यू की कहानी लिखने का विचार प्रेत की तरह मेरे मस्तिष्क पर हावी हो गया।
आ क्यू के कुलनाम, व्यक्तिगत नाम और जन्म स्थान से संबंधित अनिश्चितता के अतिरिक्त उसके अतीत के बारे में भी कुछ अनिश्चितता बनी हुई है। कारण यह है कि वेइच्वाङ के लोगों ने उसके 'अतीत' पर जरा भी ध्यान ...और पढ़ेबिना उसकी सेवाओं का उपयोग किया या उसका मजाक उड़ाया। आ क्यू खुद भी इस विषय में मौन रहता, सिर्फ ऐसे अवसर को छोड़कर, जबकि उसका किसी से झगड़ा हो जाता, तो उसकी ओर देखता हुआ वह बोल पड़ता, किसी समय हमारी दशा तुमसे अधिक अच्छी थी। तुम अपने को आखिर समझते क्या हो?
हालाँकि आ क्यू सदा विजय प्राप्त करता जाता था, फिर भी उसे प्रसिद्धि सिर्फ तभी हासिल हुई, जब चाओ साहब ने उसके मुँह पर थप्पड़ मारने की तकलीफ उठाई।
बेलिफ के हाथ में दो सौ ताँबे के सिक्के रखने के ...और पढ़ेवह गुस्से से जमीन पर लेट गया। बाद में अपने आपसे कहने लगा, आजकल दुनिया न मालूम कैसी हो गई है, बेटे अपने बाप को पीटने लगे हैं... तब वह चाओ साहब की प्रतिष्ठा के बारे में सोचने लगा, जिन्हें अब वह अपना बेटा समझने लगा था। धीरे-धीरे उसका जोश ऊँचा उठता गया। वह उठा और युवक विधवा अपने पति की कब्र पर गीत की पक्तियाँ गुनगुनाता हुआ शराबखाने में जा पहुँचा। उस समय अवश्य उसे महसूस हुआ कि चाओ साहब का रुतबा ज्यादातर लोगों से थोड़ा ऊपर है।
कुछ विजेता ऐसे होते हैं, जो अपनी जीत से तब तक खुश नहीं होते, जब तक उनके प्रतिद्वंद्वी बाघ या बाज की तरह खूँखार न हों, अगर उनके प्रतिद्वंद्वी भेड़-बकरी या मुर्गी की तरह डरपोक हों, तो उन्हें अपनी ...और पढ़ेबिल्कुल खोखली प्रतीत होती है। कुछ दूसरे विजेता ऐसे होते हैं, जो अपनी सभी प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़कर, सभी शत्रुओं को मौत के घाट उतारकर या उनसे आत्मसमर्पण करवाकर और सरासर नाक रगड़वाकर यह महसूस करने लगते हैं कि उनका शत्रु प्रतिद्वंद्वी या मित्र नहीं रहा, केवल स्वयं ही रह गए हैं सर्वोच्च, एकाकी, निराश और परित्यक्त। तब वे अपनी जीत को केवल एक दुखांत घटना समझने लगते हैं, परन्तु हमारा हीरो इतना कमजोर नहीं था। वह सदा विजयोल्लास से भरा रहता था। यह शायद इस बात का प्रमाण था कि चीन नैतिक दृष्टि से बाकी दुनिया की तुलना में श्रेष्ठ है।
चाओ परिवार के सामने नाक रगड़ने और सारी शर्तें मान लेने के बाद आ क्यू हमेशा की तरह कुल-देवता के मंदिर में लौट आया। सूरज डूब गया था। उसे कुछ अजीब-सा लग रहा था। काफी विचार करने के बाद ...और पढ़ेइस नतीजे पर पहुँचा कि शायद नंगी पीठ होने के कारण ही उसे ऐसा महसूस हो रहा है। उसे याद आया, उसके पास एक पुरानी अस्तरवाली जाकिट अब भी मौजूद है। वह जाकिट पहनकर लेट गया। आँख खुली तो देखा, सूरज की रोशनी पश्चिम दीवार के ऊपर तक पहुँच चुकी है। अरे, सत्यानास हो गया। कहता हुआ वह उठा।